भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के नए कानून से कोटा में चाकूबाजी के अपराधों में पुलिस की कवायद बढ़ना तय है। कोटा पुलिस की इसलिए क्योंकि यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा, औसतन हर तीसरे दिन चाकूबाजी होती है। वर्ष 2018 से 2022 के बीच चाकूबाजी की 507 वारदात हुई, जो रिकॉर्ड है। कई बार तो एक ही दिन में एक से ज्यादा वारदातें हो चुकी हैं। अब पुलिस को चाकूबाजी के हर केस में एफएसएल टीम बुलाकर साक्ष्य जुटाने होंगे व वीडियोग्राफी करवानी होगी। वहीं, आमजन के लिए राहत की बात यह कि अब चाकूबाजी के अपराध पर 7 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान होने से पुलिस को केस दर्ज करना ही पड़ेगा। अगर केस दर्ज नहीं हो तो पीड़ित ऑनलाइन शिकायत दे सकेगा, जिसे तीन दिन में दर्ज करना पुलिस के लिए अनिवार्य होगा। ऑनलाइन शिकायत होने पर भी पुलिस को केस दर्ज करना ही पड़ेगा हत्या के प्रयास में पहले आईपीसी की धारा 307 लगती थी। 1 जुलाई से बीएनएस की धारा 109 (1) लगने लगी। अपराध िसद्धि पर 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा। यदि ऐसे कृत्य से किसी व्यक्ति को पीड़ा दी गई, तो आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। लेकिन, यदि कोई आजीवन कारावास के दंड के अधीन होते हुए भी धारा 109 (1) के अधीन ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति को पीड़ा दी, तो धारा 109 (2) के तहत मृत्यु या आजीवन कारावास (जो उस व्यक्ति के बचे प्राकृतिक जीवनकाल के लिए होगा) से दंडित किया जाएगा। उदाहरण के लिए यदी अ नाम का युवक पहले के किसी मुकदमे में आजीवन कारावास से दंडित है। इसके बाद वह हत्या के इरादे से बी नाम के युवक पर चाकू से वार करता है, जिससे वह जख्मी भी हो जाए, तब भी उपरोक्त धारा के अंतर्गत अ को मृत्यु या आजीवन कारावास (जो उस व्यक्ति के बचे हुए प्राकृतिक जीवन काल के लिए होगा) से दंडित किया जाएगा। हर चाकूबाजी केस में एफएसएल व मौके की वीडियोग्राफी जरूरी अब 7 साल से ज्यादा की सजा वाले मामलों में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना अनिवार्य है। जैसे अ नाम का युवक बी से रंजिश रखता है। उसने विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में बी के खिलाफ चाकूबाजी की ऑनलाइन शिकायत दी। नियमानुसार पुलिस को मुकदमा दर्ज करना ही होगा। जांच के बाद भले ही शिकायत झूठी निकले व पुलिस एफआर लगा दे। इससे पहले तो बी की परेशानी बढ़ी क्योंकि पुलिस जांच का सामना करना पड़ा और दूसरा पुलिस का समय, संसाधन और श्रम लगेगा। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे चीजें सामने आएंगी, इसका भी कोई न कोई हल निकलेगा। 5 साल में 507 बार चाकूबाजी वर्ष चाकूबाजी 2018 62 2019 96 2020 109 2021 118 2022 122 {वारदातों में नाबालिग भी : पांच साल में शहर पुलिस जिला में 507 चाकूबाजी हुई। इनमें से 226 मामलों में नाबालिग िलप्त थे। वहीं, 630 बदमाश चालानशुदा थे। {कोटा पुलिस के 4 प्रयास : चाकूबाजी काबू करने को पुलिस ने 4 प्रयास किए। इनमें मोहल्ला मिटिंग, चुस्त नाकाबंदी, जागरुकता अभियान व हिस्ट्रीशीट खोलना शामिल हैं। }प्रदेश में सबसे ज्यादा और हर तीसरे दिन चाकूबाजी वाले कोटा शहर को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (1) से सुकून मिलने की उम्मीद अरुण शर्मासीनियर लॉ प्रोफेसर व पूर्व सदस्य, स्थायी लोक अदालत