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शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक और सौगात मिलने वाली है। फतहसागर व पिछोला के बाद अब दूधतलाई में बोटिंग की तैयारी है। खास बात यह है कि यहां पेडल बोट के साथ ही शिकारा नाव चलाई जाएगी। इसके अलावा शहर में पहली बार यहां जॉरबिंग बैलून भी शुरू किया जाएगा। इससे झील में वाटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया जा सकेगा। दूधतलाई में कुल 12 पेडल बोट, 6 शिकारा और 2 जोरबिंग बैलून शुरू किए जाएंगे। एक रेस्क्यू बोट भी रहेगी। एक शिकारा और 5 पेडल बोट को पानी में उतारा जा चुका है। इन्हें 23 जून से शुरू होनी थी, लेकिन बाकी नावें नहीं आने से काम अटक गया। अब इस माह के अंत तक ये शुरू हो सकती हैं। नगर निगम ने इसके लिए उदयपुर की सांई राम एसोसिएट्स कंपनी को 5 साल के लिए ठेका दिया है। निविदाएं पिछले 17 मार्च को खुल चुकी हैं। बोटिंग के लिए दूधतलाई में पिछोला की पाल की तरफ से जेटी तैयार हो गई है। निगर निगम ने यह ठेका 8.71 लाख रुपए सालाना में दिया है। इसमें हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। पांच साल का ठेका करीब 53.23 लाख का होगा। जेटी पर जाने वाले पुल को पौधे लगे गमलों से सजाया जाएगा। सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित 2 गोताखोर भी तैनात रहेंगे। बता दें कि अभी पिछोला में निगम 16 और फतहसागर में यूआई 14 नावें संचालित कराता है। लेकिन फतहसागर में अभी 7 नावें ही चल रही हैं। दूधतलाई पिछोला झील से सटी है। बोटिंग और घूमने के लिए पिछोला में रोज 200 से 250 पर्यटक पहुंचते हैं। छुट्‌टियों, त्योहारों और वीकेंड में यह आंकड़ा 500 से 700 तक पहुंच जाता है। दूधतलाई में अभी तक पर्यटकों के लिए खास कुछ नहीं होने के कारण वे पिछोला तक आने के बावजूद यहां नहीं आते हैं। अब पर्यटकों के आने के साथ ही झील को साफ-सुथरा रखने पर भी ध्यान दिया जाएगा। वाटर स्पोर्ट्स का लुत्फ उठा सकेंगे, 12 पेडल बोट भी 12 पेडल बोट में से 6 बोट टू सीटर और छह बोट 4 सीटर होंगी। इसे लोग खुद पेडल मारकर चलाएंगे। शिकारा में लाइसेंसधारी चालक के साथ 6 यात्री सवार होंगे। दोनों नावें 20 मिनट तक दूधतलाई का राउंड करवाएंगी। इनका किराया 100 से 240 रुपए तक होगा। यह चार साल तक तो यही रहेगा। इसके बाद पांचवें साल किराये में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकेगी। जॉरबिंग बैलून में व्यक्ति को बंद कर झील में छोड़ा जाएगा। ये काम प्रशिक्षित व्यक्ति की निगरानी में होगा। इसका किराया 120 से 240 तक रहेगा। बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स का संचालन सुबह 8 बजे से सूर्यास्त तक रहेगा। जॉरबिंग बैलून… पानी पर चलने- कूदने और लुढ़कने का आनंद देगा
जॉरबिंग बॉल या वाटर बैलून प्लास्टिक का बड़ा, पारदर्शी, फुलाया हुआ गोला (जॉरब) होता है। इसमें एक व्यक्ति प्रवेश करता है। इसे पैक करने के बाद बॉल को झील में डाला जाता है। बॉल को पानी की सतह पर लुढ़काया या घुमाया जाता है। बॉल के अंदर वाला व्यक्ति गेंद के अंदर चलने, दौड़ने और लुढ़कने का आनंद लेता है। इसमें लाइफ जैकेट पहनना और प्रशिक्षित कर्मचारियों की निगरानी में रहना जरूरी है। गर्भवती महिला, दिल की समस्या वाले या जिन लोगों की हाल ही सर्जरी हुई, उन्हें इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। बता दें कि इससे पहले शहर से 40 किमी दूर डोल माता क्षेत्र में ईको पार्क बनाया था। जहां एक वॉटर रोलर भी शुरू किया था। चुनौती… सतह तक है जलीय घास और पौधे
दूधतलाई पर पिछोल छोर से लेकर माताजी मंदिर तक का हिस्सा जलीय पौधों से भरा है। झील प्रेमी यहां कभी-कभार इसमें फैले कचरे को निकाल देते हैं। हालात ये हैं कि पौधे पानी की सतह तक पहुंच गए हैं। ऐसे में यहां पेडल बोट चलाना चुनौती भरा रहेगा। कभी किसी के पानी में गिर जाने पर उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा। निगम ने अब तक कभी डिवीडिंग मशीन से इसमें सफाई नहीं की है।

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