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प्री मानसून बारिश का लाभ लें, मक्का व मूंगफलीबो सकते हैं, सब्जी बोने वाले खेत तैयार कर लें

आप खेती-किसानी से जुड़े किस विषय पर जानकारी चाहते हैं,वॉट्सएप नंबर 9314240829 पर सिर्फ मैसेज करें। प्रिय अन्नदाता,प्री मानसून ने राजस्थान में दस्तक दे दी है। कई जगहों पर अच्छी बारिश हुईहै। किसानों को बारिश लाभ उठाना चाहिए। अच्छी बारिश वाले जिलों मेंमूंगफली, मेवाड़-वागड़ में मक्का व अन्य जगहों पर बाजरे की बुवाई की जासकती है। बरसात अगेती फसलों के लिए वरदान साबितहोगी। अभी बुवाई करने से खेतों में नमी का फसल कोफायदा होगा। पानी की उपलब्धता वाले खेतों में बाजरा बो सकते हैं। चारे के लिए बाजरा बोने वाले किसान भीबुवाई कर सकते हैं। दलहनी फसलों की बुवाई भी कर सकते हैं : बारिश की नमी का उपयोग करते हुए खरीफ की दलहनी फसलें (दाल, ग्वार, मूंग, मोठ) आदि की बुवाई भी की जा सकती है। बारिश की कमी वाली जगहों पर बुवाई मानसून आने पर ही करनी चाहिए। फलदार पौधों के लिए गड्‌ढे जल्द खोद लें : जिन किसानों को खेतों में फलदार पौधे लगाने हैं, उन्होंने गड्‌ढों की खुदाई कर ली होगी। अब तक नहीं की है तो गड्‌ढे जल्दी खोद लें। बारिश आते ही फलदार पौधों की बुवाई हो सकेगी। सब्जी बोने वाले किसान खेत तैयार रखें : तरबूज, खरबूज, भिंडी की जगह अब खरीफ की कद्दूवर्गीय सब्जियां बोई जाएगी। कद्दूवर्गीय (टिंडा, लौकी, तुरई,ग्वारफली, चवले की फली, भिंडी) लगाने के इच्छुक किसान खेत तैयार करलें। सब्जी बोने के लिए खेतों की गहरी जुताई करनी है। गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी है।जांच में पोषक तत्व कम आए हों तो इनकी मात्रा पूरी जरूर करें : राजस्थान की मृदा में जिंक की मात्रा कम होती है। इसलिए किसान अपने खेत की मिट्टी कीजांच करवा लें। पोषक तत्वों या जिंक की कमी हो तो कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर इसकी पूर्ति जरूर करवाएं। फसल बोने से पहले बीजोपचार जरूर करें।ताकि मृदा जनित बीमारियों से फसल का बचाव हो सके। जिप्सम का उपयोग करें : किसान फसल उगाने के लिए सामान्यतः नत्रजन,फॉस्फोरस और पोटेशियम का उपयोग करते हैं। कैल्शियम और सल्फर काउपयोग कुछ जागरूक किसान ही करते हैं। इसके चलते भूमि में कैल्शियम,सल्फर की कमी धीरे-धीरे बढ़ रही है। इनकी कमी सघन खेती वाली भूमि,हल्की भूमि और अपक्षरणीय भूमि में ज्यादा होती है। इनकी पूर्ति के लिए जिप्सम एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है। इसमें 23.3% कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। जब यह पानी में घुलता है तो कैल्शियम और सल्फेट आयन प्रदान करता है।तुलनात्मक रूप से कुछ ज्यादा धनात्मक होने के कारण कैल्शियम के आयनमृदा में विद्यमान विनिमय सोडियम के आयनों को हटाकर उनका स्थान ग्रहणकर लेते हैं। मृदा फसलोत्पादन के लिए उपयुक्त हो जाती हैं। जिप्सम खाद भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों का अनुपात बनाने में सहायता करता है। डॉ. योगेश कुमार शर्मासहायक प्रोफेसर, रारीदुर्गापुरा, जयपुर असली सुपर फास्फेट की पहचान ऐसे करें {सुपर फास्फेट के कुछ दाने तवे पर गर्म करें, ये नहींफूलते हैं तो समझ लें कि सही सुपर फास्फेट है। {सख्त दाने, भूरा-कालाबादामी रंग होता है।

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