नेशनल हाइवे-56 के बायपास निर्माण को लेकर घाटोल के किसानों ने आपत्ति जताई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 17 फरवरी 2025 की अधिसूचना के खिलाफ 12 किसानों ने उपखंड कार्यालय में आपत्ति दर्ज कराई है। किसानों का कहना है कि उनकी कृषि भूमि इस बायपास में आ रही है। इससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा। किसानों के अनुसार, खसरा नंबर 1798, 1799, 1927, 1929, 1730, 1731, 1792, 1794 और 1806 की जमीन पर वे वर्षों से खेती कर रहे हैं। यह उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। उनके पास इसके अलावा कोई अन्य भूमि नहीं है। अगर यह जमीन सड़क निर्माण में चली गई, तो वे पूरी तरह से भूमिहीन हो जाएंगे। किसानों ने आरोप लगाया कि पहले भी दो बार बायपास के लिए अधिसूचना जारी हुई थी। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण सर्वे निरस्त कर दिया गया। अब फिर से नया सर्वे कर उनकी जमीन को बायपास में लिया जा रहा है, जबकि प्रभावशाली लोगों की जमीन को बचाने के लिए बायपास में मोड़ दिए गए हैं। इससे सड़क में कई तकनीकी खामियां आ जाएंगी और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाएगी। किसानों ने कहा कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति से आते हैं। उनके लिए दूसरी जमीन खरीदना संभव नहीं है। अगर उनकी जमीन चली गई, तो उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने मांग की है कि बायपास को पुराने सर्वे के अनुसार निकाला जाए। अगर उनकी जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उन्हें चार से पांच गुना मुआवजा दिया जाए और बची हुई जमीन को अन्य उपयोग के लिए रूपांतरित करने की अनुमति दी जाए। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि उनकी आपत्ति को गंभीरता से लिया जाए और उनकी जमीन को बायपास से बाहर रखा जाए। कंटेंट- राहुल शर्मा, घाटोल।
बायपास निर्माण से जमीन जाने का खतरा:घाटोल में किसानों ने जताई आपत्ति, पुरानी सर्वे के अनुसार निर्माण करने की उठाई मांग
