जनता से जुड़े महकमे के एक मंत्री काफी दिनों से परेशान हैं। परेशानी की वजह वही है जो ज्यादातर सत्ता वालों की रहती है। मतलब महकमे में दबदबा नहीं है। मंत्री अपने महकमे में एक अफसर को हटवाना चाहते हैं। ऊपर भी लिखकर भेज दिया, लेकिन काफी दिन बीत जाने के बावजूद कुछ नहीं हुआ। इस पूरे एपिसोड के पीछे की वजह भी दिलचस्प है। मंत्री अफसर से महकमे से जुड़े कुछ काम करवाना चाहते थे। अफसर ने साफ इनकार कर दिया। अब इतना बड़ा कारण हटवाने की वजह के लिए पर्याप्त है लेकिन मंत्री इस मुहिम में कामयाब होते नहीं दिख रहे। दो पत्नियों के मामले में अफसर की शिकायत और टेंशन सरकारी नौकरी में एक तय आचार संहिता का पालन करना होता है। उसमें से एक नियम यह भी है आप बहुविवाह नहीं कर सकते। सभी इसका पालन करें यह जरूरी नहीं। एक आदिवासी इलाकों में तैनात जमीनों वाले विभाग के अफसर की दो पत्नियों का मामला अंदरखाने चर्चा का विषय बना हुआ है। दो पत्नियों वाले अफसर के दफ्तर के लोग भी इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं। अफसर के दफ्तर में दूसरी पत्नी के आने की चर्चाएं कई दिन रही, तो विरोधियों ने पहली पत्नी को सूचना भिजवा दी। अब क्लेश तो होना तय था। अफसर की शिकायत भी हो गई। अब दो पाटों में फंसने वाली बात हो गई है। अब शिकायत के सही जगह पहुंचने पर एक्शन का इंतजार है। अफसर टेंशन में हैं। इन दिनों दफ्तर से भी गायब रहते हैं। अफसर के घरेलू टेंशन की मार जनता पर पड़ रही है। सत्ता वाले नेताजी ने विपक्षी विधायक को किसके दस्तावेज सौंपे पिछले दिनों सिविल लाइंस के एक सियासी अड्डे पर तीन नेताओं की मुलाकात हुई। तीन नेताओं में एक सत्ताधारी नेता और एक विपक्षी विधायक थे। इस मुलाकात में सरकार के कामकाज से लेकर कई मुद्दों पर चर्चा हुई। जिम्मेदार सत्ताधारी नेता अपने साथ कुछ दस्तावेजों का पुलिंदा भी लेकर आए थे। सत्ता वाले नेता ने विपक्षी विधायक को वो पूरे दस्तावेज सौंपे। अब विधानसभा सत्र के दौरान इस तरह के दस्तावेज सौंपे हुआ तो कोई न कोई बड़ा मामला ही होगा। सुना है, सत्ता को परेशान करने वाला ही कोई मैटर है। जिन विपक्षी विधायक को दस्तावेज सौंपे उनकी लंबे अरसे बाद प्रदेश के पूर्व मुखिया से नजदीकी बढ़ने की भी सूचना है। मंत्रियों को क्यों पड़ी डांट ? प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में अब तक चली कार्यवाही में मंत्रियों के बारे में परसेप्शन बने और बिगड़े। सदन की कार्यवाही से अरुचि सबसे बड़ा मुद्दा है। प्रश्नकाल के बाद मंत्री और विधायक सदन से ऐसे भागते हैं जैसे स्कूल की छुट्टी होने पर बच्चे। कई बार तो नौबत ऐसी आ जाती है कि जिस विभाग का मुद्दा उठा, उसके मंत्री तक गायब दिखे। पिछले दिनों स्पीकर ने भी कड़ा रुख अपनाया। सार्वजनिक नाराजगी जताई। मंत्रियों के सदन से गायब रहने के मामले में प्रदेश के मुखिया तक भी बात है। सदन से गायब रहने वालों को वहां से भी कड़ी फटकार लगी बताई। हालांकि राज किसी का हो, मंत्रियों और विधायकों में से कम ही है जो सदन में बैठकर कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं। जिले के पुलिस मुखिया से नाराज हुए सत्ताधारी विधायक पानी में रहकर मगर से बैर वाली कहावत आजकल अफसर और नेताओं के रिश्तों पर भी फिट बैठती है। जिलों में नौकरी करके सत्ताधारी विधायकों से नाराजगी मोल लेने का मतलब समझदार अफसर जानते हैं। जिले के प्रशासनिक और पुलिस मुखिया भी सत्ताधारी विधायकों का तो ध्यान रखते ही हैं। मारवाड़ के एक जिले के पुलिस मुखिया से सभी सत्ताधारी विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों एक राय होकर सत्ता वाले विधायकों ने जिले के पुलिस मुखिया को बदलने की लिखित सिफारिश टॉप लेवल पर दी। विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि वे सत्ताधारियों की बात नहीं मानते, फोन का जवाब नहीं देते, सिफारिश नहीं मानते वगैरह-वगैरह। उधर जिले के पुलिस मुखिया की सत्ता वाले संगठन मुखिया से ठीक पटरी बैठती बताई। अब सबकी निगाह अगली ट्रांसफर लिस्ट पर है। किस युवा नेता ने पाला बदला? राजनीति में हर समय दांवपेंच चलते ही रहते हैं। आज जो किया है, कई बार बहुत साल बाद उसके रिजल्ट सामने आते हैं। विपक्षी पार्टी में दाव पेंच कुछ ज्यादा चलते हैं। पिछले दिनों विपक्षी पार्टी की स्टूडेंट विंग के प्रदेश मुखिया ने नशे के खिलाफ अभियान चलाया। साइकिल यात्रा निकाली। इस यात्रा में पूर्व संगठन मुखिया भी शामिल हुए। युवा नेता के पाला बदलकर अब पूर्व संगठन मुखिया के पाले में जाने की चर्चाएं हैं। पूर्व संगठन मुखिया के समर्थक विधायकों ने भी युवा नेता को पाला बदलने के फायदे बताए। विधायकी का टिकट मिलने की संभावनाओं के बारे में बताया। कई उदाहरण भी गिनाए। इन सबके बाद अब युवा नेता के पूर्व संगठन मुखिया के पाले में जाने की चर्चाएं हैं। सुनी-सुनाई में पिछले सप्ताह भी थे कई किस्से, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें विधायक ने मंत्री को सुनाई खरी–खरी:अफसर को विभाग से नहीं हटा पाए मिनिस्टर; बड़े लोगों को नहीं मिले आईफा अवार्ड के पास