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मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत आरएमएससीएल से जीवन रक्षक दवाओं की सप्लाई रुक गई है, जिससे पीबीएम हॉस्पिटल में 52 तरह की दवाओं की भारी किल्लत बनी हुई है। स्थानीय स्तर पर खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं होने से मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। पीबीएम हॉस्पिटल में बच्चों को बुखार में देने के काम आने वाली पेरासिटामॉल कफ सिरप, गैस के कैप्सूल पेंटाप्राजोल से लेकर आयरन के इंजेक्शन तक नहीं हैं। पिछले करीब 15 दिन से आउटडोर में रोज आने वाले और वार्डों में भर्ती मरीजों को दी जाने वाली रोजमर्रा की दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। पीबीएम प्रशासन ने आरएमएससीएल को 52 तरह की दवाओं की डिमांड ऑनलाइन भेजी थी, लेकिन उन्होंने उपलब्ध नहीं होने की सर्टिफिकेट 17 जून को जारी कर दिया। दूसरे दिन 18 जून को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के कार्यवाहक नोडल अधिकारी ने डिमांड और ड्रग वेयर हाउस इंचार्ज ने एनएसी जारी कर दी। पीबीएम अधीक्षक के पास शुक्रवार को फाइल पहुंची, लेकिन उससे पहले ही सीनियर अकाउंट ऑफिसर छुट्टी पर चले गए। अब वे सोमवार को आएंगे। उसके बाद इन दवाओं की लोकल खरीद के ऑर्डर जारी किए जा सकेंगे। सप्लाई में कम से कम 16 दिन लगेंगे। तब तक मरीजों को दवाएं बाजार से ही खरीदनी पड़ेंगी। प्रदेशभर की सरकारी अस्पालों में दवाएं शॉर्ट राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत दवाएं शॉर्ट चल रही हैं। दवाओं की खरीद आरएमएससीएल के तहत होती है। वहीं से सभी अस्पतालों में सप्लाई की जाती हैं, लेकिन पिछले दो महीने से सप्लाई बाधित चल रही है। रोज काम आने वाली दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रहीं पीबीएम हॉस्पिटल के ओपीडी में आने वाले और भर्ती मरीजों के रोज काम आने वाली दवाएं भी डीडीसी और ड्रग वेयर हाउस पर नहीं मिल रही हैं। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत यह दवाएं पीबीएम हॉस्पिटल के डीडीसी पर निशुल्क देने का प्रावधान है, लेकिन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। पीबीएम के ईएनटी विभाग में घंटों लाइन में लगने के बाद भी दवाई नहीं मिली। गर्मी में परेशान हुए लोग। इसलिए होती है खरीद में देर मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत 1500 से अधिक तरह की दवाओं की सप्लाई आरएमएससीएल से होती है। वहां दवा आउट ऑफ स्टॉक होने पर खरीद स्थानीय स्तर पर करने का प्रावधान है, लेकिन इस प्रक्रिया में हमेशा विलंब होता है। दवाओं की डिमांड विभिन्न विभागों के एचओडी की तरफ से भेजी जाती है। उनकी सामूहिक डिमांड नोडल अधिकारी तैयार कर ड्रग वेयर हाउस भेज देते हैं। यह डिमांड आरएमएससीएल के पोर्टल पर भी नजर आती है। आरएमएससीएल के पास स्टॉक में नहीं होने पर ड्रग वेयर हाउस से एनएसी जारी की जाती है। खरीद प्रक्रिया अधीक्षक कार्यालय से होती है। वहीं पर कागजी प्रक्रिया में टाइम लग जाता है। इसके अलावा विभागों से भी डिमांड देर से मिलती है। इस पूरे प्रोसेस में 10 से 15 दिन का समय लगता है। लोकल खरीद में विक्रेता को सप्लाई के लिए 16 दिन का समय भी देना होता है। तब तक मरीजों को परेशान होना पड़ता है। अधीक्षक बोले-आरएमएससीएल के पास भी दवाएं शॉर्ट

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