Site icon Raj Daily News

पूर्ण दिव्यांगता के बाद आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी:हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, ऑन ड्यूटी एक्सीडेंट होने पर हुआ था स्थायी दिव्यांग

WhatsAppFacebookTwitterXShare

ऑन ड्यूटी सड़क दुर्घटना में पूर्ण रूप से दिव्यांग हुई सरकारी कर्मचारी को नियमों के तहत रिटायर करते हुए उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने यह आदेश उमाशंकर चौरसिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा- 31 मार्च को रिटायर हो चुके कर्मचारी के रिटायरमेंट से संबंधित सभी परिणाम याचिका के अंतिम आदेश पर निर्भर करेंगे। करीब 8 साल पहले हुआ था एक्सीडेंट अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने बताया- याचिकाकर्ता बारां जिले में महिला एंव बाल विकास विभाग में एएओ के पद पर कार्यरत था। साल 2017 में सरकारी काम से डिप्टी डायरेक्टर के ऑफिस में जाते समय सड़क दुर्घटना के कारण वह पूर्ण रूप से दिव्यांग हो गया। इसी बीच साल 2023 में राज्य सरकार ने राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति नियम 2023 बना दिए। इन नियमों के तहत कोई भी कर्मचारी 55 साल की उम्र से पहले अगर ऑन ड्यूटी रहते हुए पूर्ण दिव्यांगता प्राप्त कर लेता है तो वह निर्योग्यता पेंशन और अपने आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकता हैं। याचिकाकर्ता ने नियमों के तहत आवेदन किया, लेकिन विभाग ने उसके आवेदन पर कोई विचार नहीं किया। मापदंड पूरे करने के बाद भी आवेदन खारिज इस बीच कार्मिक विभाग ने 2 सितम्बर 2024 को आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा- जिन कर्मचारियों ने नियम से पहले पूर्ण दिव्यांगता प्राप्त कर ली है। लेकिन उन्हें मेडिकल बोर्ड ने पूर्ण दिव्यांगता का सर्टिफिकेट नियम के बाद जारी किया है तो ऐसे कर्मचारियों के आवेदन पर भी विचार किया जाएगा। इस स्पष्टीकरण के बाद याचिकाकर्ता ने फिर से आवेदन किया। लेकिन विभाग ने इस बार फरवरी 2025 में उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जब याचिकाकर्ता ने आवेदन किया तो उसकी उम्र 55 साल से ज्यादा थी। इसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि नियमों के तहत पूर्ण दिव्यांगता प्राप्त करने के समय कर्मचारी की उम्र 55 साल से कम होनी चाहिए। जब उसका एक्सीडेंट हुआ और उसमें उसकी पूर्ण दिव्यांगता हुई तब उसकी उम्र 52 साल थी। उस समय यह नियम ही नहीं बने थे। ऐसे में वह अप्लाई कैसे कर सकता था। सभी मापदंड पूरे करने के बाद भी विभाग ने आवेदन को खारिज कर दिया।

WhatsAppFacebookTwitterXShare
Exit mobile version