राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की लेक्चरर और कोच भर्ती परीक्षा सोमवार से शुरू हो गई। लेकिन इस परीक्षा का पहला दिन सैकड़ों अभ्यर्थियों के लिए संघर्ष, पीड़ा और सिस्टम से मिली बेरुखी की मिसाल बन गया। झुंझुनूं जिले में सुबह से ही झमाझम बारिश हो रही थी। आसमान से पानी बरस रहा था, और ज़मीन पर सरकारी तैयारियों की पोल खुलती जा रही थी। परीक्षा देने आईं कई छात्राएं—किसी ने 50 किलोमीटर का सफर तय किया, कोई बाइक से, कोई बस में भीगते हुए—सब वक्त पर पहुंचने की कोशिश में थीं, लेकिन एक-एक मिनट की देरी उनके सपनों पर भारी पड़ गई। सुबह 10 बजे पहली पारी का पेपर था और नियमानुसार परीक्षा केंद्रों के गेट सुबह 9 बजे बंद हो गए। लेकिन क्या कोई प्रशासन से पूछेगा कि जब शहर की सड़कों पर 3 फुट तक पानी भरा हो, हर चौराहे पर जाम लगा हो, और छात्राएं कीचड़ से होकर सेंटर तक पहुंच रही हों, तब क्या एक मिनट की देरी भी माफ नहीं की जा सकती? “3 फुट पानी में घुसकर पहुंचे – फिर भी नहीं मिली एंट्री” श्यामपुरा की सुमित्रा ने बताया कि वे सुबह 6 बजे ही परीक्षा के लिए निकली थीं। बारिश हो रही थी, रास्ते में कीचड़, पानी और ट्रैफिक जाम था। जैसे-तैसे परीक्षा केंद्र तक पहुंचीं, लेकिन सेंटर के गेट तक आने के लिए उन्हें करीब 3 फुट पानी में चलना पड़ा। जब वे पहुंचीं, घड़ी में 9:01 बजे हो चुके थे। सिर्फ एक मिनट लेट होने पर उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। “मैंने बहुत मेहनत की थी। पिछले छह महीने से तैयारी कर रही थी। सिर्फ एक मिनट की देरी थी, वो भी मेरे कंट्रोल में नहीं थी। लेकिन गेट पर मौजूद पुलिस और स्टाफ ने कोई सुनवाई नहीं की,” सुमित्रा ने आंखों में आंसू भरकर कहा। “रात 12 बजे तक पढ़ाई की थी, बाइक से आए थे – फिर भी नहीं मिले अंदर” आर्य नगर झुंझुनूं की एक छात्रा ने बताया कि उन्होंने परीक्षा को लेकर दिन-रात मेहनत की थी। “रात 12 बजे तक पढ़ाई की। सुबह 7 बजे बाइक से निकले थे। लेकिन शहर के हर मोड़ पर जाम लगा हुआ था। हम 9:02 पर पहुंच गए थे, लेकिन तब तक गेट बंद हो चुका था। मैंने गिड़गिड़ाकर कहा, ‘मैं इतनी दूर से आई हूं, कृपया जाने दें’ – मगर किसी ने नहीं सुनी,” उन्होंने बताया। “पिलानी से झुंझुनूं तक पानी और जाम से जूझती आई थी” पिलानी की परीक्षार्थी गीता ने बताया कि वे झुंझुनूं समय पर पहुंचना चाहती थीं, लेकिन रास्ते में कई जगह पानी भरा होने से जाम लग गया। “मैंने बहुत तैयारी की थी, सामान्य ज्ञान की किताबें रिवाइज की थीं, हिंदी के नोट्स तैयार किए थे। लेकिन परीक्षा केंद्र पर जब 1 मिनट बाद पहुंची तो पुलिसकर्मियों ने एक नहीं सुनी। इतनी बारिश में आई, पैरों के जूते तक गीले हो गए, फिर भी कह रहे हैं – नियम है, माफ नहीं कर सकते।” “जूते उतरवाए, चुन्नी हटवाई, बालों से कलेक्चर निकाला – फिर भी बाहर कर दिया” कई छात्राओं ने बताया कि परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा जांच इतनी कठोर थी कि उन्हें चूड़ियां तक उतारनी पड़ीं, चुन्नी हटवाई गई, बालों से भी क्लिप्स निकलवाई गईं। “हमने सब कुछ किया, फिर भी अगर 9:01 पर पहुंचे तो बाहर कर दिया गया। क्या प्रशासन को इस बारिश का अंदाजा नहीं था?” – एक छात्रा ने रोते हुए कहा। प्रशासन की सख्ती, पर क्या संवेदनशीलता नहीं झुंझुनूं के 61 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित इस परीक्षा के पहले दिन ही हज़ारों छात्रों का भविष्य सड़क और बारिश के हवाले कर दिया गया। नियमों की सख्ती तो समझी जा सकती है, लेकिन क्या आपात स्थिति में लचीलापन नहीं होना चाहिए? प्रशासन अगर 10 मिनट का ग्रेस पीरियड देता, तो क्या परीक्षा में कोई सेंध लग जाती? नकल पर सख्ती, लेकिन बारिश पर नहीं तैयारी प्रश्न पत्रों का वितरण राइफलधारी गार्ड के साथ किया गया। हर केंद्र पर दो वीडियोग्राफर तैनात किए गए। नकल रोकने के लिए RAS, पुलिस और शिक्षाविद मिलकर निगरानी कर रहे थे। लेकिन सवाल उठता है कि अगर इतनी सख्ती नकल रोकने के लिए हो सकती है, तो बारिश जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयारी क्यों नहीं