पाली में एक पिता कभी खुद बॉक्सर बनना चाहते थे। लेकिन महज 2 साल के थे तब पिता की मौत हो गई। ऐसे में कंधों पर जिम्मेदारों का जल्द बोझ आ गया। ऐसे में न तो ज्यादा पढ़ सके और न ही बॉक्सर बनने का अपना सपना पूरा कर सके। अब अपनी बेटी को बॉक्सर बनाने में जुटे है। उन्होंने मकान निर्माण के लिए रुपए जमा किए थे। लेकिन बेटी की ट्रेनिंग और डाइट पर खर्चे होने के चलते रुपए खर्च हुए तो बाद में लोन लेकर मकान बनाया। आईए जानते है कि कैसे मोनिका के बॉक्सर बनने की शुरूआत हुई। पाली के सोसायटी नगर लक्ष्मी नगर के रहने वाले श्रवण कुमार मेघवाल जब दो साल के ही थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। पिता ने सिलाई और मजदूरी कर उन्हें पाला। पारवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते वे 10वीं तक ही पढ़ सके और बॉक्सर बनने का अपना सपना भी पूरा नहीं कर सके। घर चलाने के लिए सिलाई करने लगे। फिर शादी हो गई और बच्चे हो गए।
बेटी मोनिका को अपना सपना पूरा करने
शादी के बाद श्रवण कुमार को सुनिल, कोमल और मोनिका तीन बच्चे हुए। उन्होंने मोनिका को बॉक्सर बनने के लिए तैयारी किया। मोनिका की बॉक्सर बनने की ट्रेनिंग 12 साल की उम्र में शुरू हो गई। कोच दिलीप गहलोत की देखरेख में मोनिका का गेम निखरने लगा। आज मोनिका की गिनती शहर के अच्छे बॉक्सर में होती है। मोनिका की उपलब्धियां
– वर्ल्ड यूथ महिला इंडिया टीम सलेक्शन ट्रायल तीसरा स्थान प्राप्त, रोहतक, हरियाणा।
– 2 बार राजस्थान राज्य जूनियर बालिका चैम्पियन चुरू, हनुमानगढ़ रही।
– 2 बार राजस्थान राज्य यूथ महिला बॉक्सिंग चैंपियन, चुरू,दौसा रही।
– 2 बार अखिल भारतीय विश्वविद्यालय बॉक्सिंग प्रतियोगिता, भठिंडा, चंडीगढ़ रही।
बॉक्सर बनाना आसान नहीं
मोनिका के पिता श्रवण कुमार ने बताया कि मेरा मानना है कि बॉक्सर बनने से भी ज्यादा मुशिकल बॉक्सर बनाना होता है। बॉक्सर को रूटीन से अलग प्रोटीन डाइट देनी होती है। सुबह-शाम कोच की देखरेख में मोनिका छह घंटे प्रेक्टिस करती है। उसकी डाइट पर भी अच्छा खासा बजट खर्च होता है। बॉक्सिंग में वह हर गुर सीख सके लिए उसे 6 महीने के लिए ट्रेनिंग के लिए हरियाणा भिवाड़ी भी भेजा। इसके साथ ही बॉक्सिंग किट पर भी अच्छा खासा पैसा खर्च होता है। मोनिका का हर महीने का खर्च करीब 10 से 15 हजार के बीच होता है। कहता है डाइट है तो फाइट है इसलिए मोनिका की डाइट का खास ख्याल रखा जाता है। वे बताते है कि पेशे से वे टेलरिंग का काम करते है। इतना ही कमा पाते है कि घर खर्च चला सके लेकिन सपना है कि वे बॉक्सर नहीं बन सके तो क्या हुआ अब बेटी को बॉक्सर बनाकर अपना सपना पूरा करेंगे।