राजस्थान में सौर और पवन जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनने वाली बिजली को अब सुरक्षित रखकर जरूरत के समय इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए राज्य में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Battery Energy Storage System – BESS) की एक बड़ी परियोजना को मंजूरी मिल गई है। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (RERC) ने 1000 मेगावाट-ऑवर की स्टैंडअलोन बैटरी परियोजना के लिए कंपनियों से मिली दरों को मंजूरी दी है। यह टैरिफ करीब 2.21 लाख रुपए से 2.24 लाख रुपए प्रति मेगावाट प्रति महीने के बीच रही है, जो देशभर में अब तक की सबसे कम दर मानी जा रही है। यह है बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली
बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली यानी BESS एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें बिजली को स्टोर किया जा सकता है। जैसे दिन में जब सौर प्लांट से ज्यादा बिजली बनती है, तो उसे सीधे उपयोग में नहीं लाया जा सकता। इस अतिरिक्त बिजली को बैटरी में जमा कर लिया जाता है, ताकि रात में या मांग बढ़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके। इससे ग्रिड में संतुलन बना रहता है और बिजली की लगातार आपूर्ति हो सकती है। इन चार स्थानों पर लगेंगे बैटरी सिस्टम
यह बैटरी सिस्टम राज्य में चार स्थानों पर लगाए जाएंगे, जिनमें जयपुर और कोटा के ग्रिड सब स्टेशन के अलावा सूरतगढ़ और गिरल के बिजली घर शामिल है। इन जगहों का चयन तकनीकी और संचालन के हिसाब से किया गया है, जिससे बैटरी से बिजली का उपयोग सही समय पर हो सके। चार कंपनियों को मिला काम इन कंपनियों को यह काम बिल्ड-ओन-ऑपरेट मॉडल पर दिया जाएगा। यानी ये कंपनियां खुद इस सिस्टम को बनाएंगी, चलाएंगी, और उसके बदले राज्य सरकार इन्हें तय दर पर भुगतान करेगी। प्रोजेक्ट पर मिल रही केंद्र की मदद
इस परियोजना को केंद्र सरकार की योजना के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है। भारत सरकार की ओर से इस पर प्रति मेगावाट-ऑवर 27 लाख रुपए की मदद (वीजीएफ सहायता) दी जा रही है। आगे चलकर केंद्र ने राजस्थान को 4 हजार मेगावाट-ऑवर बैटरी स्टोरेज क्षमता का और आवंटन किया है, जिस पर 18 लाख रुपए प्रति मेगावाट-ऑवर की दर से सहायता मिलेगी। बिजली कंपनियों को महंगे समय में राहत
ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर ने बताया कि इस प्रणाली से राज्य की बिजली कंपनियों को महंगी दरों पर बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खासकर जब बिजली की मांग ज्यादा होती है (जैसे रात या गर्मी में), तब इन बैटरियों से बिजली निकालकर दी जा सकेगी। इससे रोजाना करीब एक करोड़ रुपए तक की बचत हो सकती है। लक्ष्य- 2028-29 तक 18.5 गीगावाट-ऑवर क्षमता
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष देवेंद्र श्रृंगी ने बताया- मुख्यमंत्री के प्रयासों से राज्य को केंद्र से अतिरिक्त क्षमता मिली है। सरकार का लक्ष्य है कि 2028-29 तक राज्य में 18.5 गीगावाट-ऑवर तक बैटरी स्टोरेज क्षमता विकसित की जाए। इसके लिए एक और प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है, जो एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम के माध्यम से 1000 मेगावाट-ऑवर की बैटरी परियोजना लगाएगा। यानी कुल मिलाकर राजस्थान में 2 हजार मेगावाट बैटरी स्टोरेज सिस्टम लगाने की योजना है, जिस पर लगभग 2 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा।
