उत्तरप्रदेश के इटावा में कथावाचक की चोटी काटने के मामले में योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि भगवान कृष्ण यदुवंशी है और यदुवंशी की कथा यदुवंशी नहीं करेगा तो कौन करेगा ? ये कौनसा पेटेंट है ? बाबा रामदेव रविवार को कोटकासिम क्षेत्र के लाडपुर गांव पहुंचे। यहां बाबा सोमनाथ आश्रम में बाबा सोमनाथ महाराज की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित 108 कुंडीय रुद्र गुरु गोरखनाथ महायज्ञ में शामिल हुए। बाबा रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म को एक बताने वाले लोग उल्टे कार्य कर रहे हैं। “यदि यदुवंशी ही भगवान कृष्ण की कथा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा” कृष्ण भगवान हम यादवों के है अब लोग हमसे हमारे भगवान को भी छीनने का काम करने लगे है। उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और एकता पर जोर दिया। मनुष्य की पहचान कर्मों से होती है- बाबा रामदेव
बाबा रामदेव ने कहा कि कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। महिलाओं को बच्चों को अच्छे संस्कार देने और नशे से दूर रखने का धर्म निभाना चाहिए, जबकि पुरुषों को परिवार के भरण-पोषण का दायित्व उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “सबका ईश्वर एक है। भारत में अनेक जातियां और संप्रदाय हैं, लेकिन हमें जाति-पाति से ऊपर उठकर राष्ट्र सेवा और सनातन धर्म के गौरव को बढ़ाना चाहिए।” बाबा रामदेव ने जातिगत भेदभाव पर प्रहार करते हुए कहा कि “मनुष्य की पहचान उसके कर्मों से होती है, न कि जन्म से। ये कहना गलत है कि मनुष्य का जन्म सिर, जांघ या पैर से हुआ है। ईश्वर एक है और कर्म ही मनुष्य की पहचान है।” 108 विवाहित जोड़ों ने यज्ञ में आहुति दी
बाबा रामदेव ने तिजारा विधायक महंत बाबा बालक नाथ और मंदिर के महंत योगी बाबा दीपक नाथ के अनुरोध पर कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर 108 कुंडीय रुद्र गुरु गोरखनाथ महायज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें 108 विवाहित जोड़ों ने एक साथ यज्ञ में आहुतियां दीं। करीब 1100 श्रद्धालु इस महायज्ञ में शामिल हुए। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के योग गुरु बाबा रामदेव भी यज्ञ में पूर्णाहुति दी। बाबा रामदेव ने यज्ञ में पूर्णाहुति दी
बाबा रामदेव को सुबह 12 बजे हेलिकॉप्टर से लाडपुर पहुंचना था, जिसके लिए मंदिर परिसर में हेलीपैड की व्यवस्था की गई थी। लेकिन दोपहर में हुई तेज बारिश के कारण हेलिकॉप्टर का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। इसके चलते बाबा रामदेव सड़क मार्ग से शाम 4 बजे लाडपुर पहुंचे। पहुंचते ही उन्होंने 108 कुंडीय यज्ञ में पूर्णाहुति दी और बाबा सोमनाथ के मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया। श्रद्धालुओं ने फूलों की माला, गुलाब और ढोल-नगाड़ों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। शाम करीब 5.30 बजे सड़क मार्ग से वो दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सवा सौ मन आटे से भंडारा, हजारों ने ग्रहण किया प्रसाद
मंदिर के महंत बाबा दीपक नाथ ने बताया कि रविवार को सत्संग, भजन संध्या और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे के लिए सवा सौ मन आटे से पूड़ियां तैयार की गईं, जो सुबह से शाम तक हजारों श्रद्धालुओं को वितरित की गईं। सोमवार को भी हवन यज्ञ और भंडारा जारी रहेगा। मंदिर कमेटी और गांव के 500 से अधिक सेवादारों ने व्यवस्थाओं को संभाला। भोजन और ठहरने की व्यवस्था भी मंदिर कमेटी द्वारा की गई थी।