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गुरु पूर्णिमा के दिन पूंछरी का लौठा आस्था, परंपरा और राजनीति का केंद्र बना। बुधवार शाम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हेलीकॉप्टर से मंदिर परिसर पहुंचे। श्रीनाथजी के दरबार में माथा टेका। गंगाजल से चरणामृत लिया। मुख्यमंत्री ने खुद प्याऊ पर श्रद्धालुओं को पानी पिलाया। दोपहर की गर्मी में जब उन्होंने अपने हाथों से गिलास बढ़ाया, तो लोगों ने सिर्फ पानी नहीं, संवेदनशील नेतृत्व भी महसूस किया। करीब डेढ़ किलोमीटर लंबे परिक्रमा मार्ग पर मुख्यमंत्री की ओर से भंडारे का आयोजन हुआ। हर जाति, वर्ग और प्रांत से आए श्रद्धालुओं ने पत्तल पर बैठकर प्रसाद ग्रहण किया। उसके बाद ​गुरुवार सुबह श्रीनाथजी मंदिर में मंगल दर्शन करेंगे। फिर स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होकर हेलीकॉप्टर से जयपुर के लिए रवाना होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा – “गुरु पूर्णिमा आत्मज्ञान, श्रद्धा और सेवा का पर्व है। इस भूमि से देश-विदेश की खुशहाली, संतों की दीर्घायु और समाज में सद्बुद्धि की प्रार्थना करता हूं।” हर साल लाखों श्रद्धालु इस लक्खी मेले में आते हैं। सीएम के पूंछरी का लौठा पहुंचते ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा- गुरु ही जीवन को अंधकार से उजाले की ओर ले जाते हैं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में गुरु का अहम स्थान होता है। गुरु ही जीवन को अंधकार से उजाले की ओर ले जाते हैं। वे श्रीनाथ जी मंदिर परिसर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वे पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से मुड़िया पूर्णिमा पर गिर्राज जी आ रहे हैं। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि विकास और विरासत साथ-साथ चलने चाहिए। मंदिर हमारी आस्था और संस्कृति के केंद्र हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार प्रदेश में मंदिरों और तीर्थ स्थलों के विकास के लिए लगातार काम कर रही है। भीड़ में हुई धक्का मुक्की मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर पहले से तैयारी चल रही थी। फिर भी व्यवस्थाएं कमजोर दिखीं। हेलीपैड से उतरने के बाद जब मुख्यमंत्री मंदिर पहुंचे, तो वहां पहले से भीड़ थी। लोग उनका अभिवादन करने उमड़े। भीड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। आईजी राहुल प्रकाश और एसपी राजेश मीणा ने मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला। भीड़ को नियंत्रित कर स्थिति सामान्य की।

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