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प्रतापगढ़ जिले की धमोत्तर पंचायत समिति के मानपुरा गांव में सोमवार को परंपरागत लठमार होली का आयोजन किया गया। यह परंपरा लबाना बाहुल्य क्षेत्रों में सदियों से चली आ रही है। होली की शुरुआत शाम के समय विधि-विधान से की गई। पहले पूजा-अर्चना की गई। पुरुषों और महिलाओं ने नगाड़ों की थाप पर ललेनो नृत्य किया। इसके बाद लठमार होली की रस्म शुरू हुई। महिलाओं ने पुरुषों को घेरकर लाठियां बरसाईं। पुरुषों ने अपनी लाठियों से बचाव किया। स्थानीय भाषा में इस परंपरा को ‘नेजा लुटना’ कहा जाता है। इस अवसर पर आस-पास के कई गांवों से लोग भी शामिल हुए। समाजसेवी दशरथ लबाना, गांव के नायक अशोक लबाना, गोत्र नायक नानूराम और मनोहर लबाना ने इस परंपरा के बारे में जानकारी दी। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यह परंपरा पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं को समानता का दर्जा देने के लिए शुरू की गई थी। पुराने समय में महिलाओं की उपेक्षा होती थी। इस कारण उनके मन में पुरुषों के प्रति कुंठा के भाव पैदा होते थे। होली के इस पावन अवसर पर महिलाएं अपने देवर और अन्य रिश्तेदारों पर लाठियां बरसाकर सालभर की कुंठाओं को दूर करती हैं। पुरुष भी खुशी-खुशी इस मार को स्वीकार करते हैं। इस खेल से पहले भगवान शिव और पार्वती के सुखमय जीवन के गीत गाए जाते हैं।

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