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झालावाड़ पर्यटन विकास समिति ने मंगलवार को भवानी नाट्यशाला परिसर में भवानी नाट्यशाला का 103वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर सम्मान समारोह और संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि ट्रैजरी के सहायक लेखाकार सालिगराम दांगी ने कहा कि नाट्यशाला जैसी धरोहर देश की दुर्लभ धरोहर है और हमें इसका संरक्षण करना चाहिए। अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद भंवर सिंह केलवा ने कहा कि ऐसी नाट्यशाला में नाटकों का आयोजन और झालावाड़ की प्रमुख धरोहरों का साउंड शो होना चाहिए, ताकि लोग जिले के इतिहास को जान सकें। समिति संयोजक ओम पाठक ने कहा कि नाट्यशाला स्थानीय पुरातत्त्व विभाग के अधीन है, लेकिन 4 दिन पहले समिति ने इसे अंदर से खोलने और इसको देखने की अनुमति देने का पत्र भी दिया था, लेकिन वह समारोह के समय भी नहीं खोली गई। इससे कई दर्शकों को बिना देखे लौटना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस धरोहर को लोकल प्रशासन को सौंपना चाहिए ताकि आने वाले पर्यटक और शोधार्थी इसे असानी से देख सकें। इतिहासकार ललित शर्मा ने कहा कि इस नाट्यशाला का निर्माण 1921 ईस्वी में शासक भवानीसिंह ने पारसी ओपेरा शैली में कराया था और 16 जुलाई 1921 को यहां प्रथम नाट्क ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ खेला गया और 1950 में यहां अंतिम नाटक ‘देश की आवाज’ खेला गया था। उन्होंने कहा कि 87 कलात्मक पाषाण स्तम्भों पर बनी 36 बालकनियों वाली इस भव्य नाट्यशाला में हिन्दी के अलावा अंग्रेजी नाटक भी हुए थे। इस मौके पर समिति की ओर से मुख्य अतिथि और अध्यक्ष ने साहित्य सेवा के क्षेत्र में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् झालावाड़ के अध्यक्ष सुरेश निगम और पर्यावरण सेवा के लिए महेश कश्यप को फूलों की माला पहनाकर और प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। सुरेश निगम ने झालावाड़ की कला, साहित्य परम्परा पर और महेश कश्यप ने पर्यावरण समृद्ध कर झालावाड़ को हरा भरा बनाने पर विचार व्यक्त किए। इस मौके पर समिति सचिव डॉ. अलीम बेग, सदस्य भारत सिंह राठौड़, भगवती प्रसाद मेहरा, कोषाध्यक्ष कन्हैया कश्यप, नफीस शेख, पार्षद फारूख अहमद, पृथ्वीराज, राधेश्याम, जावेद चौधरी, उमाकांत शर्मा ने विचार व्यक्त कर समिति के अध्यक्ष रहे दिवंगत दिनेश सक्सेना के जन्म दिवस पर उन्हें स्मरण किया। आभार ओम पाठक ने जताया।

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