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राजस्थान की भजनलाल सरकार के पहले पूर्ण बजट में नाराज चल रहे वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के विभागों के लिए सबसे ज्यादा पिटारा खोला गया है। उनके कृषि और ग्रामीण विकास विभागों के लिए हजारों करोड़ के प्रावधान कर नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है। बजट में सबसे ज्यादा राशि पाने वाले टॉप गेनर मंत्रियों की संख्या 12 है। बजट में हर साल 1 लाख से अधिक भर्ती, कौशल विकास, उद्योग क्षेत्र व निवेश संबंधित कई घोषणाएं हैं। इसलिए उद्योग और युवा मामलों के मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ दूसरे बड़े गेनर हैं। बजट में आगामी 5 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनावों को देखते हुए भी कई घोषणाएं की गई हैं। एक्सपर्ट की मानें तो विधानसभा चुनाव में जिन वर्गों ने नाराजगी दिखाई थी, उन्हें बजट के जरिए साधने की कोशिश की गई है। इस रिपोर्ट में जानते हैं कौन-कौन से मंत्री टॉप गेनर रहे और इसके मायने क्या क्या हैं? तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : किरोड़ी लाल मीणा के विभाग को मिले सबसे अधिक बजट से राज्य सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है। राजनीति की धुरी ‘किसान’ को खुश रखना जरूरी है। वहीं, लोकसभा चुनाव में अपने प्रभाव क्षेत्र की सीटें गंवाने के बाद उन्होंने अपने वादे के मुताबिक इस्तीफा दे दीया है। वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल चुके हैं और वापस जल्द मिलेंगे। ऐसे में राज्य सरकार को मीणा को राजी रखने का दबाव राजस्थान सरकार पर है। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व को आशंका है कि कहीं वे सत्ता या संगठन से संबंधित कोई शिकायत आलाकमान के कानों तक नहीं पहुंचा दें। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : राजस्थान में महंगी बिजली से शहरी उपभोक्ता और कटौती व ट्रिपिंग से ग्रामीण उपभोक्ता खासे परेशान हैं। इस बजट में बिजली का आधारभूत ढांचा सुधारने के प्रयास नजर आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स की राय है कि बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को खड़ा करने में समय लगेगा और पैसा भी काफी खर्चा होगा। वोटों की राजनीति में सरकारें लोकलुभावन बजट पेश कर तात्कालिक फायदा देने पर ज्यादा भरोसा रखती हैं, लेकिन इस बार दीर्घकालीन उपाय नजर आ रहे हैं। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : पानी की कीमत राजस्थान के लोगों से ज्यादा कौन जान सकता है। इस बजट में बरसात का पानी रोकने, बांधों के जीर्णोद्धार, नहरी तंत्र खड़ा करने जैसी बाते हैं। हालांकि इससे तात्कालिक राहत नहीं मिलेगी, लेकिन ये बजट सही तरीके से खर्च होगा, तो भविष्य में राजस्थान पानी का अभाव कम झेलेगा। बरसात का पानी रोकने से भूजल स्तर बढ़ेगा, छोटे-बड़े बांधों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। किसानों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : राजस्थान में डबल इंजन की सरकार है। बजट में इस बात की झलक भी दिखाई देती है। राजस्थान में खासकर जैसलमेर-बाड़मेर जैसे मारवाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पेजटल संकट को देखें, तो पानी की कीमत पता चलती है। केंद्र की हर घर में नल के जरिए पानी पहुंचने की योजना के तहत राजस्थान में 25 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा पेयजल संरचना को मजबूत करने के प्रयास भी बजट में दिखाई दे रहे हैं। