चित्तौड़गढ़ शहर के महिला एवं बाल चिकित्सालय के पालना गृह में मिली एक नवजात बच्ची को अब उसकी नई पहचान मिल गई है। बच्ची का नाम ‘प्रज्ञा’ रखा गया है। यह नाम बहुत ही प्यार और सोच के साथ चुना गया है, जिसमें ज्ञान, समझ और आत्मिक उजास का संदेश छिपा है। दरअसल, यह बच्ची 5 जुलाई को महिला एवं बाल चिकित्सालय परिसर में बने पालना गृह में रखी मिली थी। जब इसकी सूचना हॉस्पिटल के स्टॉफ को मिली तो उसे 4 दिन तक हॉस्पिटल में रखा गया। इसके बाद बच्ची को बाल कल्याण समिति की देखरेख में ले लिया गया। समिति ने उसे शिशु गृह में आश्रय दिया, जहां उसकी पूरी देखभाल की जा रही है। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल ने बताया कि 8 जुलाई को इस बच्ची को शिशु गृह में लाया गया। खास बात यह रही कि इसके 2 दिन बाद यानी 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व था। यह दिन गुरु और ज्ञान की पूजा का पर्व माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए समिति की सभी सदस्यों ने मिलकर बच्ची का नाम प्रज्ञा रखा। प्रज्ञा शब्द का अर्थ होता है – बुद्धि, विवेक और आत्मिक जागरूकता। यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। गुरु पूर्णिमा के दिन मां गायत्री की पूजा की जाती है, जिन्हें ‘प्रज्ञा शक्ति’ का साक्षात रूप माना जाता है। गायत्री देवी को वेदमाता और ज्ञान की देवी कहा जाता है, इसलिए प्रज्ञा नाम इस बच्ची के लिए बेहद सुंदर और सार्थक माना गया। अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल ने बताया कि बच्ची अभी स्वस्थ है और उसे शिशु गृह में मदर मिल्क बैंक से दूध दिया जा रहा है। उसकी और शिशु गृह के सभी बच्चों के लिए देखभाल के लिए 3 शिफ्ट में 6 आया महिलाएं तैनात हैं, जो प्यार से उसकी सेवा कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बच्ची के आने से शिशु गृह का माहौल और भी खुशनुमा हो गया है। सभी कर्मचारियों और सहायिकाओं में एक नई ऊर्जा और अपनापन देखने को मिल रहा है। CWC की अध्यक्ष पालीवाल ने अपील करते हुए कहा कि कोई भी नवजात का परित्याग करना हो तो उसे फेंके नहीं, बल्कि महिला एवं बाल चिकित्सालय के परिसर या फिर बाल कल्याण समिति को परिसर में बने पालना गृह में रख सकते है। बच्चों का सुरक्षित परित्याग करें ताकि हम उनका ध्यान रख सके। लीगल फ्री होने के बाद बच्ची के एडॉप्शन की प्रक्रिया शुरू कर सकते है। उसे माता पिता का प्यार, परिवार, एजुकेशन, बेहतरीन परवरिश मिल सकती है