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दौसा जिले का पावटा गांव अपनी ऐतिहासिक डोलची होली की अनूठी परंपरा मनाई जा रही है। होली के बाद दूज को यहां डोलची होली खेली जाती है। होली की तैयारी कई माह पहले से शुरू कर दी गई थी। इसे खूनी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस होली में युध्द जैसा नजारा देखने को मिलता है, मानों दो सेनाएं आपस में लड़ रही हों। गांव के हदीरा मैदान पर होली के लिए लोगों को आमंत्रण दिया गया। गुर्जर समाज के पीलवाड़ एवं दडगस गोत्र के युवा नंगे बदन मैदान में हदीरा बाबा की जय बोलते हुए एकत्रित होते हैं। इसके बाद शुरू होता खूनी होली का खेल। युवा पूरे जोश के साथ डोलची से ताकत के साथ पानी की बौछार एक-दूसरे की पीठ पर मारते है। इससे युवाओं की पीठ लहूलुहान हो जाती है। लेकिन उनका जोश कम नहीं हो रहा था। पानी की तेज धार से पीठ पर पटपट की आवाज मैदान में गूंजने लगती है।

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