जयपुर जिले के दूदू कस्बे का एक गांव सखून। इसी गांव के किसान परिवार में 12 अप्रैल 2000 को एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चे को जन्म से ही एक पैर में पोलियो था। लेकिन बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी। 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की और फिर बड़े भाई अजयपाल के कहने पर खेलों की तरफ रुख किया। बड़े भाई ने ही कोच समरजीत सिंह मल्ली से मिलवाया। इसके बाद शुरू हुई महेंद्र की कोचिंग की क्लास। पांच साल की कड़ी मेहनत के महेंद्र ने अपने कोच को वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गुरु दक्षिणा दी। लगातार दो थ्रो में दो बार तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड
महेंद्र ने अपने ही वर्ल्ड रिकॉर्ड को 7वीं इंडियन ओपन इंटरनेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में लगातार दो थ्रो में दो बार तोड़ा। पैरा जेवलिन में राजस्थान से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले महेन्द्र देवेन्द्र झाझड़िया और सुंदर गुर्जर के बाद तीसरे एथलीट हैं। हालांकि, देवेन्द्र और सुंदर की कैटेगरी अलग थी। उन्हें हाथ की समस्या थी जबकि महेन्द्र को पोलियो है। कोच मल्ली भी जीत चुके हैं एशियन चैम्पियनशिप में मेडल, 4 एकड़ के खेत को एकेडमी में बदला कोच मल्ली श्रीगंगानगर के रामसिंहपुर गांव से हैं। यहीं उन्होंने अपनी मां सुरेन्द्र सिंह कौर मल्ली के नाम से एकेडमी खोल रखी है। अपने ही 4 एकड़ के खेत को एकेडमी में तब्दील किया। महेन्द्र को कोरोना काल में मल्ली ने यहीं ट्रेनिंग कराई। मल्ली कहते हैं, ‘कोरोना के समय मैं महेन्द्र को अपने गांव ले आया। यहीं इसकी ट्रेनिंग हुई। उस दौरान इसकी थ्रो में करीब 10 मीटर का इजाफा हुआ। अभी यह मेरे पास एनआईएस पटियाला में ट्रेनिंग करता है। अभी इसका टारगेट नई दिल्ली में होने वाली पैरा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप है।’ कोच ने खुद भी एशियन चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल के साथ-साथ कई अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। कब-कब बनाए वर्ल्ड रिकॉर्ड
