जयपुर | हाईकोर्ट ने प्रदेश में नए आपराधिक कानून बीएनएस को लागू होने के बाद भी पुलिस द्वारा आईपीसी की धाराओं में ही केस दर्ज करने पर नाराजगी जताई है। पुलिस कमिश्नर को आदेश की कॉपी भिजवाते हुए उन्हें कहा है कि वह हर थाने में इसकी जानकारी दें और सुनिश्चित करें की इसकी पालना हो। वहीं प्रार्थी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सरकारी वकील को कहा है कि वह एफआईआर को नए आपराधिक कानून बीएनएस की धाराओं में दर्ज करवाए। अवकाशकालीन जस्टिस सुदेश बंसल ने यह निर्देश अनिल कुमार की आपराधिक याचिका पर दिया। अदालत ने कहा कि एफआईआर में आईपीसी की धाराएं लगाई गई है, जबकि एक जुलाई, 2024 से भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है। दरअसल ऐसा ही एक धोखाधड़ी का मामला झोटवाड़ा पुलिस थाने ने आईपीसी में दर्ज किया था, जिसे प्रार्थी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले से जुड़े अधिवक्ता अभिषेक मिश्रा ने बताया कि मैसर्स सालासर एंटरप्राइजेज के दो भागीदारों के बीच विवाद का मामला था। इसमें प्रार्थी जुलाई, 2020 को रिटायरमेंट डीड के जरिए इस फर्म से हट चुका है। उसके 5 साल बाद दूसरे भागीदार ने 2 जून को झोटवाड़ा थाने में प्रार्थी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों व धोखाधड़ी को लेकर आईपीसी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई। इसमें अन्य आरोपों के साथ रिटायरमेंट डीड भी धोखाधड़ी से तैयार करने का आरोप लगाया है। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि पुलिस ने नए कानून बीएनएस के अस्तित्व में आने के बाद भी पुरानी आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया है, इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द किया ।