जवाहर कला केन्द्र का रंगायन सभागार अनेक रचनात्मक रंगों से रंगा नजर आया। जहां बच्चों ने अपनी कल्पनाओं से तैयार कहानियों को साकार किया। मौका रहा केन्द्र की ओर से आयोजित जूनियर समर कैंप की थिएटर क्लास के समापन समारोह के पहले दिन का। 8 से 17 वर्ष के 250 से अधिक बच्चों ने नौ ग्रुप्स ने बारी-बारी से यहां प्रस्तुति दी। यह प्रस्तुति 20 जून तक जारी रहेगी। बच्चों की कल्पनाओं का संसार कितना अनोखा होता है यह परिसर में कदम रखते ही होता है। यहां फोयर एरिया में बच्चों की ओर से बनाए गए न्यूज लेटर आगंतुकों का स्वागत करते हैं। अभिभावक बच्चों की प्रस्तुति को देखने को बहुत आतुर दिखे। सभी बच्चों ने जिस अनोखे अंदाज में अपने-2 ग्रुप का परिचय दिया इसमें सभी का जोश देखते ही बनता था।
सबसे पहले चैटरबॉक्स की ने इरेजर की खातिरदारी नाटक पेश किया। नन्हें कलाकारों ने पेंसिल और इरेजर का रूप धरा। इरेजर पेंसिल्स की बनाई गई अटपटी डिजाइन को मिटाता है सभी पेंसिल्स इरेजर को गैर जरूरी बताते हुए उसके खिलाफ हल्ला बोल देती है। इस पर इरेजर बताता है कि सभी का महत्व है लेकिन कोई गलती हो तो उसे मिटाना बेहतर है। कॉपीराइट ग्रुप के बच्चों ने चेहरे का झमेला नाटक में अंधविश्वास पर कटाक्ष किया। बताया गया कि शुभ-अशुभ जैसी बातों की कोई वास्तविकता नहीं है।
टेढ़े मेढ़े ग्रुप ने नाटक हैशटैग में सोशल मीडिया की दुनिया की सच्चाई बताई कि किस तरह कई लोग वास्तव में सही कंटेंट लोगों तक पहुंचा रहे है वहीं कुछ लोग केवल फॉलोअर्स की दौड़ का हिस्सा है। छोटे प्यादे ग्रुप ने श्रीमान पेड़ नाटक में पेड़ों के महत्व पर प्रकाश डाला। पेड़ों को काटने की मुहिम चलती है तो पेड़ बोल उठते है कि पहले हमारी यात्रा को जानों उसके बाद निर्णय लो। इसके साथ ही पेड़ों से जुड़ी सभी कहानियां मंच पर जीवंत होती है।
करेक्शन टेप ग्रुप ने नाटक 1+1=2 में नियमों के महत्व को बताया। एक तरफ ढोलकपुर में नियम इस कदर सख्त होते है कि लोगों का जीवन प्रभावित होता है वहीं तबलापुर में नियमों की अनदेखी होती है दोनों ही नगर के लोग अपने जीवन से हताश है अंत में सार निकलता है कि नागरिकों की सहूलियत को ध्यान रखते हुए नियम बनाए जाने चाहिए और सभी को उसकी पालना करनी चाहिए। मीठे करेले ग्रुप ने आईआई वर्सेस एआई नाटक में बताया गया कि किस तरह इंडियन इंटेलिजेंस के आधार पर दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने जन्म लिया।
फुल स्टॉप ग्रुप के नाटक लालू वेडज लाली में बताया गया कि अपने स्वार्थ के लिए लोग कैसे दूसरों का चरित्र हनन करते है वहीं सामने वाला बिना तथ्यों की जांच के उस पर विश्वास करता है इससे लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है। 11/10 ग्रुप ने तमसो मा ज्योतिर्गमय में सकारात्मकता का महत्व बताया गया। आपातकालीन ग्रुप के नाटक बेचैन किताबें में आधुनिक दौर में किताबों की अनदेखी से उपजे हालातों को दर्शाया गया। इन्होंने दिया प्रशिक्षण वर्तिका उदावत, धीरेन्द्र पाल सिंह और समंदर सिंह चैटरबॉक्स ग्रुप को प्रशिक्षण दिया। रेणु सनाढ्य और जीतेन्द्र शर्मा छोटे प्यादे ग्रुप के प्रशिक्षक रहे। कुलदीप शर्मा और प्रवीण कुमावत कॉपीराइट ग्रुप के प्रशिक्षक रहे। विजय प्रजापत व वीणा उदवानी ने करेक्शन टेप ग्रुप को प्रशिक्षण दिया। आसिफ शेर अली खान और कल्पना मौर्य टेढ़े मेढ़े ग्रुप के प्रशिक्षक रहे। कमलेश कुमार बैरवा व देवांशी मत्तड़, पवन शर्मा व स्वर्णिम अशोक, विशाल भट्ट व हितिक शर्मा, राजू कुमार और रेया माथुर क्रमशः फुल स्टॉप, मीठा करेला, 11/10 और आपातकालीन ग्रुप के प्रशिक्षक रहे।