जयपुर | बेटे की जगह पर दो बार बेटियों को जन्म देने पर प|ी को प्रताड़ित कर उसे चार साल की बेटी की हत्या कर खुद सुसाइड करने के लिए उकसाने- मजबूर करने वाले अभियुक्त पति मुकेश निठारवाल को जयपुर मेट्रो-द्वितीय की महिला उत्पीड़न मामलों की विशेष कोर्ट ने 10 साल कैद व दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट के जज आशुतोष कुमावत ने फैसले में कहा कि मौजूदा युग में जहां कई क्षेत्रों में लड़कियां, लड़कों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन कर रही हैं। पर यह भी विडम्बना है कि एक स्त्री जिसके मनचाही संतान पैदा करना वश में नहीं है, उसको लड़की पैदा करने का दोषी मानकर प्रताड़ित किया जा रहा है। इस केस में विवाहिता से इतनी क्रूरता की गई कि उसे अपनी चार साल की बेटी को फंदे पर लटकाने के बाद खुद भी सुसाइड करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं मिला। इसलिए अभियुक्त के प्रति किसी तरह की नरमी नहीं रख सकते। लोक अभियोजक नरेश गजराज ने बताया कि अभियुक्त और सुनीता का दूसरा विवाह आटा-साटा प्रथा से 2018 में हुआ था। शादी के बाद सुनीता ने दो बेटियों को जन्म दिया। बेटे को जन्म नहीं देने पर ससुरालवाले उसे आए दिन प्रताड़ित करते थे। जब उससे मारपीट की तो उसने थाने में शिकायत दर्ज कराई। मार्च, 2020 में उसने दूसरी बेटी को जन्म दिया तो ससुराल वाले उसे अस्पताल में ही छोड़ आए। बाद में शिकायत व पुलिस समझाइश के बाद वे सुनीता को लेकर गए। इस प्रताड़ना से परेशान होकर सुनीता ने 4 जुलाई, 2023 को पहले अपनी 4 साल की बेटी को फांसी से लटका दिया और बाद में खुद भी फांसी लगा ली। मृतका के पिता ने दी रिपोर्ट सुनीता के पिता ने इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ चालान पेश किया। अभियुक्त ने बचाव में कहा कि उसके साले से ही उसकी बहन की शादी हुई थी। उसकी बहन ससुराल छोड़कर पीहर में रहने लगी थी। उसका साला अपनी पत्नी को भिजवाने के लिए मृतका पर दबाव डालता था। इससे परेशान होकर ही उसने सुसाइड किया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर अभियुक्त को कैद व जुर्माने की सजा सुनाई।