जोधपुर में रविवार देर रात एक फैक्ट्री की दीवार ढहने से तीन लोगों की मौत हो गई। ये सभी लोग बारिश से बचने के लिए दीवार के सहारे बनी झोपड़ियों में सोए थे। जब रेस्क्यू टीम यहां पहुंची तो मलबा बिखरा हुआ था। हादसा रात 3 बजे बोरानाड़ा क्षेत्र में महालक्ष्मी टिम्बर फैक्ट्री के पास हुआ। साढ़े तीन बजे जब रेस्क्यू शुरू किया तो अंधेरा था और मलबा बिखरा हुआ था। रेस्क्यू टीम लोगों की आवाज सुन-सुन कर इन्हें बाहर निकाल रही थी। जो बाहर जिंदा आए वे बताते जा रहे थे कि कहां पर कौन फंसा हुआ है। हादसे में सात मजदूर घायल हो गए, जिनकी मौत हुई, वे नींद में ही थे। इस रिपोर्ट में पढ़िए, कैसे और क्यों हुआ हादसा…। हादसे का पहला कारण: पुरानी कमजोर दीवार पर बना दी नई दीवार
हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि मजदूरों की झोपड़ी पर ढहने वाले दीवार एक साल पुरानी है। इससे पहले यहां पर पांच फीट की ही दीवार थी। इसी दीवार को नींव बनाकर 12 फीट ऊंची और 70 फीट लंबी पत्थरों की दीवार को खड़ा कर दिया गया। रातभर हुई बारिश से 5 फीट की दीवार इतनी कमजोर हो गई कि वह गिर गई। हादसे का दूसरा कारण: पानी स्टोरेज के लिए बने टैंक हुए फुल
जिस फैक्ट्री में ये हादसा हुआ, वहां बारिश का पानी स्टोरेज करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग के दो टैंक बने हुए थे। एक टैंक की क्षमता करीब 15 हजार लीटर है, यानी यहां 30 हजार लीटर के दोनों टैंक थे। बताया जा रहा है कि रविवार रात से शुरू हुई बारिश से इन टैंक में पानी भर गया था। इसके बाद इसका ओवरफ्लो दीवार की तरफ बढ़ने लगा। ऐसे में कमजोर वाले हिस्से से पानी निकलने लगा और दीवार पूरी तरह से खोखली हो गई। रात तीन बजे कॉल आया, दीवार में 10 परिवार के लोग दब गए
जिस फैक्ट्री (टिम्बर मार्ट) की दीवार गिरी उस समय वहां के एक कर्मचारी ने फैक्ट्री मालिक के रिश्तेदार ओमप्रकाश को कॉल किया। ओमप्रकाश ने बताया कि मैं देर रात फैक्ट्री से घर गया था। फैक्ट्री में हर समय पांच से छह मजदूर रहते हैं। रात करीब तीन बजे मेरे पास कॉल आया और बताया कि फैक्ट्री की दीवार गिर गई है और करीब 10 झोपड़ियां दब गई है। ओमप्रकाश ने बताया कि जिन लोगों की झोपड़ियां दीवार में दबी थी, वे मजदूर किसी और फैक्ट्री में काम करते थे, लेकिन इन्होंने दीवार के सहारे अपने कच्चे घर बना रखे थे। मैं मौके पर पहुंचा तो मलबा बिखरा हुआ था। इसके बाद मैंने पुलिस को सूचना दी। करीब साढ़े तीन बजे पुलिस अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंच गई थी। इसके बाद जेसीबी और अन्य वाहनों को बुलाया गया और रेस्क्यू शुरू किया गया। इस दौरान बारिश भी हो रही थी तो रेस्क्यू में काफी परेशानी हुई। टॉर्च की रोशनी में रेस्क्यू, पता ही नहीं था कौन कहां दबा है
कॉन्स्टेबल ललित खत्री ने बताया कि हम मौके पर पहुंचे तो झोपड़ियों पर दीवार का मलबा गिरा हुआ था। अंधेरा होने की वजह से कुछ दिख भी नहीं रहा था। इधर, लगातार बारिश भी हो रही थी। जेसीबी को भी बुलाया लेकिन डर ये भी था कि अंधेरे में गलत जगह नहीं चल जाए। इस दौरान मलबे से कुछ लोगों की आवाज भी आ रही थी। ऐसे में हम लोगों ने हाथों से मलबा और पत्थरों को हटाना शुरू कर दिया। जहां से आवाज आ रही थी, पहले वहां लोगाें को निकाला। जैसे-जैसे लोग बाहर आ रहे थे, वे बताते जा रहे थे कि कौन कहां पर दबा है। उनकी बताई जगह से पत्थर हटाते गए और मजदूरों को बाहर निकाला। 10 ट्रॉली मलबा निकला, हॉस्पिटल पहुंचाया तो पता चला मौत हो चुकी
