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फतेहाबाद के क्रिकेटर राजेश वर्मा का भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में चयन हुआ है। अब वह जल्द ही इंटरनेशनल लेवल पर खेलते नजर आएंगे। जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई में इंडियन टीम और श्रीलंका के बीच टूर्नामेंट होने की संभावना है। उसी से राजेश वर्मा की इंटरनेशनल टूर्नामेंट में एंट्री होगी। राजेश वर्मा चंडीगढ़ और हरियाणा के दिव्यांग क्रिकेटरों में स्टार क्रिकेटर के तौर पर पहचान रखते हैं। फतेहाबाद के राजस्थान बॉर्डर के पास भट्‌टू ब्लॉक स्थित गांव दैयड़ निवासी राजेश बेहद साधारण परिवार से हैं। नेशनल टूर्नामेंट के बीच हुआ पिता का निधन दिव्यांगता से जूझने के बावजूद राजेश वर्मा में गजब का जज्बा है। इसी जज्बे ने उन्हें व्हील चेयर क्रिकेट का स्टार बनाया है। नेशनल टूर्नामेंट खेलने के दौरान राजेश के पिता रामकुमार का निधन हो गया था। इसके बाद भी उनके हौंसले पस्त नहीं हुए। उन्होंने टूर्नामेंट को बीच में छोड़कर पारिवारिक रस्में निभाई और दो दिन बाद फिर से जाकर टूर्नामेंट जॉइन किया। उस टूर्नामेंट में कर्नाटक की टीम को हराकर राजेश के बेहतर प्रदर्शन के बल पर चंडीगढ़ की टीम विजेता बनी। 27 वर्षीय राजेश अब तक 43 मैच खेल चुके हैं। जिनमें 78 विकेट ले चुके हैं। 13 रन देकर 5 विकेट उनका हाई स्कोर है। 18 स्टेट की टीमों के टूर्नामेंट में रहे टॉप थ्री गेंदबाज राजेश वर्मा का चयन फरवरी महीने में ग्वालियर में हुए नेशनल टूर्नामेंट के बेहतर प्रदर्शन के आधार पर हुआ। इस टूर्नामेंट में देशभर से 18 स्टेट की टीमों ने भाग लिया था। राजेश इस टूर्नामेंट में टॉप थ्री गेंदबाजों में शामिल रहे। अब चंडीगढ़ की टीम में खेल रहे राजेश ने बताया कि अब वह चंडीगढ़ की टीम में खेलते हैं। कोच जगरूप कुंडू के निर्देशन में उन्होंने व्हीलचेयर क्रिकेट की बारीकियां सीखी हैं। पिछले पांच साल में कई मुकाबले खेले हैं, जिनमें बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है। वह कई मैचों में निर्णायक की भूमिका निभा चुके हैं। पांच पॉइंट में जानिए दिव्यांग क्रिकेटर राजेश का सफर 1. डेढ़ साल के थे, तब पोलियो हो गया राजेश वर्मा के परिवार में माता और वह दो भाई हैं। पिता का इसी साल फरवरी में निधन हो गया था। अब परिवार में उनके साथ मां कमला देवी, भाई जगदीश हैं। भाई जगदीश टैक्सी चलाते हैं। राजेश बताते हैं कि जब उनकी उम्र मात्र डेढ़ साल थी, तब उनको पोलियो हो गया था। वह दोनों पैरों से चल नहीं पाते हैं। 2. मुश्किलें झेली, लेकिन हौंसला बनाए रखा राजेश कहते हैं कि दिव्यांगता के कारण बचपन में काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी। सामान्य बच्चों की तरह न खेल पाते थे और न ही अन्य दिनचर्या पूरी कर पाते थे। मगर परिवार का पूरा साथ व सहयोग रहा। पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। 3. गाड़ी मोडिफाई करवाने गए तो मिली प्रेरणा राजेश अपने क्रिकेट खेलने की शुरुआत के बारे में बताते हैं कि साल 2020 में वह गाड़ी मोडिफाई करवाने के लिए सिरसा जिले के डिंग मंडी में गए थे। वहां उन्हें सुखवंत मिले, जिन्होंने उसे व्हीलचेयर क्रिकेट के बारे में बताया। वहीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने उसी समय से खेलना शुरू किया। पहले गांव में ही प्रेक्टिस शुरू की। इसके बाद पहले जिला, फिर स्टेट और उसके बाद नेशनल लेवल पर खेलना शुरू किया। 4. इन दिनों टी-10 टूर्नामेंट में खेल रहे राजेश ने बताया कि वह इन दिनों ग्वालियर में हैं। जहां टी-10 टूर्नामेंट चल रहा है। इस टूर्नामेंट में चार चंडीगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा की टीम खेल रही है। यह टूर्नामेंट पूरा होने के बाद वह गांव आएंगे। इसके बाद इंडियन दिव्यांग क्रिकेट के इंटरनेशनल मैच के लिए खेलने जाएंगे।

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