धोखाधड़ी से नौकरी लगने के मामले में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार लोढ़ा को सस्पेंड कर दिया है। रजिस्ट्रार भंवरलाल मेहरड़ा की ओर से जारी आदेश के अनुसार इस दौरान उनका मुख्यालय कुलसचिव कार्यालय रहेगा। विश्वविद्यालय ने डॉ. लोढ़ा को सस्पेंड करने की कार्रवाई सरकार की ओर से दिए गए आदेश की पालना में की है। नियमों के अनुसार नहीं था अनुभव बता दें कि मामला मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान में आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. हरिशंकर मेवाड़ा ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र भेजकर डॉ. लोढ़ा के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। डॉ. लोढ़ा की नियुक्ति 2013 में हुई थी। उन्होंने आवेदन में 4 साल 8 माह का शिक्षण अनुभव बताया, जबकि यूजीसी नियमों के अनुसार यह 8 साल होना चाहिए। लोढ़ा ने 2003 में अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक छात्र को पीएचडी कराने का दावा किया, लेकिन उनकी खुद 2006 में पीएचडी की शिकायत मिलने पर तत्कालीन वीसी ओम थानवी के कार्यकाल में हुई प्रारंभिक जांच में लोढ़ा को दोषी पाया गया। दूसरे विश्वविद्यालयों के 3 प्रोफेसरों की कमेटी व प्रबंध बोर्ड के 2 सदस्यों की कमेटी ने भी नियुक्ति को गलत माना । FIR के लिए मांगा विभाग से मार्गदर्शन उच्च शिक्षा विभाग ने डॉ. लोढ़ा को सस्पेंड कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ उनके खिलाफ एफआईआर विश्वविद्यालय ने ऐसा नहीं किया। रजिस्ट्रार दर्ज करवाने के लिए भी कहा था, लेकिन भंवर लाल मेहरड़ा ने बताया कि इसके लिए विभाग से मार्गदर्शन मांगा है। उन्होंने बताया कि प्रबंध बोर्ड की पिछली बैठक में इस प्रकरण की नए सिरे से जांच का निर्णय हुआ था इसलिए यह मार्गदर्शन मांगा गया है कि इस स्थिति में एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है या नहीं।
पत्रकारिता-विवि के एसोसिएट-प्रोफेसर पर धोखाधड़ी से नौकरी लगने का आरोप:सरकार के आदेश पर कार्रवाई हुई, रजिस्ट्रार ने सस्पेंड किया
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