समय ही धन है। इस कहावत को बैंक से रिटायर हुए दो कर्मचारियों ने सच कर दिखाया है। उन्होंने एक ऐसा बैंक बनाया है, जहां समय जमा किया जाता है और समय की निकासी भी होती है। अब तक इस बैंक में 10 हजार से ज्यादा घंटे जमा हो चुके हैं और करीब 10 हजार घंटे के आसपास निकासी भी हुई है। 8 साल पहले शुरू हुए इस बैंक के देश भर में 7 हजार से ज्यादा सदस्य हैं। इस बैंक में सबसे ज्यादा समय जमा करने वाले लोगों में 60 से 80 साल के लोग हैं। इस टाइम बैंक से बहुत से लोगों ने बीमारी, हादसे या ऐसी ही किसी जरूरत में समय वापस लिया है। इस टाइम बैंक ऑफ इंडिया ट्रस्ट की शुरुआत करने वाले अनिल कुमार खोसला इसके मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। प्रबोध चंद्र जैन-फाउंडर चेयरमैन हैं। इनका न कोई ऑफिस है न ही कोई रजिस्ट्रेशन फीस। इन दोनों ने अपनी पेंशन से करीब साढ़े तीन लाख रुपए खर्च कर इस टाइम बैंक की स्थापना की। विशाखापट्नम में शुरू किया प्रोजेक्ट ट्रस्ट के सदस्य स्कूल-कॉलेज या पार्क में जाकर लोगों को टाइम बैंक में समय जमा करने के लिए जागरूक करते हैं। दो माह पहले आंध्रप्रदेश के विशाखापट्नम में पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुुआ है। यहां लोगों को इससे जुुड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं। इन दिनों देहरादून यूनिवर्सिटी के 46 छात्र इंटर्नशिप के लिए आए हैं। स्विट्जरलैंड्स में हुए एक हादसे से आइडिया आया इन्हें यह आइडिया स्विटजरलैंड से आया। यहां की एक महिला घर में गिर गई थी। उसे अस्पताल पहुंचाने वाला कोई नहीं था। उसके किराएदार उसे अस्पताल पहुंचाने लगे तो महिला ने कहा- टाइम बैंक से लोग आ रहे हैं। वे मुझे अस्पताल भी पहुंचाएंगे और मेरी केयर भी करेंगे। महिला ने ऐसे ही दूसरे लोगों की मदद की थी और उस समय को टाइम बैंक में जमा किया हुआ था। बैंक के हर सदस्य की होती है केवाईसी, साथ ही सारे डेटा भी गोपनीय रखे जाते हैं दूसरे बैंकों की तरह टाइम बैंक में भी केवाईसी होती है। इस बात पर खास ध्यान दिया जाता है कि सभी का डेटा गोपनीय रहे। इसके लिए एक वेबसाइट बना दी गई है और देश के पिनकोड एरिया के हिसाब एडमिन बना दिए हैं। टाइम बैंक के साथ देश में करीब 109 एडमिन काम कर रहे हैं। ऑनलाइन अप्रूवल का सिस्टम बनाया हुआ है। इनके जयपुर में सबसे ज्यादा 2,582 सदस्य हैं। उदयपुर, चंडीगढ़, आगरा, ग्वालियर, पुणे, हैदराबाद, विशाखापटनम में भी टाइम बैंक चल रहे हैं। धीरे-धीरे यहां लोग इस टाइम बैंक से जुुड़ रहे हैं।