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बॉलीवुड में बदलाव पर बोले डायरेक्टर अनीस बज्मी:स्टार की अपनी जगह है, लेकिन अब  कंटेंट ही किंग है, ओटीटी ने अच्छे एक्टर की पहचान कराई

बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर अनीस बज्मी अब मराठी सिनेमा में एंट्री करने जा रहे हैं। डायरेक्टर ने मराठी फिल्म ‘जारण’ को प्रस्तुत किया है। यह फिल्म पुराने समय में फैले अंधविश्वास, मनोवैज्ञानिक संघर्षों और एक परिवार के भीतर भावनात्मक उतार-चढ़ाव को बयां करती है। यह फिल्म आज रिलीज हो रही है। अनीस बज्मी का मानना है कि कंटेंट ही किंग है। दर्शकों को अच्छे कंटेंट की समझ हो चुकी है। इस बात को बड़े स्टार भी समझ चुके हैं और फिल्म करने से पहले कंटेंट पर डिस्कस करते हैं। हाल ही में डायरेक्टर अनीस बज्मी ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश… सवाल- मराठी फिल्म ‘जारण’ से जुड़ने की क्या खास वजह रही है? जवाब- इस फिल्म का सब्जेक्ट मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं इस तरह की फिल्म के साथ जुड़ना चाह रहा था। मेरी नजर में अब कोई रीजनल फिल्म नहीं रहा है। रीजनल में अब अच्छी फिल्में बन रही हैं। मैंने सारी जिंदगी महाराष्ट्र में गुजरी है। मराठी फिल्मों के साथ मेरा बहुत पुराना संबंध रहा है। यहां के बहुत सारे राइटर- डायरेक्टर और एक्टर से दोस्ती है। मराठी जुबान से मुझे बहुत मोहब्बत है। इस फिल्म से जुड़ने का सही मौका है। मुझे लगा कि यह ऐसी फिल्म है जो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहिए। सवाल- किस तरह से आप इस फिल्म से जुड़े? जवाब- इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस अमृता का मैं बहुत बड़ा फैन रहा हूं। इनकी सारी फिल्में देखी हैं। अमृता के माध्यम से इस फिल्म से जुड़ा। जब मैंने यह फिल्म देखी तो मेरी खुद इस फिल्म से जुड़ने की इच्छा हुई। डायरेक्टर ऋषिकेश गुप्ते ने बहुत ही ईमानदारी से अच्छी फिल्म बनाई गई है। अमृता सुभाष जी और बाकी टेक्नीशियन ने बहुत अच्छा काम किया है। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि अमृता जी ने मुझे फिल्म से जोड़ लिया। सवाल- अमृता और फिल्म को लेकर आपका जो कन्विक्शन है, वह कहां से आता है? जवाब- मैंने जिंदगी में बहुत स्ट्रगल किया है। बहुत नीचे से ऊपर आया हूं। मैंने कभी भी शॉर्टकट में विश्वास नहीं किया। यह मेरा नेचर भी नहीं है। अगर मुझे कोई चीज नहीं आती है तो उसे सीखता हूं, भले ही पांच साल में क्यों ना सीखूं। मैंने उसके ऊपर रिसर्च और मेहनत की है। जब फिल्मों में घोस्ट राइटिंग कर रहा था तो लोग कहते थे कि आप इतना अच्छा लिखते हैं। उनको मैं यही कहता था कि अभी मेरा सही वक्त नहीं आया है। मेरे अंदर खुद ये कॉन्फिडेंट आना चाहिए कि मैं अच्छा लिखता हूं। अगर किसी ने अच्छा काम किया है तो उसकी खुलकर तारीफ करता हूं। मुझे लगता है कि हर इंसान खुश रहे और मैं प्यार बटता रहूं। मुझे अगर कोई इंसान अच्छा नहीं लगता है तो उससे दूरी बना लेता हूं। सवाल- हॉलीवुड के लोग हॉरर