कोटा में तेज बारिश कहर बरपा रही है। सोमवार को 7 दोस्त पिकनिक मनाने घर से निकले थे। वे ओवरफ्लो हुई चंबल नदी में बह गए। इनमें से एक युवक को मौके पर रेस्क्यू कर लिया गया था। वहीं दो दोस्तों आशू (18) और पांचुलाल (37) की डेडबॉडी मंगलवार सुबह मिली। बहने वाले 4 लोगों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। सभी एक साथ ही रंगाई-पुताई का काम करते थे। सोमवार को बारिश के बीच घरवालों को काम पर जाने और दोस्त के बर्थडे का बहाना बनाकर निकले थे। चंबल नदी किनारे पिकनिक मनाने के दौरान हादसे का शिकार हो गए। इनके परिवारों में कोहराम मचा है। किसी के बच्चे देर रात तक अपने पिता का इंतजार करते-करते सो गए। वहीं, कई परिवार रातभर पानी में बहे अपने लोगों की तलाश में इधर-उधर दौड़-भाग करते रहे। किसी के घर में शादी की तैयारियां चल रही थी तो किसी के घर की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। भास्कर टीम इस हादसे के हताहत परिवारों के घर पहुंची और क्या हुआ था यह जानने की कोशिश की… घर से काम पर जाने और बर्थडे में जाने की बात कहकर निकले
बहने वाले 7 लोगों में से 5 कैथून के रहने वाले हैं। 2 निमोदा दिगोद कस्बे के हैं। इनमें धर्मराज उर्फ धर्मेंद्र (22) और देवकीनंदन (19) कैथून से चार किलोमीटर दूर जाखोड़ा गांव के रहने वाले हैं। वहीं रमेश मेघवाल (35) और संजय मेघवाल (38) कैथून के टोडी मोहल्ला के रहने वाले हैं। पांचुलाल (28) निमोदा का रहने वाला था। पांचों आपस में दोस्त व रिश्तेदार हैं। एक साथ काम करते हैं। जानकारी के अनुसार सभी एक ही ग्रुप बनाकर पेटिंग (पुताई) का काम करते हैं। अभी कोटा में मेडिकल कॉलेज के पास ही साइट में काम चल रहा था। लेकिन सोमवार को बारिश होने की वजह से साइट पर काम बंद था। ऐसे में इन्होंने एक साथ निमोदा में चंबल नदी के किनारे पिकनिक मनाने का प्लान बनाया। पीड़ित परिवारों से बातचीत में सामने आया कि हादसे का शिकार हुए कैथून के पांचों युवक घर से सोमवार सुबह काम पर जाने और बर्थडे में जाने की बात कहकर निकले थे। आशू ने घर पर कहा था कि उसके एक दोस्त का बर्थडे है। वहीं अन्य युवक ने घरवालों से काम पर जाने की बात कही थी। निमोदा में संजय के जीजा पांचुलाल का घर है। सभी उनके पास पहुंचे और वहीं स्थित बिरज माता में दर्शन करने पहुंचे। इसके बाद चंबल नदी के बहाव इलाके में चट्टान पर बैठकर मछली पकड़ रहे थे। इसी दौरान बहाव आया और ये पानी में बह गए। दो सगे भाई, एक ही बाइक पर घर से निकले थे
कैथून के जाखोड़ा गांव के धर्मेंद्र और देवकीनंदन सगे भाई हैं। दोनों एक साथ पेंटिंग का काम करते थे। पिता भीमराज गांव-गांव जाकर आइसक्रीम बेचने और मजदूरी का काम करते हैं। भीमराज ने बताया कि दोनों भाई सुबह काम पर जाने की कहकर बाइक से निकले थे। मैं भी मजदूरी करने गया हुआ था। शाम को करीब 5 बजे गांव के लोगों से बेटों के दिगोद में चंबल नदी में बहने की खबर मिली। मुझे आईडी लेकर कैथून थाने बुलाया गया, जिसके बाद ये पक्का हुआ कि धर्मेंद्र और देवकीनंदन ही पानी में बहे हैं। मेरे पैरों से जमीन खिसक गई। पूरा घर इन दो भाइयों की कमाई से ही चलता है। मैं तो बुजुर्ग हो गया हूं। अभी तक उनका कुछ पता नहीं लगा है। पानी का बहाव भी बहुत तेज है। 15 दिन पहले ही शादी की बात पक्की की थी
