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पुलिस ट्रेनिंग में पढ़ाते हैं ये दिल दहलाने वाला केस:10 साल पहले 7 साल के बच्चे का किडनैप-मर्डर, कार से मिला हत्यारे का सुराग, पार्ट-1

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अक्टूबर 2014, कोटा का तलवंडी इलाका। शाम के वक्त 7 साल का एक मासूम पार्क में अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। अचानक वहां एक गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी से उतरे शख्स ने इशारे से मासूम को अपने पास बुलाया। मासूस उस शख्स के पास गया और दूसरे बच्चे खेलने में मशगूल हो गए। कुछ मिनट बाद देखा तो न वो शख्स वहां था, न उसकी कार और न ही 7 साल का मासूम। अगले दिन उस बच्चे की लाश जाखमूंड नहर में मिली। क्राइम फाइल्स में आज बात उस केस की, जिसने सिर्फ कोटा ही नहीं, पूरे राजस्थान को रुला दिया था। वारदात जिसे केस स्टडी के तौर पर पुलिस ट्रेनिंग में पढ़ाया जाता है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 9 अक्टूबर 2014 को कोटा के तलवंडी के पॉश एरिया प्राइवेट सेक्टर निवासी बैंक मैनेजर पुनीत हांडा का 7 साल का बेटा रुद्राक्ष शाम 5.30 बजे घर के पीछे पार्क में खेलने गया था। ये रुद्राक्ष का डेली रूटीन था। शाम को पार्क में जाता और 7 से 7.15 बजे के बीच लौट आता था। उस दिन 7.30 से ज्यादा बज गए थे, लेकिन रुद्राक्ष वापस नहीं लौटा। घरवालों ने भी सोचा रास्ते में ही होगा, इसलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया। शाम करीब 7.35 बजे पुनीत के घर के लैंडलाइन नंबर की घंटी बजी। उस वक्त तक पुनीत भी ड्यूटी से घर आ चुके थे और टीवी देख रहे थे। फोन रुद्राक्ष की मां श्रद्धा ने उठाया। फोन करने वाले ने कहा- ‘मैंने तेरे बेटे रुद्राक्ष को किडनैप कर लिया है।’ ये सुनकर श्रद्धा बुरी तरह घबरा गई। उसने पुनीत को बुलाया। पुनीत फोन पर आया तो किडनैपर ने कहा- ‘तेरे बच्चे को कश्मीर भेज दिया है।’ आरोपी ने खुद का नाम जफर बताया और रुद्राक्ष को छोड़ने के एवज में दो करोड़ की फिरौती मांगी। यह सुनकर पुनीत घबरा गया। उसने कहा- ‘मेरे पास इतने रुपए नहीं है।’ इस पर किडनैपर बोला- ‘तू बैंक में मैनेजर है और तेरी पत्नी स्कूल में टीचर है। पैसों का इंतजाम कर नहीं तो बेटा जिंदा नहीं बचेगा। पुलिस को फोन करने की गलती मत करना, मैं तेरे दोस्त मनीष को भी जानता हूं।’ जब कॉल आया तब रुद्राक्ष के दादा उसे लेने के लिए पार्क ही जा रहे थे। अपहरण की बात सुनकर पूरे परिवार के हाथ-पांव फूल गए। पूरे शहर के होटल-धर्मशालाएं खंगाली, लेकिन पता नहीं लगा
घरवालों को लगा कि ये फेक कॉल भी हो सकता है। ऐसे में परिवार के लोग दौड़कर पार्क में पहुंचे, जहां रुद्राक्ष खेलने गया था। बहुत ढूंढा, लेकिन रुद्राक्ष का कुछ पता नहीं चला। उसके साथ खेलने वाले दूसरे बच्चों से बात की। बच्चों ने बताया कि एक अंकल रुद्राक्ष से बात कर रहे थे। परिवार का माथा ठनका, हो न हो जिस शख्स के बारे में बच्चे बता रहे हैं, शायद वही किडनैपर है। रुद्राक्ष के पिता पुनीत तुरंत जवाहर नगर थाने पहुंचे और तत्कालीन सीआई हरिचरण मीणा को वारदात की जानकारी दी। वारदात की जानकारी लगते ही पुलिस टीम पुनीत के घर पहुंच गई। कॉल करने वाले की जानकारी जुटाने की कोशिशें शुरू हुई। घर का फोन भी टेप किया। कुछ ही देर में किडनैपिंग की जानकारी जंगल की आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। जनप्रतिनिधि पुनीत के घर पहुंचने लगे। केस की गंभीरता को देखते हुए आईजी और तत्कालीन कार्यवाहक एसपी भी मौके पर पहुंचे और टीमें गठित की। पूरे शहर में नाकाबंदी के साथ-साथ चेकिंग होनी शुरू हुई। एक टीम आस-पास के सीसीटीवी कैमरे खंगालने लगी। एक टीम रुद्राक्ष के साथ खेलने वाले बच्चों से जानकारी जुटाने लगी। साइबर टीम, टेक्निकल टीमें भी केस में जुट गई। इसी दौरान पुलिस को बच्चों ने जानकारी दी कि एक अंकल कार से आए थे और पुनीत से बात कर रहे थे। पुलिस ने इसी आधार पर पार्क के पास लगे सीसीटीवी के फुटेज खंगालने शुरू किए। कार मालिक का पता लगवाने के लिए खुलवाया शोरूम
