समय से पहले मानसून आने का असर खेतों में भी दिखाई देने लगा है। एक सप्ताह में प्रदेश के 30 से 35 जिलों में अच्छी बारिश हो चुकी है। इसी का परिणाम है कि किसान करीब दस प्रतिशत खरीफ फसलों की बुवाई कर चुके हैं। जबकि अभी बुवाई में काफी समय भी बचा है। आमतौर पर खरीफ फसलों की बुवाई जून में शुरू होकर जुलाई महीने तक चलती है। अभी जून महीने का भी एक सप्ताह बाकी है। कृषि विभाग ने इस मानसून सीजन में खरीफ फसलों का कुल लक्ष्य 1.65 करोड़ हेक्टेयर से अधिक निर्धारित किया है। इस बार जल्दी बारिश होने के कारण इसमें से करीब 15 लाख हेक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है। विभाग ने गत वर्ष की तुलना में इस साल खरीफ फसलों का लक्ष्य करीब 300 हजार हेक्टेयर बढ़ाया है। इस आंकड़े में कुछ फसलों का एरिया घटा है तो कइयों का बढ़ गया है। जहां धान, ज्वार, बाजरा, मूंगफली और ग्वार की बुवाई का एरिया कुछ कम बताया गया है तो मूंग, मोठ, उड़द, चवला, अरहर, तिल, सोयाबीन, अरंडी और कपास के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की गई है। धान, ज्वार बाजरा सहित अन्य मोटा अनाज गत वर्ष, जहां 6019 हजार हेक्टेयर में बोया गया था, वहीं इस साल 6120 हजार हेक्टेयर में बुवाई की जाएगी। 20 जून तक 2.83 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो गई है। इसी तरह दलहनी फसलों में सबसे ज्यादा मूंग की 2550 हजार हेक्टेयर एरिया में खेती की जाएगी। इसका रकबा भी पिछले साल की तुलना में करीब 2 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। दलहनी फसलों को देखें तो इस वर्ष 40.4 लाख हेक्टेयर एरिया में बोई जाएगी। जबकि पिछले साल इसकी खेती 3706 हजार हेक्टेयर एरिया में हुई थी। अन्य फसलों की तरह 1.68 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुवाई भी किसान कर चुके हैं। वहीं, ऑयली सीड फसलों का लक्ष्य मामूली बढ़ाया गया है। पिछले साल 2514 हजार हेक्टेयर में थी, इस बार 2580 हजार हेक्टेयर में होगी। सबसे ज्यादा कपास, मूंगफली और गन्ने की हो चुकी बुवाई खरीफ सीजन में अब तक करीब दस % फसलों की बुवाई हुई है। इसमें सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत कपास की है। इसके बाद 58 प्रतिशत गन्ने की तथा 38 % मूंगफली की हुई है। इसी तरह दस प्रतिशत धान की, दो प्रतिशत ज्वार की, छह प्रतिशत बाजरा बोया जा चुका है। दलहनी फसलों में सबसे ज्यादा 7 प्रतिशत चवला और 6 प्रतिशत मूंग की बुवाई हुई है। दहलन आयात में कमी करने के लिहाज से इस बार लक्ष्य अधिक तय किया है।