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बनेठा कस्बे में सोमवार को पूरी रस्मों और धार्मिक आस्था से गाजे-बाजे के साथ पीपल और सालिगराम (ठाकुरजी महाराज) का विवाह हुआ। हिंदू परंपराओं के अनुसार मंगल गीतों के बीच आचार्य ने मंत्र उच्चारण कर फेरे कराए। इसमें बनेठा समेत आस पास के हजारों लोग बाराती और घराती बने। विवाह कार्यक्रम में आतिशबाजी की गई। बैंड-बाजों के साथ चाक बासन, निकासी आदि निकाल गई। हल्दी, मेहंदी समेत अन्य रस्में भी निभाई गई। बाराती ही नहीं घरातियो ने भी जमकर डांस किया। शादी से पहले पीपल और सालगराम जी की जन्म कुंडली भी मिलाई गई। इस अनोखे विवाह को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। इस दौरान डीजे की धुन पर बाराती जमकर थिरके. समधी मिलन समारोह का भी कार्यक्रम किया गया। जिस प्रकार से लड़के लड़कियों की शादी होती है, इस प्रकार से विधि विधान के साथ पीपल और सालिगराम जी की शादी कराई गई। शादी के लिए पहले कुंडली मिलाई गई। फिर हल्दी मेहंदी की रस्म के साथ ही लोगों को आमंत्रण भेजकर बुलाया गया। शादी में शामिल होने के लिए सभी ग्रामीण पहुंचे। 15 जुलाई के शुभ अवसर पर सोमवार को पीपल और सालगराम जी का विवाह कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हुआ। दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाया गया पेड़ों को विवाह से पूर्व मेहंदी, हल्दी, बासन कार्यक्रम हुए और इसके बाद विवाह के लिए पीपल को दुल्हन और सालिगराम जी को दूल्हा की तरह तरह सजाया गया। इस मौके पर महिलाओं ने मंगल गीत गाए। धार्मिक अनुष्ठान आचार्य गोपाल शर्मा ने गोधूलि वेला मुहूर्त में विवाह करवाया। भोजन भंडारे का भी आयोजन शादी को संपन्न कराने में सैन समाज सखवाया परिवार ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और पाणिग्रहण संस्कार के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बने । पीपल के पेड़ की शादी नहीं की तो अशुभ पीपलू के आचार्य पंडित कैलाश चंद्र शर्मा एवं गोपाल शर्मा, आवां के पंडित यांती कुमार शर्मा ने बताया कि हिंदू रीति-रिवाजों में सभी धार्मिक कार्य पीपल के पेड़ में किए जा सकते हैं। पीपल का पेड़ स्त्रीलिंग है। इसका विवाह करने के बाद ही यह वृक्ष पवित्र माना जाता है। इसकी शादी सालिग राम जी महाराज और बड़ के पेड़ से भी होती है। हिंदु धर्म ग्रंथों में इसकी शादी के बाद इसे शुभ माना जाता है। फिर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने मात्र से मनोकामना पूर्ण हो जाती है और बंधन बांधने, पूजा करने के लिए पवित्र माना जाता है। इनपुट: संजय सेन, बनेठा

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