एक फुटेज में पुलिस को पार्क के पास कार नजर आई। पुलिस ने 2-3 दिन के फुटेज खंगाले तो वही कार एक और दिन पार्क के पास दिखी। अब पुलिस का शक और पुख्ता हो गया कि हो न हो, इसी कार में रुद्राक्ष का अपहरण किया गया है। कार के नंबर नहीं दिख रहे थे तो पुलिस कार कंपनी के शोरूम पहुंची और रिकॉर्ड की जांच की गई कि किन-किन लोगों को इस कंपनी की इस तरह की गाड़ी बेची गई है। कार मालिकों के एड्रेस लेकर पुलिसकर्मी जांच के लिए उनके घर पहुंचे। एक कार मालिक के घर पहुंचे तो न कार वहां थी और न ही कार मालिक। दूसने दिन नहर में मिली मासूम की लाश
पूरी रात कोटा पुलिस की टीमें शहर और आस-पास के इलाकों में बच्चे के तलाश करती रही। किडनैपर ने कॉल करने में जिस सिम कार्ड का यूज किया था, उसे तोड़कर फेंक दिया था, ऐसे में पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही थी। दूसरे दिन अल सुबह कोटा पुलिस को जानकारी मिली कि जाखमूंड नहर में एक बच्चे की लाश मिली है। तत्कालीन एएसपी राजन दुष्यंत ने बताया कि- हमारी पूरी टीम रातभर से इस केस की इन्वेस्टिगेशन में लगी हुई थी। मैं सुबह साढ़े चार बजे घर पहुंचा था। ‘सुबह 6 बजे कंट्रोल रूम से बच्चे का शव मिलने का कॉल आ गया। मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि ये शव रुद्राक्ष का न हो।’ तत्कालीन एएसपी राजन दुष्यंत पुलिस टीम के साथ जाखमूंड नहर पहुंचे और शव बाहर निकलवाया। शव रुद्राक्ष का ही था। किडनैपिंग की वारदात अब मर्डर केस में बदल गई थी। पुलिस टीम रुद्राक्ष का शव पोस्टमॉर्टम के लिए एमबीएस अस्पताल लेकर गई। वहां रुद्राक्ष के परिवार के लोग भी पहुंच गए। मासूस बेटे का शव देखकर परिवार का दर्द हद से पार हो गया। पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर सिर्फ रुद्राक्ष के परिवार की चीत्कारें गूंज रही थीं। जैसे-तैसे पुलिस ने स्थिति संभाली और पोस्टमॉर्टम कराया। रुद्राक्ष की मौत को लेकर पूरे कोटा में गुस्सा था। जगह-जगह आंदोलन शुरू हो गए। केस की सीबीआई जांच की मांग होने लगी। अब ये केस सिर्फ पुलिस नहीं पूरी राजस्थान सरकार के लिए चुनौती बन गया था। कोटा के सभी बेहतरीन ऑफिसर्स को केस में लगा दिया
रुद्राक्ष की हत्या से सिर्फ कोटा ही नहीं पूरे राजस्थान में सनसनी फैल गई थी। कोटा पुलिस लगातार केस में जुटी हुई थी। पुलिस के हाथ कई सुराग लगे, लेकिन रुद्राक्ष का हत्यारा अब भी गिरफ्त से दूर था। तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने केस की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन एडीजी क्राइम अजीत सिंह को कोटा भेजा। अजीत सिंह ने करीब 20 दिन से ज्यादा कोटा में कैंप किया। जब वारदात हुई उस समय तक कोटा में कार्यवाहक एसपी मनीष अग्रवाल थे। अमनदीप सिंह को आनन-फानन में कोटा एसपी लगाया गया। पारस जैन जो एसीबी में पदस्थ थे, उन्हें भी इस केस में कोटा लगाया गया। वर्तमान में कोटा एएसपी संजय शर्मा को भी इस केस में लगाया गया था। इसके अलावा कोटा में लंबे समय तक जिन-जिन पुलिस अधिकारियों ने काम किया और जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा था, उन सबको इस केस में लगाया गया। साइबर क्राइम और टेक्निकल एक्सपर्ट प्रताप सिंह ट्रेनिंग में किशनगढ़ थे। वारदात की रात ही हाथों-हाथ उन्हें कोटा बुलाया गया। सबकी अलग-अलग टीमें बनाई गई। एडीजी खुद मॉनिटरिंग के साथ साथ केस में तथ्यों पर काम कर रहे थे। रुद्राक्ष का शव मिल गया था, लेकिन कई सवाल थे, जिनके जवाब मिलना बाकी था… कल पार्ट-2 में पढ़िए इन सभी सवालों के जवाब… ये खबरें भी पढ़ें
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