अतिक्रमियों को बचाने के लिए सरकारी सिस्टम ही कैसे नतमस्तक हो जाता है, इसका ताजा उदाहरण जोधपुर के लालसागर वनखंड में सामने आया है। लालसागर वनखंड में खसरा संख्या 1893 में ढाई दशक पहले कांग्रेसी नेताओं व पूर्व सीएम के 31 करीबियों ने अतिक्रमण कर लिए। दो साल पहले जब यहां सरकारी गर्ल्स कॉलेज के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू हुई, तब तत्कालीन यूआईटी में रद्द किए गए 22 और शेष 9 अतिक्रमण जद में पाए गए। तत्कालीन सीएमओ के दो ओएसडी के मौखिक दखल के बाद वन विभाग, राजस्व विभाग ने 16 मार्च 2023 को सीमांकन ही बदलकर वन विभाग के नक्शे से 25 से 30 बीघा जमीन गायब कर दी। जब इसकी शिकायत तत्कालीन सीएमओ में हुई तो कार्रवाई नहीं हुई। सीएमओ के स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई तो पीएमओ में शिकायत की गई। वहां से जोधपुर कलेक्टर से इसकी रिपोर्ट मांगी गई। प्रशासन की ओर से एडीएम (तृतीय) सुनीता पंकज ने नगर निगम की रिपोर्ट के आधार पर गलत तथ्य वाली रिपोर्ट भेज दी। इस आधार पर गत 13 अप्रैल को पीएमओ के पोर्टल पर इस शिकायत का निस्तारण कर दिया गया। दूसरी ओर वन विभाग ने हाल में हाईकोर्ट के निर्देश पर जोधपुर शहर के आसपास वनभूमि पर काबिज अतिक्रमण हटाने के 6 हजार नोटिस दिए, लेकिन उनकी जमीन पर काबिज रिकाॅर्ड में 9 अतिक्रमियों के नाम नहीं होने से कब्जा हटाने का नोटिस ही नहीं दिया। कारण कि प्रभावशाली अतिक्रमियों ने सरकारी रिकाॅर्ड से अपने पट्टों के दस्तावेज ही गायब कर दिए। गर्ल्स कॉलेज को वन भूमि पर जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू होने पर सामाजिक कार्यकर्ता महेश गहलोत ने 10 दिसंबर 2021 को सीएमओ में इसकी शिकायत की। सीएमओ ने नगर निगम उत्तर से इसका जवाब मांगा, लेकिन नगर निगम की ओर से दो साल तक इसका जवाब ही नहीं दिया। इसके बाद निगम उत्तर के कमिश्नर अतुल प्रकाश ने 23 अगस्त 2023 को सीएमओ को भेजी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा कि गर्ल्स कॉलेज को आवंटित की जा रही जमीन वन विभाग के क्षेत्राधिकार की है। इसके बावजूद सरकार ने एक्शन नहीं लिया तो गहलोत ने 25 अगस्त 2023 को पीएमओ में शिकायत दर्ज कराई और बताया कि निर्माण के बावजूद परिसीमन व बदले गए नक्शे की जांच की जाए। इस पर पीएमओ ने गत 15 जनवरी को जोधपुर कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी। कलेक्टर ने वन विभाग, नगर निगम व तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी, फिर एडीएम (तृतीय) ने जांच किए बिना गलत तथ्य वाली रिपोर्ट पीएमओ में भेज दी। इस आधार पर पीएमओ ने निस्तारण कर दिया। डीएफओ मोहित गुप्ता का कहना है कि वनखंड के मूल नक्शे में फेरबदल किया गया। इसकी जांच की जा रही है। वर्ष 2003 के पुराने नक्शे में 47 और 9 नंबर के पिलर, 2023 के नए में कर दिए गायब वन विभाग ने 2003 में राजस्व विभाग के साथ संयुक्त सर्वे कर मंडोर रेंज के लालसागर और पूंजला वनखंड का सीमांकन कर संयुक्त नक्शा जारी किया था। इसमें सीमांकन के लिए 49 पिलर दर्शाए गए। इसमें पूंजला का खसरा नंबर 5 और मंडोर (लालसागर) का खसरा संख्या 1893 का एरिया बताया गया। तत्कालीन यूआईटी और वन विभाग के 25 मई 2003 को सर्वे के आधार पर इसी नक्शे पर सहमति बनी थी। 2003 में ही इसी जमीन पर कब्जा करने वाले 31 जनों को यूआईटी ने पट्टे जारी कर दिए, शिकायत हुई तो तुरंत ही 22 पट्टे निरस्त कर दिए, शेष 9 पट्टे निरस्त नहीं किए। साथ ही 9 जने राजनीतिक रसूख वाले होने के कारण यूआईटी से इसका रिकाॅर्ड ही गायब कर दिया। गर्ल्स कॉलेज को यहां जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू हुई तो इन लोगों के दबाव में नक्शे से पिलर संख्या 47 से 9 गायब ही कर दिया, ताकि वन विभाग नौ जनों के अतिक्रमण नहीं हटा सके। मुझे याद नहीं, क्या रिपोर्ट भेजी थी पीएमओ में गलत सीमांकन की शिकायत को लेकर क्या रिपोर्ट भेजी थी, ये मुझे याद नहीं आ रहा है। रिकाॅर्ड दुबारा देखकर ही सही का पता चलेगा। -सुनीता पंकज, एडीएम (तृतीय)