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राजस्थान लोक सेवा आयोग यानी आरपीएससी। प्रदेश के प्रशासनिक पदों पर भर्तियां करने वाली सबसे बड़ी संस्था। विडंबना देखिए, 10 माह से इसे अध्यक्ष ही नहीं मिल रहा। जबकि, डेढ़ साल से इसका एक सदस्य निलंबित होकर जेल में है और एक का निधन हाे चुका है। इसके बावजूद सरकार की प्राथमिकता में यह नहीं है। अब एक ही रास्ता है… कोर्ट जाइए, तभी आरपीएससी को चेयरमैन मिलेगा। नुकसान का उदाहरण यह है कि इन दिनों चल रही प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती आरएएस के इंटरव्यू में 6-6 माह लग रहे हैं। करीब 972 पदों की भर्ती के लिए 2168 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। 21 अप्रैल से इंटरव्यू शुरू हुए और अभी तक चल रहे हैं। सितंबर तक चलेंगे। अध्यक्ष व सदस्यों का कोरम पूरा होता तो इंटरव्यू जल्दी होते, रिजल्ट जल्दी आता और सरकार को अफसर भी जल्दी मिलते। नियम- सीएम की सिफारिश जरूरी आरपीएससी अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 6 साल या 62 साल की उम्र तक होता है। अध्यक्ष एवं 7 सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं, लेकिन सिफारिश मुख्यमंत्री से आती है। निलंबन का अधिकार राज्यपाल को, हटाने का राष्ट्रपति के पास है। स्थिति- अतिरिक्त प्रभार के भरोसे अध्यक्ष पद 1 अगस्त, 2024 से तत्कालीन अध्यक्ष संजय कुमार श्रोत्रिय का कार्यकाल पूरा होने से खाली है। यानी एक जून को पूरे 10 माह हो चुके। अभी सदस्य कैलाश चंद मीणा के पास अतिरिक्त प्रभार है। अब तक- भंग करने की बातें ही हुईं नुकसान- प्लानिंग नहीं, निर्णय अटके आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन एमएल कुमावत का कहना है कि संस्था में आदर्श स्थिति के लिए मुखिया होना जरूरी है। अस्थायी को पता नहीं होता कि वह कब तक है? ऐसे में प्लानिंग नहीं होती, निर्णय अटके रहते हैं, काम प्रभावित होता है। जरूरी क्यों – बड़े पद इसी के भरोसे आरएएस, आरपीएस, आरटीएस जैसे पदों की भर्ती इसी के भरोसे है। 1950 से 31 मार्च, 2024 तक 2.38 करोड़ आवेदन आए। 1463 परीक्षाएं हुईं। 5.42 इंटरव्यू किए। कुल 3.27 लाख रिक्रूट इसी पर निर्भर। भास्कर एक्सपर्ट- वीएस दवे, पूर्व न्यायाधीश राजस्थान हाई कोर्ट, प्रकाश टाटिया, पूर्व न्यायाधीश झारखंड हाई कोर्ट, “आरपीएससी अध्यक्ष पद खाली रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। रिटायर होने से पहले से सरकार को तैयारी करनी चाहिए। कोर्ट में कोई प्रभावित जाता है तो कोर्ट प्रसंज्ञान ले सकती है। हालांकि, यह कोर्ट व जज पर निर्भर करता है।” “किस भी व्यक्ति को लगता है कि इससे काम प्रभावित हो रहा है तो वह जनहित याचिका कोर्ट में दाखिल कर सकता है। इसमें कहीं कोई प्रावधान नहीं है कि याचिका नहीं लगाई जा सकती है।”

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