पौंग बांध विस्थापितों की 50 सालों से लंबित न्याय की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील एवं देहरा के रक्कड़ निवासी एडवोकेट विनोद शर्मा ने इस मामले में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि विस्थापितों की इस आखिरी उम्मीद को अमलीजामा पहनाने के लिए देश के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित वकील कपिल सिब्बल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने के लिए अधिकृत किया जाए। एडवोकेट विनोद शर्मा ने कहा कि जुलाई महीने के तीसरे और चौथे सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अंतिम सुनवाई होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई पौंग बांध विस्थापितों को खुद लड़नी पड़ रही है, जबकि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विस्थापितों के हक में मजबूती से कोर्ट में पक्ष रखे। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में पौंग बांध विस्थापितों को 89 पट्टे जारी कर राहत दी थी, जिससे विस्थापितों में नई उम्मीद जगी है। अब विस्थापितों की समिति चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार मजबूती से उनका पक्ष रखे ताकि राजस्थान में विस्थापितों को मुरब्बे (जमीन) दिलवाई जा सके। 15 प्रतिशत विस्थापितों को ही जमीन दी- विनोद शर्मा
एडवोकेट विनोद शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार का दावा है कि सभी पौंग बांध विस्थापितों को बसाया जा चुका है, जबकि विस्थापितों की समिति का कहना है कि अब तक सिर्फ 15 प्रतिशत विस्थापितों को ही जमीन दी गई है और शेष विस्थापित अभी भी अपने हक का इंतजार कर रहे हैं। एडवोकेट विनोद शर्मा ने कहा कि अगर कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे तो विस्थापितों को उनका हक मिलने की उम्मीद मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विस्थापितों की नहीं, बल्कि हिमाचल की जनता की लड़ाई है, जिसमें सरकार को आगे आना चाहिए।
