आजकल प्रोसेस्ड फूड में सिंथेटिक फूड कलर्स का उपयोग बढ़ता जा रहा है। ये कृत्रिम रंग खाने को आकर्षक बनाते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इनसे सेहत को नुकसान हो सकता है। फूड कलर्स या फूड डाई मानव निर्मित रासायनिक पदार्थ हैं। ये खाने को आकर्षक बनाने के साथ कभी-कभी स्वाद भी बढ़ा देते हैं। फूड कलर्स दो प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक और सिंथेटिक। प्राकृतिक फूड कलर्स प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं। जैसे चुकंदर से लाल रंग, हल्दी से पीला रंग और क्लोरोफ़िल से हरा रंग। ये सामान्यतः सुरक्षित माने जाते हैं। हालांकि कुछ लोगों को इनसे एलर्जी हो सकती है। सिंथेटिक फूड कलर्स बच्चों के लिए हनिकारक सिंथेटिक फूड कलर्स का प्रयोग मिठाई, पेय पदार्थ, पेस्ट्री और स्नैक्स में किया जाता है। ये बच्चों के लिए विशेष रूप से हानिकारक हो सकते हैं। क्योंकि बच्चों का मस्तिष्क और शरीर विकास की अवस्था में होता है। इस दौरान ये रसायन उन्हें अधिक प्रभावित कर सकते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि माता-पिता को प्राकृतिक और सिंथेटिक फूड कलर्स के बीच अंतर समझना चाहिए। इससे वे बच्चों के आहार के बारे में सही निर्णय ले सकते हैं। बच्चों को संपूर्ण और प्राकृतिक आहार लेने की आदत डालनी चाहिए। आर्टिफिशियल फूड कलर्स शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं आर्टिफिशियल फूड कलर्स शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषकर कम इम्यूनिटी वाले या फिर बीमारी का इतिहास रखने वाले बच्चों पर इनका गंभीर असर हो सकता है। इसलिए फूड कलर्स वाले आहार से परहेज करना चाहिए और उनकी जगह स्वस्थ विकल्प चुनने चाहिए। सभी मां को इन एडिटिव्स के जोखिमों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। खाने में फूड कलर्स से बच्चों की सेहत को निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं। फूड कलर्स के कारण लोगों को विशेष तरह एलर्जी हो सकती है फूड कलर्स के कारण लोगों को विशेष तरह एलर्जी हो सकती है। यह प्रभाव उनके स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री के अनुरूप होता है। इसलिए अपने बच्चों को तीव्र एलर्जिक प्रतिक्रिया से बचाने, उनके पाचन की प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने, खाने की आदतों में परिवर्तन और मूड स्विंग आदि को रोकने के लिए उन्हें फूड कलर्स वाले आहार का ज्यादा सेवन न करने दें। अगर बच्चों के शरीर पर कोई विचित्र दाग, पाचन की समस्याएं और अन्य लक्षण दिखाई दें, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आर्टिफिशियल फूड कलर्स और बच्चों में हाईपरएक्टिविटी के बीच सीधा संबंध! हाईपरएक्टिविटी अध्ययनों में विशेष आर्टिफिशियल फूड कलर्स और बच्चों में हाईपरएक्टिविटी के बीच सीधा संबंध सामने आया है। हालांकि इस बारे में कोई भी ठोस प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं, लेकिन इस बात की संभावना देखी गई है कि अगर रोज फूड कलर्स का बहुत ज्यादा सेवन किया जाए, तो बच्चों में हाईपरएक्टिविटी हो सकती है। इसलिए मदर्स डे के अवसर पर बच्चों को एक स्वस्थ व सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का संकल्प लीजिए। फूड लेबल्स को ध्यान से पढ़ें, देखें कि उसमें कोई ऐसी चीज तो नहीं, जो एलर्जिक रिएक्शन करती हो, और प्रोसेस्ड एवं आर्टिफिशियल कलर्स वाले फूड के सेवन से परहेज करें।
इस बार मदर्स डे के अवसर पर अपने बच्चों की सेहत के लिए ज्यादा जागरूक ग्राहक बनने का संकल्प लीजिए। बच्चों को क्या खिलाना है, इस बारे में सूचित निर्णय लेकर माएं उनका दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकती हैं। इसलिए सभी मां को संपूर्ण और प्राकृतिक आकार को प्राथमिकता देनी चाहिए तथा अपने बच्चों को आर्टिफिशियल फूड कलर्स से बचाना चाहिए।

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