जयपुर महानगर प्रथम की फैमली कोर्ट-4 ने शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में माना हैं। जज पवन कुमार ने इस आधार पर पति की तलाक अर्जी को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद करने को मंजूरी दी हैं। दरअसल जयपुर के रहने वाले दंपत्ति के बीच शादी के 15 साल बाद भी शारीरिक संबंध नहीं बने थे। पति का कहना था कि शादी की पहली रात को ही पत्नी ने फिजिकल होने से मना कर दिया था। पत्नी हमेशा परिवार से अलग रहने के लिए झगड़ा करती थी। मांग नहीं बनाने पर आत्महत्या करने और झूठे मुकदमें में फंसाने की धमकियां देती थी। वहीं पत्नी का कहना था कि पति के दूसरी महिलाओं से संबंध थे। इसलिए पति ने कभी शारीरिक संबंध बनाने में रूचि नहीं दिखाई। पत्नी पति के अवैध संबंध साबित नहीं कर सकी
दरअसल दंपत्ति की शादी 3 नवम्बर 2003 को हुई थी। साल 2018 से दोनों अलग रह रहे थे। इस बीच पति ने 22 जुलाई 2021 को तलाक की अर्जी पेश की। जिसके जवाब में पत्नी ने माना कि साल 2013 से 2018 के बीच पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए, क्योंकि पति का अन्य महिला से अवैध संबंध था। लेकिन पत्नी अपने आरोप साबित नहीं कर सकी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केवल आरोप लगाना ही पर्याप्त नहीं है। जिसके द्वारा आरोप लगाए जाते है, उन्हें साबित करने का भार भी उसी पर होता हैं। करीब 20 साल बाद दहेज का मामला दर्ज कराया
अदालत ने अपने आदेश में इस बात को भी माना कि प्रार्थियां ने शादी के 20 साल बाद उस समय दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया। जब उसके पति ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की। दरअसल पति की ओर से 22 जुलाई 2021 को फैमली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। नोटिस मिलने पर पत्नी ने 22 फरवरी 2022 को पति और उसके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करा दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मुकदमें में लगाए गए आरोप संदेहास्पद प्रतीत होते हैं। क्योंकि पत्नी ने करीब 20 साल तक कभी कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया। लेकिन जैसे ही तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल होती है तो पत्नी दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज करा देती हैं। वहीं पत्नी ने इस मुकदमे में कही भी पति के अवैध संबंधों का जिक्र नहीं किया। जबकि तलाक की अर्जी के जवाब में पत्नी कहती है कि पति के अवैध संबंध थे। पत्नी को माना दाम्पत्य संबंध नहीं बनाने का दोषी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनने से दाम्पत्य संबंधो की पुर्नस्थापना नहीं हो सकी हैं। पत्नी बिना किसी कारण के अपने पति से दो साल से अधिक समय से अलग रह रही हैं। इसलिए पत्नी को अभित्यजन (परित्याग) को दोषी माना जाता हैं। इसके साथ ही पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध नहीं बनाना, पति के चरित्र को लेकर झूठे आरोप लगाना, दहेज की मांग के संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराना, लेकिन अपने जवाब और शपथ पत्र में इसका जिक्र तक नहीं करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता हैं।