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क्यूरियो, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और जवाहर कला केन्द्र के सहयोग से आयोजित खेला राष्ट्रीय नाट्य समारोह का रविवार को दूसरा दिन रहा। संवाद प्रवाह में प्रकाश संयोजन विषय पर गौतम भट्टाचार्य, अवॉर्डी संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली और विख्यात प्रकाश परिकल्पनाकार ने प्रकाश संयोजन का महत्व बताया, वहीं चितरंजन त्रिपाठी, निदेशक राष्ट्रीय नाटय विद्यालय (एनएसडी), नई दिल्ली और विख्यात अभिनेता-निर्देशक ने रंगमंच की बारीकियां बताई, गोविंद यादव ने मॉडरेशन किया। रविवार शाम को रंगायन में सुदीप चक्रबर्ती के निर्देशन में नाटक ‘हम तुम’ खेला गया। फेस्टिवल के तीसरे दिन सोमवार शाम 5 बजे ऋषिकेश शर्मा के निर्देशन में ‘आधे अधूरे’ नाटक का मंचन होगा, वहीं शाम 7 बजे राजदीप वर्मा के निर्देशन में नाट्य प्रस्तुति ‘भंवर’ होगी। नाटक के बाद दोनों निर्देशक संवाद प्रवाह में हिस्सा लेंगे, जिसका मॉडरेशन वरिष्ठ नाट्य निर्देशक राजीव आचार्य करेंगे। ‘लाइट डिजाइन के पीछे छिपे मनोविज्ञान को समझें’ गौतम भट्टाचार्य ने अपने रचनात्मक सफर का जिक्र करते हुए बताया कि फेमस लाइट डिजाइनर तापस सेन के साथ काम करते-करते उन्होंने प्रशिक्षण हासिल किया। उन्होंने कहा कि दृष्टि के साथ ही प्रकाश का कार्य शुरू हो जाता है। जिस तरह से एक पेंटर अपनी पेंटिंग में रंगों से जरिए प्रकाश को दर्शाता है, उसी तरह नाटक या अन्य प्रस्तुतियों में लाइट का उपयोग किया जाना चाहिए। उसके लिए जरूरी है कि हम चीजों को नजरअंदाज नहीं करें बल्कि गौर से देखें इससे हमें प्रकाश का अंतर समझ आता है। उन्होंने बताया कि लाइट डिजाइनर एक संगतकार होता है, प्रस्तुति शुरू होने के बाद वह दिशा प्रदान करता है और दर्शकों को निर्देशित करता है। लाइट के तकनीकी पहलुओं पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि अंधेरे की अनुपस्थिति ही प्रकाश है, लेकिन लाइट डिजाइनिंग में डार्कनेस का भी उपयोग करना आना चाहिए। कलर साइकोलॉजी जैसी किताबें भी मौजूद हैं, जिससे हम लाइट डिजाइन के पीछे छिपे मनोविज्ञान को अच्छे से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही आज उन्नत तकनीक है, लेकिन पुराने दौर में अभावों में प्रयोग करके उत्कृष्ट परिणाम हासिल किए जाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि लाइट डिजाइन करते समय कलाकार के स्किन कलर, कॉस्ट्यूम तक को ध्यान में रखा जाना चाहिए। चितरंजन त्रिपाठी ने कहा कि नाटक में अभिनेता, लाइट, सेट, डायरेक्शन सभी की अपनी-2 भूमिका है और सफल प्रस्तुति सभी की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि रचनात्मक क्षेत्र में सीखने की सोच के साथ आगे बढ़ें, सफलता जरूर मिलेगी। चितरंजन त्रिपाठी ने कहा कि कलाकार को धरातल रहकर काम करना चाहिए, अहंकार का भाव मन में उपजते ही कर्म की खेती खराब हो जाती है। तुम से हम हुए डॉ. भुल्लर और सरिता रंगायन में नाट्य प्रस्तुति ‘हम तुम’ ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। यह नाटक रूसी नाटककार अलेक्सी अर्बुजोव लिखित कहानी ‘द ओल्ड वर्ल्ड’ पर आधारित है जिसका हिंदी रूपांतरण राहील भरद्वाज ने किया है। सुदीप चक्रबर्ती के निर्देशन में हुए नाटक की कहानी डॉ. भुल्लर और सरिता हजारिका के इर्द-गिर्द घूमती है। सख्त मिजाजी, अनुशासन प्रिय डॉ. भुल्लर एक सैनिटोरियम के मेडिकल ऑफिसर हैं। 60 वर्षीय डॉ. पत्नी की मृत्यु के बाद एकाकी जीवन में व्यस्त रहते हैं। सैनिटोरियम में 55 वर्षीय सरिता इलाज के लिए आती हैं। सरिता का अतीत भी बड़ा दुखदायक रहता है, बेटे और पति की मौत के बाद वह अकेले जीवन यापन कर रही होती हैं। सरिता नियमों से परे रहने वाली महिला हैं। सैनिटोरियम में दोनों में लड़ाई-झगड़ा और नोक-झोंक एक नया मोड़ लेती है। दोनों ही एक दूसरे से लगाव महसूस करने लगते हैं पर कोई कहता नहीं है। सरिता सैनिटोरियम से जाने लगती हैं इस पर डॉ. भुल्लर उसे रोकते है। सैनिटोरियम से निकल चुकी सरिता दरवाजे पर आई टैक्सी को छोड़ देती हैं। इसके बाद डॉ. भुल्लर उसे अपने साथ रहने का प्रस्ताव देते है। नाटक के अंत में नदी की दो धाराओं जैसे दोनों का संगम होता है और वे साथ रहने लगते हैं। गोविंद सिंह यादव ने डॉ. भुल्लर और कुमारी प्रियंका ने सरिता हजारिका का किरदार निभाया। प्रियंक ने लाइट, विवेक राणा ने साउंड और आकृति गुप्ता ने कॉस्ट्यूम की व्यवस्था संभाली।

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