भीमराज ने बताया कि 15 दिन पहले ही धर्मेंद्र का शादी के लिए बारां में रिश्ता पक्का किया था। हम तो बेटे की शादी का मुहूर्त देख रहे थे। देवउठनी पर शादी की तैयारी भी थी। खुश थे कि घर में नया सदस्य आएगा। लेकिन इस हादसे ने हमारी खुशियां छीन ली। बेटों का क्या होगा कुछ पता नहीं है। भास्कर टीम जाखोड़ा गांव दोनों भाइयों के घर पहुंची। उनकी मां बार-बार बेटों को याद कर उनके जल्द लौट आने की कामना कर रही थी। उनकी आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। रिश्तेदार महिलाएं उन्हें संभालने की कोशिश कर रही थीं। रोते हुए बोलीं- रात में धर्मेंद्र के पेट में दर्द था। घर से निकलने से पहले दोनों भाइयों ने कहा था कि वह कैथून जा रहे हैं। रास्ते में धर्मेंद्र को अस्पताल से दवाई दिलवाकर काम पर जाएंगे। सुबह करीब 10 बजे इनके पिता ने कॉल कर पूछा तो धर्मेंद्र ने बताया था कि दोनों भाई कैथून में ही हैं। अभी बारिश हो रही है, रुकेगी तो काम पर जाएंगे। 2 बजे मैंने बच्चों को कॉल करने को कहा। पिता ने कई बार कॉल किया, लेकिन दोनों ही बच्चों का कॉल नहीं लगा। फोन बंद आ रहा था। बाद में शाम को तो ये सूचना मिली। पिता के इंतजार में देर रात तक जागता रहा बेटा
हादसे का शिकार हुए टोडी मोहल्ले के रहने वाले रमेश मेघवाल सुबह करीब 9 बजे घर से निकले थे। भास्कर टीम उनके घर पहुंची। बडे़ भाई सत्यनारायण ने बताया- वह पड़ोस में ही रहने वाले संजय मेघवाल के साथ निकला था। मां से उसकी बात हुई थी, तो उसने कहा था कि वह काम पर जा रहा है। पत्नी ने खाना बनाया और मां ने टिफिन पैक कर बेटे को पकड़ाया था। शाम को उसके पानी में बहने की खबर मिली। मां बिलखती हुई बार-बार यही कह रही थी कि मेरे बेटे का क्या हुआ? उसे तो मैंने टिफिन पैक करके दिया था। उसने कहा था कि काम पर जा रहा हूं। बड़ी मुश्किल से बड़े बेटे सत्यनारायण ने उन्हें संभाला। पत्नी पास ही जमीन पर चुपचाप सिर झुकाए बैठी थी। पास ही बेटा बैठा था जो अपने पापा के आने का इंतजार कर रहा था। हालांकि उसे ये नहीं पता कि उसके पापा के साथ क्या हुआ, लेकिन घर में सबको रोता देख वह घबरा जाता है। उसे यह पता है कि उसके पापा गुम गए हैं और लोग उन्हें ढूंढ रहे हैं। जीजा-साले भी बहाव में बह गए, कुछ पता नहीं लगा
टोडी मोहल्ले में ही रहने वाले संजय और रमेश दोनों पड़ोसी हैं। दोनों सोमवार को सुबह संजय की बाइक पर ही घर से निकले थे। भास्कर टीम संजय के घर पहुंची। उनके एक बेटी और दो बेटे हैं। परिवार वालों ने बताया कि सोमवार की रात दोनों बेटे पिता का इंतजार करते-करते सो गए। बेटी अपनी मां के साथ बैठी हुई पापा के सही सलामत घर आने की कामना कर रही थी। बेटी ने कहा- मेरे पापा को तलाश कर जल्दी से जल्दी हमारे पास ला दो। संजय की पत्नी ने बताया कि वे सुबह काम पर जाने की बात कहकर निकले थे। खाना लेकर गए थे। उनके साथ ऐसा हादसा कैसे हुआ, कुछ पता नहीं। बस शाम को सूचना मिली कि वह पानी में बह गए। हमारी बस यही मांग है- प्रशासन उन्हें जल्द से जल्द तलाश करे। परिवार में संजय ही सबसे बड़ा था और परिवार की आर्थिक स्थिति संजय के भरोसे ही है। इस हादसे का शिकार होने वाले निमोदा गांव निवासी पांचुलाल संजय के जीजा