फिल्मों का यूनिवर्स बनाते रहते हैं, आपकी फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ और ‘भूल भुलैया 3’ के बाद ‘जारण’ हॉरर फिल्मों के यूनिवर्स को एक कदम और आगे लेकर जाएगी, खास करके रीजनल सिनेमा में? जवाब- मैंने तो इतना नहीं सोचा, मुझे लगा कि अच्छी फिल्म है। इत्तेफाक से यह भूल भुलैया जॉनर की फिल्म लगी। बहुत अच्छी फिल्म है, अब रीजनल फिल्में रीजनल नहीं रहीं। आज पब्लिक बहुत होशियार हो चुकी है। उन्हें अच्छे कंटेंट की समझ हैं। जब मैं वाचमैन, ड्राइवर और बाकी लोगों से बात करता हूं तो वे कहते हैं कि फला हीरो हीरोइन को फिल्म में क्यों लेते हैं? उनको काम नहीं आता है। जब मैं कहता हूं कि उनके अंदर कुछ तो क्वालिटी है। वे कहते हैं कि खाली क्वालिटी से काम नहीं चलता है। मुझे लगता है कि अगर अच्छा कंटेन्ट है तो उसका साथ देना चाहिए। रही बात इस फिल्म की तो यह ब्लैक मैजिक के ऊपर फिल्म है। हमारे समाज में यह वर्षों से चला आ रहा है। ब्लैक मैजिक पर बहुत सारी कहानियां सुनी है। यह सिर्फ एक नॉर्मल हॉरर फिल्म नहीं, बल्कि कई सवालों का जवाब भी देती है। सवाल- आपने रियल लाइफ में ब्लैक मैजिक जैसी किसी चीज का अनुभव किया है? जवाब- ‘भूल भुलैया 3’ की एक महल में शूटिंग कर रहे थे। वह 600 साल पुरानी रही होगी। वहां शूटिंग रात में ही कर रहे थे। हमारे एक असिस्टेंट के साथ डरावनी घटना हुई थी। मैंने उसकी बात पर भरोसा नहीं किया। कई लोगों ने मुझसे वही बात बताई। मैंने सबको मना किया कि इसके बारे में किसी और को ना बताया जाए, नहीं तो यूनिट में डर का माहौल हो जाता। हालांकि, मेरे साथ कभी ऐसा कुछ अनुभव नहीं हुआ। सवाल- क्या आपको लगता है कि ओटीटी के आने से सिनेमा को नुकसान हो रहा है? जवाब- तरक्की को आप नहीं रोक सकते हैं। आप तरक्की के साथ जुड़ सकते हैं। अभी जो हो रहा है, आगे कुछ और होगा। बहुत पहले जब वीएचएस आया था तब लगता था कि सिनेमा खत्म हो जाएगा। कोविड के दौरान ओटीटी पर ऐसे-ऐसे काम देखने को मिले, मैं खुद हैरान था। मुझे लगता है कि कोविड के दौरान अगर ओटीटी नहीं होता तो समय गुजारना बहुत मुश्किल होता। रहीं बात थिएटर की, तो उसका अपना एक अलग अनुभव है। जो चीज का मजा थिएटर में है, वह कहीं नहीं आएगा। सवाल- पिछले कुछ समय से बड़े स्टार की फिल्में नहीं चलीं। जबकि अच्छे कंटेंट वाली फिल्में बिना स्टार के चल रही हैं। इस बदलाव को आप कैसे देखते हैं? जवाब- यह बदलाव ओटीटी की वजह से आया है। ओटीटी पर दर्शकों को अच्छे-अच्छे कंटेंट देखने को मिल रहे हैं। ओटीटी प्लेटफार्म से ही अच्छे-अच्छे एक्टर की पहचान हुई है। बहुत सारे क्रिएटिव डायरेक्टर और राइटर आए हैं। मैं भी आगे जरूर कुछ ओटीटी के लिए करना चाहूंगा। अब दर्शक फिल्म का टीजर और ट्रेलर देखकर ही समझ जाते हैं कि फिल्म कैसी होगी। स्टार की अपनी जगह जरूर है, क्योंकि जब बहुत बड़ी फिल्में बनाते हैं तो हमें स्टार की जरूर पड़ती है, लेकिन यह भी सही है कि कंटेंट की किंग है। अभी स्टार भी स्टोरी के बारे में पूछते हैं।

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