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : शहरों में मानसून के दौरान खस्ता हालात, पार्किंग व्यवस्था, वाहनों से ओवरलोड सड़कें और कचरे के निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं होने की शिकायतें रहती हैं। लोगों की नाराजगी विधानसभा चुनावों और निकाय चुनावों में वोटिंग के दौरान नजर आ जाती है। स्थानीय राजनीति में ये मुद्दे काफी दखल रखते हैं। बजट में इन शिकायतों को दूर करने का प्रयास किया है, जिससे अगले निकाय चुनाव में बीजेपी को फायदा मिल सकता है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : राजस्थान सरकार में किरोड़ी के बाद दूसरे अनुभवी और वरिष्ठ मंत्री हैं गजेंद्र सिंह खींवसर। राजस्थान में बिजली-पानी के जैसे ही चिकित्सा क्षेत्र का आधारभूत ढांचा सुधारने की काफी गुंजाइश है। सरकार ने इस क्षेत्र में भी बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करने की बात कही है। इस मामले में ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : पिछले दशकों और खासकर पिछली सरकार के कार्यकाल को देखें, तो युवा राजनीति की धूरी रहे। पेपर लीक, परीक्षाओं में देरी और उनके कोर्ट में अटकने के कारण प्रदेश के युवा काफी हताश रहे। इस कारण प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल आदि के मुद्दे राजनीति में छाए रहे। युवाओं की कांग्रेस सरकार से नाराजगी के कारण उनके वोट बीजेपी को मिले। अब बजट में नाराज युवाओं को साधने का प्रयास किया गया है। पेपर लीक मामलों में सख्ती के साथ-साथ 100 गिरफ्तारियां होने का हवाला भी दीया गया है। पांच साल में 4 लाख भर्तियां और इस साल 1 लाख से अधिक भर्तियों की घोषणा हुई है। वहीं कौशल विकास और खेल को भी काफी प्रमुखता दी गई है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : दीया कुमारी डिप्टी सीएम होने के साथ-साथ राज्य की वित्त मंत्री और जयपुर शहर की विधायक हैं। अपने प्रभाव के जरिए वे खुद के विभागों का बजट बढ़ा सकती थीं। लेकिन राजस्थान की जरूरत के हिसाब से विभिन्न विभागों में राशि के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बजट में केंद्र सरकार के विजन-2047 को ध्यान में रखने का जिक्र किया। बजट में किए गए संकल्पों में पहला संकल्प राजस्थान को 350 बिलियन की इकोनॉमी बनाने का रहा। इस बजट में उन्होंने स्टेट हाईवे सहित नई सड़कों के निर्माण और सड़क नेटवर्क को बढ़ाने व मजबूत करने के लिए अगले पांच साल का विजन व खर्चे का अनुमान रखा है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : पूर्ण बजट मानसून के समय आया है। मानसून के दौर में आमजन, नेता सहित कई संस्थाएं पौधे रोप रही हैं। वन क्षेत्र कम होने की चिंता भी दुनियाभर में की जा रही है। पिछले दशकों से हर सरकार पौधे लगाने पर जोर दे रही है। इस सरकार ने भी हरियालो राजस्थान मिशन शुरू करने की घोषणा की है और वन मित्रों को लगाने की बात भी की गई है। सरकार ने बजट में पर्यावरण प्रेम का अच्छा संकेत दिया है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : जनजातीय क्षेत्र बीजेपी के लिए हमेशा टेंशन भरा रहता है। यहां कांग्रेस या बीएपी पार्टी बीजेपी को पछाड़ देती है। इस लोकसभा चुनाव से पहले इस जनजाती क्षेत्र में राजनीतिक उथल पुथल रही। कांग्रेस के बड़े नेता रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय को बीजेपी ने पार्टी में शामिल कर लोकसभा