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बॉर्डर से मां-बेटे के अलग हो जाने की मार्मिक कहानी:3 माह का कुलदीप पाकिस्तान के अमरकोट में छूटा, पिता वापस लेने नहीं जा पाए..मां सालभर से डिप्रेशन में

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एक साल का कुलदीप (राजवीर) पाकिस्तान के अमरकोट में है और उसकी मां बेबु राजस्थान के बाड़मेर में..। कुलदीप मात्र 3 माह का था जब बेबु और पति रघुवीर सिंह को उसे पाकिस्तान में छोड़कर बाड़मेर आना पड़ा। दोनों अलग कैसे हुए, इसके पीछे की कहानी बेबु के पति रघुवीर सिंह बताते हैं- हमारा घर अमरकोट के पास सुनोई गांव में है। विभाजन के बाद से ही हमारा परिवार पाकिस्तान में रह रहा था। मेरे पिता और उनके भाई वहां रहते हैं। मैं और मेरे भाई चावल मिल में मजदूरी करते थे, लेकिन तनाव और डर में जीते थे। वहां रहना सुरक्षित नहीं था। बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा नहीं थी। हम भारत लौटना चाहते थे। 2021 में आवेदन किया था लेकिन वीजा बार-बार रिजेक्ट हो रहा था फिर भी कोशिश जारी रखी। 2024 आ गया था, बेबु की डिलीवरी में चार-पांच महीने बाकी थे। हम चाहते थे कि बच्चे का जन्म भारत में हो। इस बार वीजा मिलने की उम्मीद थी। हमने यही सोचकर आवेदन किया था कि वीजा आने में डेढ़ से दो महीने लगेंगे, तब हम भारत में डिलीवरी करा पाएंगे। लेकिन वीजा लेट होता गया और नौ माह हो गए। तब तक बेटे कुलदीप का जन्म पाकिस्तान में हो गया। इसी वक्त बेबु और रघुवीर का वीजा आ गया। वीजा न छोड़ पाना मजबूरी थी और बच्चे को छोड़ना बहुत मुश्किल। ऐसे में तीन माह के कुलदीप को दादी के पास छोड़ना तय हुआ। उन्हें उम्मीद थी कि जल्द ही बच्चे का वीजा मिलेगा इसलिए वे उसे छोड़कर बाड़मेर आ गए। रघुवीर बताते हैं, लौटने के बाद स्थिति और खराब हो गई। बेबु हर वक्त बच्चे को याद करके रोने लगती। वह एक-एक दिन गिनती थी और बच्चे के आने की आस लगाए रखती थी। वीडियो कॉलिंग में भी उसे देखकर रोती, उधर, मेरे माता-पिता रोने लगते। यह सब हमारे लिए बहुत मुश्किल था। इसलिए मैंने कॉल करना बंद कर दिया। बेबु डिप्रेशन में थी। मुझे भी कभी-कभी तो लगता कि हम कुलदीप को खो चुके थे। मैं लेने जाऊंगा तो पता नहीं वापस आ पाऊंगा या नहीं। न स्कूल में एडमिशन मिलता है, न जरूरी कागजात बन पाते हैं बेबु की एक बेटी अरुणा भी है। वे कहती हैं हमें आए एक साल हो गया। लेकिन आधार कार्ड न होने के कारण उसे एडमिशन नहीं मिला। यहां हमारे दस्तावेज भी नहीं बनाए जाते। वीजा अगर मिल भी जाएगा तो भी कुलदीप को आने में दो महीने लगेंगे। पाक विस्थापित संघ एनजीओ के हैड नरपत सिंह धारा बताते हैं, बड़ी संख्या में विस्थापितों को वीजा नहीं मिल पाता। यहां आकर बच्चों को स्कूल में एडमिशन नहीं मिलता। सरकार को इन परिवारों को वीजा जल्द देना चाहिए ताकि इन्हें इस तरह जीवन न गुजारना पड़े।

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