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देश में हर साल करीब 10 लाख होम लोन दिए जाते हैं। इनमें 70% मामले ऐसे हैं, जिनमें बैंक, एनबीएफसी या अन्य वित्तीय संस्थान होम लोन की रकम ट्रांसफर करने से पहले ही ब्याज का मीटर चालू कर देते हैं। जबकि, RBI की गाइड लाइंस कहती हैं कि ऐसा नहीं कर सकते। मामला नंबर 1 : गुरुग्राम में रहने वाले पेशे से इंजीनियर आयुष चौधरी अपने परिवार के लिए घर खरीदना चाहते थे। एक 3 बीएचके फ्लैट पसंद आया। लोन लेने बैंक पहुंचे। डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया पूरी हुई। सैंक्शन लेटर भी मिला। लोन आवंटन (डिस्बर्सल) की प्रक्रिया चल रही थी। चूंकि, अभी बिल्डर के खाते में पैसा नहीं आया था। इसलिए पजेशन भी नहीं मिला था। लेकिन अचानक उनके फोन में ~1.2 लाख की EMI कटने का अलर्ट मैसेज आ गया। वे बैंक के पास गए। बहस की। कहा, लोन की राशि बिल्डर के खाते में गई ही नहीं। EMI कैसे शुरू कर दी। जवाब मिला सैंक्शन के बाद डिस्बर्सल का चेक बन चुका है। बैंक के लोन अकाउंट से राशि कट चुकी है। इसलिए तकनीकी रूप से डिस्बर्सल हो चुका है। मामला नंबर 2 : इसी तरह, भोपाल में रहने वाली विजयिता सिंह (बदला नाम) के साथ भी हुआ। बिल्डर से एग्रीमेंट हुआ। हमीदिया रोड स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा पहुंचीं। 22.5 लाख रु. का लोन मंजूर हुआ। अभी रजिस्ट्री बाकी थी। इससे पहले ही बैंक ने चेक बनाकर डिस्बर्सल दिखा दिया। उन्हें 13,370 रुपए का ब्याज भरने का संदेश भेज दिया। कहा गया कि आप पर बकाया राशि चढ़ गई है। पूछा तो बैंक से जवाब मिला कि चेक बन गया है, अब ब्याज देना होगा। नियम ये है… फंड ट्रांसफर होने से पहले न ब्याज ले सकते हैं, न ईएमआई; लिया तो लौटाना होगा
होम लोन मंजूर करने या ग्राहक से लोन का करार होने के तुरंत बाद ही बैंक ब्याज वसूली शुरू कर देते हैं। वे राशि के आवंटन तक का इंतजार नहीं करते हैं… नियम : राशि ट्रांसफर करने के बाद माह के जो दिन बचे हैं, उतने ही दिन का ब्याज लेना चाहिए।
कर ये रहे : लोन माह में किसी भी दिन आवंटित हो, लेकिन ब्याज पूरे माह का लिया जाता है। नियम : अतिरिक्त ली EMI को पूरी लोन राशि से घटाने के बाद ही ब्याज वसूलना चाहिए।
कर ये रहे : कई मामलों में बैंक लोन की एक EMI अतिरिक्त ले लेते हैं। मगर ब्याज की गणना पूरी लोन राशि पर ही करते हैं। RBI की 29 अप्रैल 2024 को जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, ये निष्पक्षता व पारदर्शिता की भावना के विपरीत है। बैंकों ने जो अतिरिक्त राशि ली है। उसे तत्काल लौटाई जाए। बैंकों से उम्मीद की जाती है कि वे लोन का ऑनलाइन ट्रांसफर करें। भास्कर एक्सपर्ट; बैंक न माने तो बैंकिंग लोकपाल में शिकायत दें
भले लोन राशि का चेक तैयार हो, लेकिन जब तक राशि बिल्डर के खाते में न पहुंचे तो साफ है कि पैसे का उपयोग नहीं हुआ। ऐसे में इस अवधि की EMI या फिर ब्याज लेना दोनों गलत है। बैंक से तत्काल राशि लौटाने को कहें। न माने तो बैंकिंग लोकपाल में चले जाएं। – आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार बैंक भी मान रहे ये गलत… जिस ब्रांच में ऐसा हुआ, कार्रवाई करेंगे
जब बैंक खाते से आरटीजीएस या एनईएफटी से लोन की राशि बिल्डर तक पहुंच जाए उसी को डिस्बर्सल मानते हैं। अगर कोई फिजिकल चेक बनाकर अपने पास रख ले और ब्याज लगाने लगे तो यह गलत है। जिस ब्रांच में यह हो रहा है। उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे। – पीयूष गुप्ता, एजीएम (पीआर), बैंक ऑफ बड़ौदा, मुंबई गलत वसूली करने वाले बैंकों का अजीब तर्क… पैसे अटक गए तो
हेराफेरी करने वाले बैंकों का तर्क है- रजिस्ट्री में चेक नंबर लगता है। इसलिए चेक बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक माध्यमों से फंड ट्रांसफर के बाद ‘ट्रांजेक्शन कोड’ जनरेट होता है। यह कोड भी रजिस्ट्री में लगता है। लेकिन फंड ट्रांसफर के बाद बिल्डर रजिस्ट्री से इंकार कर दे तो बैंकों का पैसा ही अटक जाएगा। जानकार इससे सहमत नहीं, वे कहते हैं, रजिस्ट्री में बैंक खुद पार्टी होती है। ऐसे में वे रियल टाइम पर कोड जनरेट कर सकते हैं। पर डॉक्यूमेंटेशन होते ही चेक बनाकर ब्याज शुरू कर देते हैं।

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