चुनाव लड़वाया। लेकिन वे भी बीजेपी के लिए सीट नहीं जीत सके। यहां कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन किया और लोकसभा में गठबंधन ने सीट जीत ली। अब इस क्षेत्र की चौरासी सीट पर विधानसभा चुनाव होना है। इस कारण जनजातीय क्षेत्र पर भी फोकस किया गया है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : पिछले कई सालों से मंदिर और गाय राजनीतिक मुद्दा बन गई है। हर चुनाव में बीजेपी गौरक्षक होने का दावा करती है, तो कांग्रेस गायों की दुर्गति को लेकर बीजेपी पर निशाना साधती है। देश और राज्य में बीजेपी की सरकारे हैं और उनका हिन्दू एजेंडा उन्हें सूट करता है, बजट में इसकी झलक भी दिखी है। बजट में देवस्थान, पशुपालन और डेयरी के लिए पिछले बजटों की तुलना में अधिक राशि का प्रावधान किया गया है। तीन बड़ी घोषणाएं मायने क्या? : रोडवेज कर्मियों को रोजवेज की अनदेखी की राज्य सरकारों से नाराजगी रही है और आशंका भी रहती है कि कहीं रोडवेज का निजीकरण न हो जाए। इस सरकार ने बजट प्रस्तावों के जरिए रोजवेजकर्मियों के विश्वास को जीतने का प्रयास किया है। रोडवेज में बसों का बेड़ा बढ़ाने को लेकर रोडवेज प्रबंधन की ही नहीं, बल्कि यात्रियों की भी मांग है। रोडवेज बसें उन क्षेत्रों में भी पहुंचती हैं, जहां नुकसान होने की आशंका के चलते निजी बसें नहीं पहुंचती। उपचुनाव वाले जिलों का भी रखा ध्यान राजस्थान में दौसा, झुंझुनूं, देवली-उनियारा (टोंक), खींवसर (नागौर), चौरासी (बांसवाड़ा) में उप चुनाव होने हैं। सभी सीटों पर कांग्रेस और गठबंधन सहयोगी पार्टियों का दबदबा है। बजट में इन सीटों को ध्यान में रखते हुए इन जिलों के विकास कार्यों पर बजट प्रावधान किए गए हैं। झुंझुनूं : स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली राशि 50 हजार से बढ़ा कर 60 हजार रुपए कर दी गई है, इस घोषणा के जरिए झुंझुनूं सीट को साधने की कोशिश की है। वहीं, झुंझुनू के लिए यमुना जल की सौगात, सोलर पार्क, बाईपास के लिए 161 करोड़ जैसे प्रावधान किए गए हैं। चौरासी : आदिवासी बहुल क्षेत्र चौरासी में बीएपी अपना प्रभाव जमा चुकी है। यहां उपचुनाव वोटर्स को साधने के लिए उपचुनाव से पहले गोविंद गुरू जनजातीय विकास योजना में 75 करोड़ के विकास कार्यों के साथ वन अधिकार के तहत पट्टे दिए जाने की घोषणा की गई है। दौसा व टोंक : एससी-एसटी वोटर्स को ध्यान में रखते हुए एससी व एसटी फंड में 1500 करोड़ करने की घोषणा और बाबा साहेब आंबेडकर योजना की घोषणा की गई है। वहीं, दौसा में औधोगिक एवं लॉजिस्टिक हब, ITI-ट्रॉमा सेंटर, 5 करोड़ की लागत से सड़कें, आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, ट्रोमा सेंटर, आयुष्मान मॉडल प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र जैसे सौगातें दी गई हैं। टोंक के लिए भी कई विकास कार्यों की घोषणाएं की गई हैं। खींवसर उपचुनाव को देखते हुए नागौर में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट अपग्रेड करने सहित सड़कों आदि के लिए कई घोषणा की गई हैं। यह भी पढ़ेंः बजट में घोषणाओं की छड़ी पुरानी, सितारे नए:गुजरात की जगह अब एमपी मॉडल, 4 लाख नौकरियां कैसे देगी सरकार, 10 सवालों में एनालिसिस राजस्थान में पिछले कई सालों से राज्य बजट में छाया ‘घोषणाओं का मानसून’ इस बार भी खूब बरसा। विधानसभा में लहरिया साड़ी पहने वित्त मंत्री दीया कुमारी ने एक के बाद एक 188 बड़ी घोषणाएं कर दीं। (पूरी खबर पढ़ें)

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