हरियाणा के नारनौल में नेशनल हाईवे नंबर 11 पर राजस्थान के परिवहन विभाग के गार्ड की पिटाई का वीडियो वायरल हो रहा है। गार्ड की यह पिटाई ट्रक ड्राइवरों द्वारा हरियाणा की सीमा में की गई बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि राजस्थान के परिवहन विभाग के गार्ड ने एक ट्रक ड्राइवर को हरियाणा की सीमा में आकर डंडा मारा था। जिसके बाद उन्हाेंने गार्ड की पिटाई कर दी। वहीं उसके साथ आई टीम वहां से भाग गई। नारनौल से रेवाड़ी जा रहे नेशनल हाईवे नंबर 11 पर के बहरोड़ जिले के काठुवास टोल प्लाजा बना हुआ है। यह टोल प्लाजा वैसे तो दोनों ओर से राजस्थान की सीमा में बना है, मगर सड़क के दोनों ओर हरियाणा लगता है। बताया जा रहा है कि हरियाणा सीमा में दाखिल हो चुके एक ट्रक को राजस्थान परिवहन विभाग की टीम द्वारा पीछा किया जा रहा था। ट्रक चालक ने जब वाहन नहीं रोका तो टीम के एक गार्ड ने ट्रक रोकने के बाद डंडे से उसके सिर पर वार कर दिया। इससे चालक घायल हो गया। घायल चालक की स्थिति देखकर अन्य ट्रक चालक गुस्से में आ गए और उन्होंने उस गार्ड की पिटाई कर दी। विभाग की टीम भागी
वायरल वीडियो में घायल गार्ड सफाई देता नजर आ रहा है, “मेरा कोई दोष नहीं, मैं तो पहली बार आया हूँ, अफसर से बात करो।” लेकिन जैसे ही मामला बिगड़ने लगा, परिवहन विभाग के अधिकारी मौके से अपनी गाड़ी लेकर फरार हो गए। गनीमत रही कि स्थिति और नहीं बिगड़ी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। ट्रक चालकों का गुस्सा वीडियो में ट्रक चालक सवाल करते नजर आ रहे हैं कि हरियाणा की सीमा में राजस्थान का आरटीओ क्या कर रहा था। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या गाड़ी वालों ने कोई बड़ा अपराध कर दिया था जो इस तरह पीछा कर मारपीट की गई। इससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ओवरलोड ट्रकों की रहती भरमार इस नेशनल हाईवे पर रोजाना हजारों की संख्या में ट्रक चालक ओवरलोड वाहनों को लेकर जाते हैं। इस मार्ग पर नारनौल, कोटपूतली, बहरोड़, सीकर, और नीमकाथाना जैसे इलाकों से भारी मात्रा में बजरी और रोड़ी की सप्लाई दिल्ली और गुरुग्राम तक होती है। हाईवे बर्बाद,1100 करोड़ की सड़क एक महीने में टूटी दिल्ली से जयपुर के बीच केंद्र सरकार ने 1100 करोड़ रुपए की लागत से नया हाईवे तैयार कराया था। लेकिन लगातार चल रहे ओवरलोड ट्रकों की वजह से यह हाईवे महज एक महीने में ही जर्जर हो गया। इससे सरकार को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाई और ओवरलोड वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया गया, लेकिन वह भी सीमित क्षेत्रों तक ही सिमट गया।
