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पति के दोस्त से अफेयर बना मर्डर की वजह:तलाक के लिए तैयार नहीं था, हत्या की साजिश में मां भी शामिल, पार्ट-2

राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट 1 में आपने पढ़ा कि बाड़मेर जिले में 8 नवंबर, 2016 को सड़क किनारे झाड़ियों में युवक की लाश मिली थी। उसकी हत्या की गई थी। उसकी शिनाख्त धोरीमन्ना थाने के कोठाला के रहने वाले गुमानाराम के बेटे गोमाराम के रूप में हुई थी। पुलिस को जांच के दौरान ही बाटाडू गांव के एक लड़के की जानकारी मिली थी। ये लड़का गोमाराम के साथ उसके घर आता-जाता रहता था। हैरान करने वाली बात ये थी कि जब वो गोमाराम के ससुराल गया था तो गोमाराम उसके साथ नहीं था। पुलिस को ये बात खटक रही थी। हालंकि अभी भी पुलिस के पास कोई ठोस एविडेंस नहीं था, लेकिन अब इन्वेस्टिगेशन के कई सवाल सामने थे। अब पढ़िए आगे की कहानी… पुलिस इन्वेस्टिगेशन में बाटाडू गांव के उस लड़के की पहचान दुर्गाणियों का तला के रहने वाले गंगाराम के रूप में हुई थी। पुलिस ने उसे थाने लाकर सख्ती से पूछताछ की। पूछताछ में गंगाराम ने कबूल कर लिया कि उसने ही गोमाराम का मर्डर किया है। उसने एक चौंकाने वाला खुलासा कि गोमाराम की हत्या में उसकी पत्नी वीरो और सास जीयो भी शामिल थीं। इस खुलासे के बाद पुलिस ने 14 नवंबर, 2016 की सुबह उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद तीनों ने जो बताया वो और ज्यादा हैरान करने वाला था… राजस्थान के बाड़मेर जिले के कोठाला के रहने वाले गोमाराम का 15-16 साल पहले लुखू गांव के श्रवणराम चौधरी की बेटी वीरो के साथ बालविवाह हुआ था। वीरो की उम्र 4 और गोमाराम की 10 साल थी। वीरो जब 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तभी उस का गौना गोमाराम से कर दिया गया था। वीरो ने वैवाहिक जीवन को लेकर कई ख्वाब देखे थे। गौने के बाद जब पति को देखा तो सारे ख्वाब टूट गए। उसने सोचा था कि उसका पति हैंडसम और स्मार्ट होगा, लेकिन गोमाराम की साधारण शक्ल सूरत थी। गोमाराम दुबला-पतला था। हर समय शराब के नशे में डूबा रहता था। पत्नी से जैसे उसे कोई लगाव ही नहीं था। अनजाने में पहली बार फोन पर गंगाराम से बात गौने के कुछ दिनों बाद वीरो जब मायके आई तो उसने अपना दुखड़ा अपनी मां से कहा। बोली- मैं ऐसे शराबी के साथ जिंदगी कैसे गुजारूंगी? बेटी की व्यथा सुन कर मां को भी महसूस हुआ कि बचपन में गोमाराम के साथ शादी कराकर उसने बड़ी गलती की थी। मां ने उसे दिलासा दिया कि समय के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा। वीरो स्कूल में गर्मियों की छुट्टियों में ससुराल गई। मगर पति की शराब की आदत में कोई सुधार नहीं आया। वीरो 6 महीने से मायके में ही रही। इधर, गोमाराम जोधपुर शहर की एक फैक्ट्री में नौकरी कर रहा था। उसके साथ गंगाराम और उसका भाई चूनाराम भी काम करते थे। तीनों की अच्छी बनती थी। गोमाराम अपनी ज्यादातर कमाई शराब में उड़ा देता था। गंगाराम और चूनाराम शराब को हाथ तक नहीं लगाते थे। गोमाराम कभी-कभी वीरो से फोन पर बातें कर लेता था। वीरो उससे आने को कहती तो वह पैसे न होने की बात कह कर टाल देता था। पैसे न होने पर गोमाराम ने अपना मोबाइल चूनाराम को बेच दिया। चूनाराम ने वह मोबाइल अपने भाई गंगाराम को दे दिया। वीरो को यह बात पता नहीं थी। वीरो ने पति को कॉल किया तो फोन गंगाराम ने रिसीव किया। वीरो ने फोन पर पूछा, ‘कैसे हो?’ इधर से गंगाराम ने जवाब दिया ‘मैं तो ठीक हूं, तुम कैसी हो?’ वीरो अलग सी आवाज से चौंकी, आवाज पति की नहीं थी और वह इतनी तमीज से बात भी नहीं करता था। उसने कहा, ‘यह नंबर तो गोमाराम का है, आप कौन बोल रहे हैं?’ इस पर वो बोला ‘मैं गोमाराम का दोस्त गंगाराम बोल रह हूं। उन का फोन मैंने खरीद लिया है। आप इसी नंबर पर फोन करना, मैं गोमा से बात करा दूंगा।’ वोरो ने कहा, ‘बात क्या करनी है, उन्हें तो शराब पीने से ही फुरसत नहीं है’। इस पर गंगाराम बोला ‘आप सही कह रही हैं। उसे सचमुच किसी की परवाह नहीं है। दिन रात शराब पीता रहता है।’ मां-बेटी बोलीं- तलाक नहीं दे तो रास्ते से हटा दो इसके बाद दोनों अक्सर मोबाइल पर बातें करने लगे। एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो गए। वीरो ने अपनी मां जीयो को भी गंगाराम के बारे में बता दिया। जीयो ने भी गंगाराम से कहा कि गोमाराम के साथ उस की बेटी खुश नहीं है। अगर वीरो का गोमाराम से तलाक हो जाए तो वह अपनी बेटी का ब्याह उसके साथ कर देगी। वीरो ने भी गंगाराम से कहा कि वह गोमाराम का दोस्त है, उसे तलाक के लिए मनाए। एक दिन गोमा जब शराब के नशे में धुत था तो गंगाराम ने उससे कहा, ‘तुम वीरो का जीवन क्यों बरबाद कर रहे हो, उसे तलाक दे दो।’ गोमाराम ने गुस्से में कहा कि ‘तलाक तो मैं उसे इस जन्म में नहीं दूंगा।’ गंगाराम ने यह बात जब वीरो को और वीरो ने अपनी मां को बताई। इसके बाद उन्होंने गंगाराम को अपने गांव लुखू बुलाया। मां-बेटी ने गंगाराम से कहा कि गोमाराम अगर तलाक के लिए राजी न हो तो उसे रास्ते से हटा दे। गंगाराम भी इसके लिए राजी हो गया। पहले शराब पिलाई, फिर नशे की हालत में मर्डर 7 नवंबर, 2016 को गंगाराम को मौका मिल गया। दिन में ही गोमाराम उसे शराब के नशे में धुत मिल गया। उसने रात होने का इंतजार किया। रात करीब 8 बजे गंगाराम ने अपनी मोटरसाइकिल पर गोमाराम को बिठाया और गांव चलने को कहा। बालोतरा रोड पर मोटरसाइकिल पहुंची तो रास्ते में भांडू गांव के ठेके से गंगाराम ने शराब की बोतल खरीद कर गोमाराम को दी। एक जगह बैठ कर वह उसे पी गया। इस के बाद दोनों ने कल्याणपुर के एक ढाबे पर खाना खाया। गंगाराम को लग रहा था कि गोमाराम अभी भी होश में है। उस ने पचपदरा में जोधपुर रोड पर उसे फिर शराब पिलाई। इससे उसे गहरा नशा हो गया। मोटरसाइकिल के पीछे बैठ कर वह लहराने लगा। गंगाराम तो इसी मौके की ताक में था। वह गोमा को मोटरसाइकिल से उतार कर बबूल की झाड़ियों के बीच ले गया। वहीं उस का गला दबा कर मार डाला। लाश को वहीं छोड़ कर वह मोटर साइकिल से जोधपुर चला गया। इसके बाद गंगाराम ने गोमाराम की हत्या करने की बात वीरो तथा जीयो को बता दी। वीरो खुश भी थी कि अब गंगाराम से ब्याह कर लेगी। गंगाराम भी यही सोच रहा था। मगर पुलिस ने उन के मंसूबों पर पानी फेरते हुए महज 5 दिनों में इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया। पूछताछ के बाद पुलिस ने 16 नवंबर, 2016 को तीनों को पचपदरा की कोर्ट में पेश किया, जहां से वीरो और जीयो को केंद्रीय कारागार जोधपुर और गंगाराम को बालोतरा जेल भेज दिया गया। 9 साल पहले झाड़ियों में मिली लाश की मिस्ट्री:पिता बोले- किसी से दुश्मनी नहीं, एक अनजान शख्स की मौजूदगी से मिला सुराग

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