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पैर फिसलने से नहर में डूब गया कासिम:नहर में डूबने से श्रमिक की मौत, साथी बोले-सोलर के लिए ट्रांसमिशन लाइन खींच रहा था

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बरजू पावर ग्रिड सब स्टेशन पर सुरक्षा मानकों की लापरवाही के चलते एक श्रमिक की मौत के दूसरे दिन ही सोलर प्लांट पर काम करने वाले एक अन्य श्रमिक की नहर में डूबने से मौत हो गई।पावर ग्रिड सब स्टेशन पर गुरुवार शाम को पोकलेन मशीन की चपेट में आने से केला गांव के सुभान खान की मौत हो गई। इस घटना के करीब 22 घंटे बाद यानी शुक्रवार सुबह करीब दस बजे इंदिरा गांधी नहर की आरडी 560 पर हादसा हो गया। सोलर प्लांट पर काम करते समय पश्चिम बंगाल निवासी 42 वर्षीय कासिम की नहर में डूबने से मौत हो गई। उसका शव 28 घंटे बाद शनिवार को एसडीआरएफ की मदद से निकाला जा सका। छत्तरगढ़ पुलिस थाने में दर्ज मर्ग एफआईआर में कासिम की मौत का कारण पैर फिसलने से डूबना बताया गया है। यह रिपोर्ट परिवादी बाबू रब्बानी आलम की ओर से दर्ज कराई गई है, जो बिजली लाइन का ठेकेदार बताया जा रहा है। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव बाबू को सौंप दिया, जिसे लेकर वे पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गए।भास्कर ने जब बाबू रब्बानी से हादसे को लेकर बातचीत की तो पता चला कि कासिम ट्रांसमिशन पोल से बिजली का तार खींचने का काम कर रहा था। बाबू ने बताया कि वैसे तो तार ट्रैक्टर के जरिए खींचे जाते हैं, लेकिन नहर बीच में पड़ने के कारण कासिम रस्सी लेकर दूसरी तरफ जा रहा था। उसी दौरान रस्सी छूटने से हादसा हो गया। उसने दुखी स्वर में कहा, “कासिम तैरना जानता था, लेकिन पता नहीं कैसे हादसा हो गया।” वह पश्चिम बंगाल के महाराजपुर का रहने वाला था। उसके पत्नी और तीन बच्चे हैं। बाबू ने बताया कि घटना के बाद पुलिस और सोलर कंपनी के अधिकारी मौके पर आ गए थे। हमने मुआवजे की मांग की। कंपनी ने करीब 27 लाख रुपए देने की बात कही है। भास्कर इनसाइट : बाबू ने कहा – पैर नहीं फिसला, रस्सी खींच रहा था Q | पुलिस ने एफआईआर में लिखा, नहाने उतरा था, पैर फिसल गया। हकीकत में क्या हुआ था?बाबू नहीं, ऐसा नहीं है। कासिम नहर से रस्सी खींच रहा था। कमर पर रस्सी बांधी थी। अचानक रस्सी एक तरफ से छूट गई। Q | पुलिस को बताया यह सब?बाबू हां, बताया है सब। पुलिस ने क्या लिखा, पता नहीं। हमें लिखना नहीं आता। Q | कितने लोग काम कर रहे थे वहां पर?बाबू मेरे साथ कासिम के अलावा प्रशांता शाह, सुशांत शाह भी थे। Q | घटनास्थल पर कौन-कौन आया?बाबू पुलिस आ गई थी। महिंद्रा कंपनी के लोग भी आ गए थे। Q | मुआवजा मिला क्या?बाबू मुआवजे की मांग की थी। 27 लाख रुपए देने की बात कंपनी ने कही है। Q | काम कब से चल रहा था?बाबू तार खींचने का काम तीन महीने से चल रहा था। हम सभी साथ रहते हैं। एक ही गांव के हैं। ईद पर घर गए थे। आठ जुलाई को ही वापस लौटे हैं। बड़ा सवाल… सुरक्षा मानकों की अनदेखी, जिम्मेदार कौन? जिले में इन दिनों बड़ी संख्या में सोलर प्लांट लग रहे हैं। देशभर की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने करोड़ों रुपए का निवेश किया है। भास्कर टीम ने पावर ग्रिड कोऑपरेशन से लेकर कई सोलर प्लांटों का जायजा लिया — हर जगह सुरक्षा मानकों की अनदेखी नजर आई। टावर पर श्रमिक बिना दस्ताने और हेलमेट के काम कर रहे हैं। नहर पार करने के लिए श्रमिकों के पास यदि लाइफ जैकेट होती तो उसकी जान बच सकती थी। इन लापरवाहियों के कारण दो दिन में दो श्रमिकों की जान चली गई। जिला प्रशासन को चाहिए कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। साढ़े तीन घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन इंदिरा गांधी नहर से कासिम का शव निकालने के लिए एसडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार दोपहर करीब साढ़े तीन घंटे तक चला। हवलदार रामेश्वर लाल के नेतृत्व में टीम ने दोपहर 12 बजे ऑपरेशन शुरू किया। दोपहर करीब 3:30 बजे आरडी 559 के पास शव बरामद हो गया।छत्तरगढ़ एसएचओ भजनलाल ने बताया कि अधिक समय तक पानी में रहने के कारण बॉडी डिकंपोज होकर फूल गई थी। “परिवादी की रिपोर्ट पर ही हमने मर्ग दर्ज की है। वहां पर महिंद्रा कंपनी सोलर प्लांट लगा रही है। ट्रांसमिशन लाइन का काम टेरिन पावर नामक कंपनी को दे रखा है। उनके यहां बाहर की लेबर काम करती है। जांच एएसआई गोविंद सिंह को सौंपी गई है।” – भजनलाल, थाना प्रभारी, छत्तरगढ़

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