इस दौरान करीब 10 ट्रॉली मलबा निकला। हम लोगों ने पहले से ही जेसीबी को रोक दिया था। 10 लोगों को जब बाहर निकाला तो कुछ अचेत थे तो कुछ बोल पा रहे थे। लेकिन, उस समय तक पता नहीं चला कि इनमें से तीन की मौत हो चुकी है। इन सभी को यहां से एम्स भेजा गया। वहां पता चला कि हादसे में नंदू, सुनिता व मंजू की मौत हो गई। नंदू और सुनिता कोटा के रहने वाले थे, जबकि मंजू प्रतापगढ़ की रहने वाली थी। हादसे में 10 लोग घायल हो गए थे। अभी पांचूराम, संजय, मांगी, पवन, शांती, दिनेश व हरिराम का इलाज एम्स में चल रहा है। बाकी को उनके घर भेज दिया गया है। रेस्क्यू करीब तीन घंटे सुबह साढ़े 6 बजे तक चला। इसमें 10 पुलिस जवानों के साथ आस-पास के करीब 40 लोगों ने इसमें मदद की। घायल मजदूरों ने बताया, रोज बाहर सोते है, बारिश से बचने के लिए अंदर सोए थे
घायल मजदूरों ने बताया कि वे अलग-अलग फैक्ट्री में काम करते हैं। रविवार रात को तेज बारिश होने की वजह से वे झोपड़ियों में सोए थे। इनका कहना था कि सामान्य दिनों में पांच से सात लोग ही रहते हैं। रविवार को अमावस्या होने की वजह से सभी मजदूरों की छुट्टी थी। ऐसे में इनके परिजन और कुछ रिश्तेदार भी यहां आए हए थे। वे भी आस-पास की फैक्ट्री में काम करते हैं। रात में बारिश तेज होने की वजह से वे भी यहीं रुक गए थे और ये हादसा हो गया। बोरानाड़ा एसीपी नरेंद्र सिंह देवड़ा ने बताया कि मरने वालों में दो महिला और एक पुरुष हैं। हादसे को लेकर मामले की जांच की जा रही है। ये खबर भी पढ़ें… राजस्थान के कई इलाकों में बाढ़ के हालात,VIDEO:स्कूल, घरों, थानों में भरा पानी; कॉलोनियों में नदियों की तरह बहने लगा पानी राजस्थान में मानसून लगातार मेहरबान है। कई जिलों में दो दिन से लगातार बारिश का दौर जारी है। सोमवार को बारिश के प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए है। प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के बाद कई जिलों में स्कूलों की छुट्टियां भी घोषित कर दी गई है। पाली में बारिश से कॉलोनियां तक डूब गई है। हालात ये है कि यहां की सड़कों पर नदियों की तरह पानी बहने लगा है। रुक-रुक कर हो रही बारिश ने सिस्टम की पोल खोल दी है। वहीं अलग-अलग जगह हुए हादसों में 4 की मौत भी हो गई है। फोटो और वीडियो में देखे प्रदेश में हुई बारिश का असर…। राजस्थान में रेलवे ट्रैक पर पानी, ट्रेनें कैंसिल, रूट बदला:पहाड़ टूटकर पटरी पर गिरा, मालगाड़ी डिरेल, हाईवे पर पानी भरा; प्रदेश में 5 मौतें लगातार हो रही बारिश से राजस्थान में बाढ़ के हालात बन गए हैं। पटरियों पर पानी भरने के कारण ट्रेनें कैंसिल की जा रही हैं। कुछ का रूट डायवर्ट किया गया है। पुष्कर सरोवर (अजमेर) ओवरफ्लो होने के कारण आसपास के होटल-घरों को खाली कराने के निर्देश दिए गए हैं। (यहां पढ़ें पूरी खबर)