कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से कृषि विभाग के सहयोग से खरीफ पूर्व अभियान के तहत 15 दिन तक चले ‘विकसित कृषि संकल्प’ अभियान में दौसा जिले के 11 हजार किसानों को लाभ मिला। इस अभियान की शरुआत 29 मई को राहुवास से हुई, जो 12 जून को धौलखेड़ा में सम्पन्न हुआ। इन 15 दिनों के दौरान 47 गांवों में 47 गोष्ठियां आयोजित की गई। जिनमें 11 हजार किसानों से रूबरू होकर उन्हें खेती संबंधी तकनीकी जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. बीएल जाट के साथ अन्य वैज्ञानिकों डॉ. अक्षय चित्तौड़ा, डॉ. सुनीता कुमारी और डॉ. देवेंद्र कुमार मीना ने इस अभियान में गोष्ठियों का आयोजन किया और किसानों की खरीफ व उद्यानिकी फसलों की प्रमुख समस्याओं के समाधान बताए। संयुक्त निदेशक रामराज मीना और विभाग के अन्य अधिकारियों ने गोष्ठियों के आयोजन में सहयोग किया और विभाग की योजनाओं की जानकारी किसानों को दी। कृषि महाविद्यालय लालसोट के अधिष्ठाता डॉ. दिनेश यादव ने अपने विशेषज्ञों के साथ समय-समय पर गोष्ठियों में शामिल होकर उन्नत खेती की जानकारी दी। प्रसार शिक्षा निदेशालय श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के पशु पालन प्रोफेसर डॉ. रामावतार शर्मा ने उन्नत पशु पालन की जानकारी दी। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के कीट वैज्ञानिक ड. मुकेश निठारवाल ने आम समस्या सफेद लट के समन्वित नियंत्रण के बारे में समझाया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. समरथ लाल मीना, डॉ. महेश चंद मीना, डॉ. मलखान सिंह गुर्जर और डॉ. धारा सिंह गुर्जर ने किसानों को मृदा जांच, प्राकृतिक खेती, जल प्रबंधन और खरीफ फसलों की उन्नत प्रौद्योगिकी की जानकारी दी। केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, (टोंक) के वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह मीना, डॉ. राजेश बिश्नो ने उन्नत भेड़-बकरी पालन और राष्ट्रीय पशुधन मिशन की जानकारी दी। इफको से मनोज चौधरी ने असली उर्वरकों की पहचान के बारे में किसानों को बताया। प्रगतिशील किसानों ने अपने-अपने क्षेत्र के अनुभव किसानों के साथ साझा किए। इस अभियान में कृषि विज्ञान केंद्र के विवेक राठौर, उद्यान विभाग से उपनिदेशक जेपी मीना, सुभाष कुमार और कृषि विभाग से संबंधित सहायक कृषि अधिकारी और पर्यवेक्षकों ने भी भूमिका निभाई।