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18 जनवरी 2006, बर्धमान, पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल के एक शख्स को जोधपुर से फोन कॉल आया। पता चला उसकी बेटी की तबीयत खराब है और वह हॉस्पिटल में है। वह शख्स अपने गांव के रहने वाले एक व्यक्ति के साथ जाेधपुर पहुंचा। उसे जोधपुर पहुंचने में दो दिन लगे। जोधपुर पहुंचकर उसे पता चला कि बेटी महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती है। बेटी से मिलने के लिए वह हॉस्पिटल पहुंचा। यहां उसे जो जानकारी दी गई, वह सुनकर वह बेसुध हो गया। उसकी 14 साल की बेटी की मौत हो चुकी थी। उसका शव हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया था। जैसे-तैसे खुद को संभालकर वह मॉर्च्युरी में पहुंचा। बेटी का शव देखते ही वह फफक पड़ा। उसे बेटी के शरीर पर कई जगह चोट के निशान नजर आए। उसे शक हुआ कि उसकी बेटी के साथ कुछ गलत हुआ है। इसके कारण उसकी जान गई है। आखिर 14 साल की लड़की पश्चिम बंगाल से इतनी दूर जोधपुर क्यों आई थी? उसके साथ ऐसा क्या हुआ कि उसकी मौत हो गई? पढ़िए क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में घर के कामकाज के लिए लड़की की तलाश शुरू हुई
जोधपुर के एयरफोर्स क्षेत्र स्थित व्यास कॉलोनी में कोलकाता निवासी कुणाल मजूमदार किराए पर रहता था। जोधपुर एयरफोर्स में पोस्टेड कुणाल की पत्नी शीला ने अक्टूबर 2005 में बेटी को जन्म दिया था। कुणाल जोधपुर में अकेले रहता था। इधर इसकी पत्नी शीला ने सिजेरियन डिलीवरी से बच्चे को जन्म दिया था। ऐसे में कुणाल को घर में काम करने के लिए व पत्नी की सहायता करने के लिए नौकर की जरूरत महसूस हुई। कुणाल की पत्नी शीला ने पश्चिम बंगाल में रहने वाली अपनी चचेरी बहन को फोन किया। उसे किसी पहचान की लड़की को घर के कामकाज के लिए जोधपुर भेजने को कहा। चचेरी बहन के पति ने अपने एक परिचित से संपर्क किया। कहा कि वह अपनी बेटी को जोधपुर भेज दे। उसकी बेटी घर के काम में हाथ बंटा देगी। इस पर वह शख्स अपनी बेटी को जोधपुर भेजने के लिए तैयार हो गया। गुमसुम रहती थी, किसी से बात नहीं होती थी
लड़की कुणाल के घर पहुंची और काम करने लगी। लड़की को कुणाल के घर आए 2 महीने बीत चुके थे। इस दौरान वह घर से कम निकलती थी। अधिकांश समय घर में ही काम करती रहती थी। घर के बाहर कभी आई तो भी चुप-चुप सी व सहमी सी रहती थी। आस-पड़ोस में रहने वालों ने उससे बात करने की कोशिश भी की थी, पर वह चुप रहती थी। लोगों ने समझा कि वह बंगाल से आई है। भाषा को लेकर उसे दिक्कत होगी, इसलिए शायद चुप रहती है। पिता को फोन कर बेटी की तबीयत खराब होने की जानकारी दी
15 जनवरी 2007 को कुणाल ने अचानक एक टैक्सी बुलाई। कुणाल लड़की को उठाकर लाया और टैक्सी में हॉस्पिटल लेकर गया। टैक्सी ड्राइवर लड़की को पहले एक प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर गया। वहां से लड़की को महात्मा गांधी हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। दोनों उसे महात्मा गांधी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने लड़की काे मृत घोषित कर दिया। 16 जनवरी को लड़की के पिता को फोन किया
कुणाल ने 16 जनवरी की सुबह लड़की के पिता को फोन किया और तबीयत खराब होने का हवाला देकर जोधपुर बुलाया। 18 जनवरी को पिता जोधपुर पहुंचा। बेटी का शव को देखकर उसे हत्या का शक हुआ। इधर कुणाल ने लड़की के पिता को बताया कि उसे चक्कर आ गया था। वह गिर कर बेसुध हो गई। वह उसको हॉस्पिटल लेकर गया। वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। लड़की के पिता के गले ये बात नहीं उतरी। वो शास्त्रीनगर थाने पहुंचे और बेटी की हत्या का मामला दर्ज कराया। शरीर पर 27 घाव और चोट के निशान
डॉक्टर पीसी व्यास ने लड़की के शव का पोस्टमाॅर्टम किया। पोस्टमाॅर्टम की रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर 27 घाव व चोट के निशान सामने आए। बच्ची की मौत गला घोंटने से होना बताया गया। पुलिस को भी लड़की की हत्या का शक हुआ। सबसे पहले कुणाल मजूमदार को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। कुणाल ने पुलिस को बताया कि लड़की को मिर्गी के दौरे पड़ते थे। 15 जनवरी को भी उसको मिर्गी का दौरा पड़ा था। इस कारण वह गिर गई थी और उसके जबड़े जुड़ गए थे। उसने व उसकी पत्नी ने चम्मच से जबड़े खोलने की कोशिश की। उसे सीपीआर देने की कोशिश की। इस दौरान उसके होंठ के पास चोट लग गई। गिरने से शरीर पर भी कई जगह चोटें आईं। कुणाल के दिए बयान पोस्टमाॅर्टम की रिपोर्ट से मैच नहीं हो रहे थे। रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत की बात थी। वहीं कुणाल का कहना था कि गिरने से गले पर चोट आई। रिपोर्ट में और भी कुछ था जो लड़की की हत्या की ओर इशारा कर रहा था। आगे की कहानी पढ़िए पार्ट-2 में…

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