थे। संजय के चचेरे भाई अनिल ने बताया कि पांचुलाल भी पुताई का ही काम करते थे। लेकिन रविवार को बारिश के चलते साइट पर काम नहीं था। इन सबकी आपस में बात हुई तो कैथून से ये सभी युवक निमोदा चले गए। वहां मंदिर में दर्शन और पिकनिक मनाने के चले गए थे। इससे ज्यादा हमें भी कुछ जानकारी नहीं है। निमोदा के ही रहने वाला बंशीलाल भी इन लोगों के साथ था, जिसे रेस्क्यू कर लिया गया। बर्थडे में जाने की कहकर गया था, पत्थर तोड़ते पिता को मिली हादसे की जानकारी
हादसे में कैथून के चैनपुरा गांव के रहने वाले आशू मेघवाल की मौत हो गई। आशू परिवार चलाने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ पुताई का काम करता था। आशू के पिता नंदा ने बताया कि वह सुबह दोस्त के बर्थडे में जाने की कहकर घर से निकला था। मैंने मना भी किया था बारिश हो रही है, जगह-जगह पानी भरा हुआ है। लेकिन उसने कहा कि वह जल्दी आ जाएगा। मैं जब पत्थर तोड़ रहा था- तभी हादसे की जानकारी मिली। आशू का शव दूसरे दिन मंगलवार को दीगोद में घटनास्थल से 36 किलोमीटर दूर मंडावरा में मिला। आरोप- 2 घंटे तक पानी में फंसे रहे, एक दूसरे का हाथ पकड़कर बचने की कोशिश की
पांचुलाल के भाई आत्माराम ने बताया कि दो घंटे तक ये लोग पानी के बहाव में फंसे हुए थे। एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन रेस्क्यू टीमों ने समय पर कुछ नहीं किया। चंबल में एक साथ पानी छोड़ा गया और तेज बहाव में ये लोग बह गए। इसमें प्रशासन की लापरवाही भी है। पानी में बहे सभी युवक तैरना जानते थे। इस हादसे में एकमात्र जिंदा रेस्क्यू किए गए बंशीलाल से हमने बातचीत करने की कोशिश की। लेकिन परिजनों के मुताबिक वह अभी सदमे में है। किसी से बात करने की स्थिति में नहीं है। मछली पकड़ने गए थे, पुजारी ने भी मना किया था सभी युवक निमोदा में माता मंदिर में दर्शन करने के बाद नदी के बहाव एरिया में चट्टान पर पहुंच गए थे। दिगोद थानाधिकारी पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि ये सभी वहां मछली पकड़ने लगे थे। इस दौरान जब पानी की आवक बढ़ने लगी तो पुजारी ने कहा भी था कि पानी का बहाव तेज हो रहा है। यहां से निकल जाओ। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। दोपहर में चंबल में पानी आवक बढ़ी और ये सभी उस हादसे का शिकार हो गए। इनकी तलाश के लिए एसडीआरएफ की टीमें सर्च अभियान चला रही है। अब पढ़िए वो कारण, जिनसे 24 घंटे में बिगड़े कोटा के हालात दरअसल, कोटा में रविवार रात से सोमवार देर शाम तक रुक-रुक कर 24 घंटे तक बारिश होती रही। इससे शहर की निचली कॉलोनियों में पानी जमा होता गया। दूसरा कोटा के पठारी क्षेत्रों में हुई जबरदस्त बारिश के पानी से रानपुर तालाब फुल हो गया और पानी शहरी इलाकों में घुस गया, जिससे लखावा, रानपुर, मंडाना, बंधा धर्मपुरा समेत नए कोटा के कई इलाकों में बाढ़ के हालात हो गए। वहीं चंबल नदी का जलस्तर बढ़ गया। ऐसे में कोटा बैराज के गेट खोलने पड़े। कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से दिगोद से लेकर कोटा शहर के कई इलाकों में पानी की तेज आवक हुई। कोटा के पास ही कैथून में भी पानी लगातार बढ़ा। यही कारण है कि सोमवार को 2 घंटे में ही 7 लोग चंबल के पानी में बह गए।
