वर्षा जल संरक्षण, परंपरागत जल स्रोतों के पुनरुत्थान तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से चलाए जाने वाले 15 दिवसीय ‘वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ की गुरुवार को बीकानेर में भी शुरुआत हुई। प्रभारी मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले थे लेकिन उनके सभी कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं। शिक्षा सचिव तथा प्रभारी सचिव कृष्ण कुणाल की मौजूदगी में स्वरूपदेसर गांव में आयोजित समारोह में ग्रामीणों ने कलश यात्रा निकाली। पीपल पूजन किया। पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली। योग के माध्यम से आरोग्यता का संदेश दिया गया और पौधारोपण करते हुए इनकी देखभाल का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने प्रभात रैली निकालकर आमजन को जागरूक होने का संदेश दिया। अमृत सरोवर का अवलोकन प्रभारी सचिव ने अमृत सरोवर का अवलोकन किया। केंद्र और राज्य सरकार का प्रयास है कि मरुस्थलीय क्षेत्रों में बरसाती जल का अधिक से अधिक संरक्षण तथा इसका सदुपयोग हो। इसके मध्यनजर यह अभियान प्रारंभ किया गया है। अभियान में प्रत्येक नागरिक अपनी भूमिका निभाए और जल संरक्षण के साथ पर्यावरण को बचाने की दिशा में भी कार्य करें। संबंधित विभागों के अधिकारी पंद्रह दिवसीय अभियान का सफल आयोजन सुनिश्चित करें। उच्च स्तर पर इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी। इससे पहले प्रभारी सचिव कृष्ण कुणाल ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य अभियंता धीर सिंह गोदारा, विकास अधिकारी साजिया तबस्सुम, सरपंच उदाराम मेघवाल सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाओं व ग्रामीणों ने भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन जिला परिषद के आईईसी कॉर्डिनेटर श्री गोपाल जोशी ने किया। आयुर्वेद विभाग भी पर्यावरण के लिए जुटा पर्यावरण संरक्षण दिवस पर आयुर्वेद विभाग ने हरित योग आयोजन किया। आयुर्वेद विभाग अतिरिक्त निदेशक बीकानेर संभाग डॉ घनश्याम रामावत ने इस अवसर पर बताया कि हमें स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या में योग को शामिल करना होगा । उपनिदेशक आयुर्वेद डॉ प्रभुदयाल जाट ने कहा कि आयुर्वेद एवं पर्यावरण के दूसरे के पूरक है हरे – भरे खुले स्थान पर योग -प्राणयाम करने से ज्यादा प्रभावी परीणाम प्राप्त होते हैं | योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अधिकारी डॉ संतोष शेषमा आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रमोद मिश्रा ने भी विचार रखे। इस दौरान एक साल में एक पेड़ लगाने की अपील की गई।