‘मैं राजवीर सिंह। पाकिस्तान के अमरकोट से भारत आया। दिल्ली में पासपोर्ट सरेंडर किया और भारत की नागरिकता के लिए कोशिश की। आखिर 7 साल 10 महीने बाद मुझे भारत की नागरिकता मिल गई। यहां मेरे बच्चों का भविष्य ब्राइट होगा। पाकिस्तान में हालात और खराब होंगे।’ यह कहना है पाकिस्तान से भारत आए राजवीर सिंह साढो (41) का। राजवीर को गुरुवार को नागौर के कलेक्ट्रेट में अतिरिक्त जिला कलेक्टर चंपालाल जीनगर ने भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा। उन्होंने बताया कि नागौर के खींवसर थाना क्षेत्र आचिणा गांव में उनकी शादी 2013 में रावत कंवर (32) से हुई थी। आज (22 नवंबर) को मेरी पत्नी का जन्मदिन है। भारत की नागरिकता से बेहतर गिफ्ट हमारे लिए कुछ नहीं है। शादी के बाद 7 साल नागरिकता के लिए इंतजार किया शादी के बाद मैं 3-4 बार भारत आया। शादी के बाद मैं पाकिस्तान चला गया। 2014 में मुझे बड़ा बेटा हुआ और 2017 में दूसरा बेटा हुआ। मैं 2020 का इंतजार कर रहा था। क्योंकि भारत में नागरिकता हासिल करने के लिए संविधान में साफ लिखा है कि अगर कोई दूसरे देश का व्यक्ति भारत की महिला से शादी करता है तो शादी की तारीख के 7 साल बाद ही नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है। दूसरे बेटे के जन्म के बाद 21 जनवरी 2017 को मैं लॉन्ग टर्म वीजा लेकर भारत आया। यह वीजा दो साल का था। अवधि बढ़ाने के लिए इसे हर दो साल में रिन्यू कराना होता है। ऐसे में 2019 में मैंने इसे रिन्यू कराया। 2020 में कोरोना के कारण मैं भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई नहीं कर पाया और लॉन्ग टर्म वीजा की अवधि बढ़ाता रहा। ससुराल में रहकर खेती बाड़ी करना शुरू किया इस दौरान मैं अपने ससुराल आचिणा गांव में ही रहा और खेती बाड़ी करना शुरू कर दिया। करीब डेढ़ साल पहले भारत की नागरिकता के लिए प्रक्रिया शुरू हुई। मैंने दिल्ली दूतावास में अपना पासपोर्ट सरेंडर किया और नागरिकता के लिए अप्लाई कर दिया। इसमें 6 महीने दिल्ली ऐंबैसी में और 4 महीने नागौर जिला प्रशासन की प्रक्रिया में लग गए। कुल मिलाकर 10 महीने में मेरे सारे कागजात कंप्लीट हो गए। आज भारत का नागरिक बनकर बहुत खुशी हो रही है। यहां भारत में मेरे दोनों बच्चों का भविष्य उज्ज्वल है। पाकिस्तान में हालात ठीक नहीं हैं। वहां आने वाला वक्त और बुरा होगा। अब में ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट और अमेजॉन के जरिए फल और सब्जियां बेचता हूं। साथ ही ससुराल में खेती-बाड़ी कर अपना परिवार पाल रहा हूं। बड़ा बेटा 10 साल और छोटा बेटा 7 साल का है। दिल्ली से NOC मिलने के बाद सौंपा नागरिकता प्रमाण पत्र एसपी ऑफिस नागौर में पदस्थापित विदेश पाकिस्तान सेल प्रभारी भंवर सिंह खोजा ने बताया- नागौर में राजवीर में एसपी ऑफिस में आवेदन किया था। दिल्ली दूतावास के निर्देश के बाद नागौर एसपी ऑफिस ने उसका फिजिकल वैरिफिकेशन किया। रिपोर्ट तैयार की गई। इसके बाद रिपोर्ट को दूतावास को भेजा गया। वहां से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी होने के बाद शुक्रवार को राजवीर सिंह को भारत की नागरिकता दे दी गई। लंदन से किया है बिजनेस एडमिस्ट्रेशन में डिप्लोमा राजवीर सिंह ने बताया- मेरे परिवार के बाकी लोग पाकिस्तान के अमरकोट में ही रहते हैं। मैंने पाकिस्तान के शहर जामशोरो स्थित हैदराबाद सिंध यूनिवर्सिटी से ग्रेज्यूएशन किया था। इसके बाद सेंट एल्फेन लंदन से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा किया। भारत का जब बंटवारा हुआ तो यहां से 1947 में राजपूत साढो परिवार पाकिस्तान चले गए थे। हमारे कुल में शादियां भारत के राजपूतों में ही हो सकती हैं। मेरी बुआ किशन कंवर की शादी नागौर के खींवसर निवासी गोविंद सिंह से हुई थी। मेरे फूफा गोविंद सिंह और बुआ किशन कंवर ने ही मेरी शादी रावत कंवर से करवाई। आज पत्नी का जन्म दिन, शानदार गिफ्ट राजवीर ने बताया- मेरी पत्नी का जन्मदिन 22 नवंबर को आता है। पत्नी रावत कंवर के जन्मदिन पर भारतीय नागरिकता मिलना ही सबसे बड़ा गिफ्ट है। मेरे दो साले हैं। बड़े साले तख्त सिंह मुंबई में नौकरी करते हैं और छोटे साले ईश्वर सिंह आचीणा में ही खेती-बाड़ी करते हैं। राजवीर सिंह ने बताया- भारतीय नागरिकता मिलने के बाद यूके (ब्रिटेन) जाकर वहां नौकरी करने का सपना है।