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दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप को आज यानी, 28 मई को सुबह करीब 5 बजे टैक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया। ये स्टारशिप का 9वां टेस्ट है। इस टेस्ट में पहली बार 7वें टेस्ट में इस्तेमाल किए गए बूस्टर का दोबारा उपयोग किया गया है। इससे पहले 8वें टेस्ट में बूस्टर लैंड हो गया था, लेकिन शिप आसमान में ही ब्लास्ट हो गई थी। दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट (ऊपरी हिस्सा) और सुपर हैवी बूस्टर (निचला हिस्सा) को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। इस व्हीकल की ऊंचाई 403 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है। इस टेस्ट में लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए बूस्टर को वापस लॉन्चपैड पर नहीं लाया जाएगा। इसकी गल्फ ऑफ अमेरिका में हार्ड लैंडिंग होगी। पूरा टेस्ट 1.06 घंटे का होगा। मिशन का उद्देश्य: कमियों को दूर करना और जरूरी एक्सपेरिमेंट फ्लाइट टाइमलाइन
00:00:02- लिफ्टऑफ 00:01:02- मैक्स क्यू (रॉकेट पर चरम वायुगतिकीय तनाव का क्षण) 00:02:35- सुपर हैवी MECO (अधिकांश इंजन कट ऑफ) 00:02:37- हॉट-स्टेजिंग (स्टारशिप रैप्टर इग्निशन और स्टेज सेपरेशन) 00:02:47- सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न स्टार्टअप 00:03:27- सुपर हैवी बूस्टबैक बर्न शटडाउन 00:03:29- हॉट-स्टेज जेटिसन 00:06:19- सुपर हैवी लैंडिंग बर्न स्टार्ट 00:06:40- सुपर हैवी लैंडिंग बर्न शटडाउन 00:08:56- स्टारशिप इंजन कटऑफ 00:18:26- पेलोड डिप्लॉय डेमो 00:37:49- रैप्टर इन-स्पेस रीलाइट डेमो 00:47:50- स्टारशिप एंट्री 01:03:11- स्टारशिप ट्रांसोनिक 01:04:26- स्टारशिप सबसोनिक 01:06:11- लैंडिंग फ्लिप 01:06:16- लैंडिंग बर्न 01:06:38- पानी में लैंडिंग! सातवां टेस्ट: बूस्टर लॉन्चपैड पर वापस आया; लेकिन स्पेसक्राफ्ट आसमान में ही ब्लास्ट हुआ 17 जनवरी 2025 को भी स्टारशिप का सातवां टेस्ट पूरी तरह से कामयाब नहीं रहा था। लॉन्चिंग के 8 मिनट बाद बूस्टर (निचला हिस्सा) अलग होकर वापस लॉन्च पैड पर आ गया था, लेकिन शिप (ऊपरी हिस्सा) में ऑक्सीजन लीक से ब्लास्ट हो गया था। छठा टेस्ट: लॉन्चपैड पर उतरने में दिक्कत दिखी तो पानी पर लैंड कराया, ट्रम्प भी मौजूद रहे स्टारशिप का छठा टेस्ट 20 नवंबर 2024 को सुबह 03:30 बजे किया गया था। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी टेस्ट देखने के लिए स्टारबेस पहुंचे थे। इस टेस्ट में बूस्टर को लॉन्च करने के बाद वापस लॉन्चपैड पर कैच किया जाना था, लेकिन सभी पैरामीटर ठीक नहीं होने के कारण इसे पानी में लैंड कराने का फैसला लिया गया। स्टारशिप के इंजन को स्पेस में फिर से चालू किया गया। इसके बाद हिंद महासागर में लैंडिंग हुई। पांचवां टेस्ट: पहली बार बूस्टर को लॉन्चपैड पर कैच किया था स्टारशिप का पांचवां टेस्ट 13 अक्टूबर 2024 को किया गया था। इस टेस्ट में पृथ्वी से 96 Km ऊपर भेजे गए सुपर हैवी बूस्टर को लॉन्चपैड पर वापस लाया गया, जिसे मैकेजिला ने पकड़ा। मैकेजिला दो मेटल आर्म हैं जो चॉपस्टिक्स की तरह दिखाई देती हैं। वहीं स्टारशिप की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री कराकर हिंद महासागर में कंट्रोल्ड लैंडिंग कराई गई। स्टारशिप ने जब पृथ्वी के वातावरण में एंट्री की तब उसकी रफ्तार 26,000 किलोमीटर प्रति घंटे थी और तापमान 1,430°C तक पहुंच गया था। चौथा टेस्ट: स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पानी में लैंडिंग हुई स्टारशिप का चौथा टेस्ट 6 जून 2024 को हुआ था, जो सक्सेसफुल रहा था। 1.05 घंटे के इस मिशन को बोका चिका से शाम 6.20 बजे लॉन्च किया गया था। इसमें स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया गया। टेस्ट का मेन गोल यह देखना था कि स्टारशिप पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान सर्वाइव कर पाता है या नहीं। टेस्ट के बाद कंपनी के मालिक इलॉन मस्क ने कहा था, ‘कई टाइल्स के नुकसान और एक डैमेज्ड फ्लैप के बावजूद स्टारशिप ने समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की।’ तीसरा टेस्ट: रीएंट्री के बाद स्टारशिप से संपर्क टूटा था ये टेस्ट 14 मार्च 2024 को हुआ था। स्पेसएक्स ने बताया था कि स्टारशिप रीएंट्री के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाया, लेकिन उसने उड़ान के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं इलॉन मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल आधा दर्जन स्टारशिप उड़ान भरेंगे। दूसरा टेस्ट: स्टेज सेपरेशन के बाद खराबी आ गई थी स्टारशिप का दूसरा टेस्ट 18 नवंबर 2023 को शाम करीब 6:30 बजे किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 2.4 मिनट बाद सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का सेपरेशन हुआ। बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 3.2 मिनट बाद 90 Km ऊपर यह फट गया। वहीं स्टारशिप तय प्लान के अनुसार आगे बढ़ गया। करीब 8 मिनट बाद पृथ्वी से 148 Km ऊपर स्टारशिप में भी खराबी आ गई, जिस कारण उसे नष्ट करना पड़ा। फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम के जरिए इसे नष्ट किया गया था। दूसरे टेस्ट में रॉकेट और स्टारशिप को अलग करने के लिए पहली बार हॉट स्टैगिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया था, जो पूरी तरह सक्सेसफुल रही थी। सभी 33 रैप्टर इंजनों ने भी लॉन्च से सेपरेशन तक ठीक से फायर किया था। पहला टेस्ट: लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद विस्फोट हो गया था 20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी इलॉनमस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। मस्क ने लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है। स्पेसएक्स ने कहा था- सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं। स्टारशिप सिस्टम स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है? स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा। मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत? मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर इलॉनमस्क कहते हैं- ‘पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकता है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।’ करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं, प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा। आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट इस मिशन का सक्सेसफुल होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है। इसके जरिए 5 दशक बाद चंद्रमा पर मनुष्यों की वापसी होगी। स्टारशिप चंद्रमा पर मिशन के अंतिम चरण को पूरा करेगा। एस्ट्रोनॉट को स्पेसक्राट से लूनर ऑर्बिट तक ले जाएगा और चंद्रमा पर लैंडिंग भी कराएगा।

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