आलारिपु संस्था की ओर से आयोजित संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से चल रहे तीन दिवसीय आलारिपु हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन, रवींद्र मंच पर मंटो की कहानी पर आधारित नाटक पीरन का सफल आयोजन हुआ। नाटक के लेखक साहित्यकार सआदत हसन मंटो हैं। इस नाटक का निर्देशन सिकंदर अब्बास ने किया, सह-निर्देशन और नाट्य रूपांतरण कपिल कुमार और संयोजन के.के. कोहली ने किया। सेठ-रामू काका के संवादों ने बांधा समां नाटक की कहानी सेठ धर्मदास और उनके वफादार नौकर रामू काका के इर्द-गिर्द घूमती है। रामू काका की यह आदत है कि वह हर बुरी खबर सेठ तक पहुंचाता है, और वह भी तब जब सेठ भोजन कर रहे होते हैं। इससे परेशान सेठ, रामू से कहते हैं कि अगली बार बुरी खबर उल्टी तरह से सुनाया करे, ताकि सेठ का खाना खराब न हो। रामू काका को मंटो की कहानियों से बेहद लगाव है। इसी क्रम में वह अपने गांव में आयोजित मंटो की कहानी “पीरन” के मंचन को देखने पहुंचता है। नाटक में मंटो के दोस्त बृजमोहन और पीरन की मोहब्बत की उलझनों के ताने-बाने को बेहद खूबसूरती से बुना गया है। बृजमोहन (भूमिका में सुमित चौधरी) पीरन के प्रेम में डूबा है, पर पीरन (भूमिका में शबनम खान) किसी और से मोहब्बत करती है। बृजमोहन के लिए पीरन एक नहुसत की तरह है, जबकि मंटो (भूमिका में विशाल बेरवा) हर रविवार को उससे मिलने के लिए आठ आने खर्च करता है। मंटो की कहानियों के जरिए समाज का असल चेहरा सामने लाया गया है, जो हाशिए पर खड़े लोगों की सच्चाई बयां करती हैं। कास्ट और टीम का दमदार प्रदर्शन