चित्तौड़गढ़ जिले के भादसोड़ा कस्बे में बीएसएनएल की सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। पिछले कई दिनों से न तो बीएसएनएल का मोबाइल टावर काम कर रहा है और न ही टेलीफोन एक्सचेंज। इस तकनीकी गड़बड़ी के कारण आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह गायब है, जिससे न कॉल लगती है और न ही कोई मैसेज या OTP आता है। बैंकिंग से लेकर राशन वितरण तक, सब कुछ बाधित
बीएसएनएल नेटवर्क की यह विफलता केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर सामाजिक और प्रशासनिक गतिविधियों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। भादसोड़ा के कई बैंकों में कनेक्शन न होने की वजह से लेन-देन प्रभावित हो रहा है। कई ग्राहकों के बैंक अकाउंट बीएसएनएल नंबर से जुड़े होने के कारण ओटीपी नहीं आने से ट्रांजैक्शन फेल हो रहे हैं। सरकारी दफ्तरों में भी अटका काम
कस्बे के सरकारी कार्यालयों में भी नेटवर्क की कमी ने कामकाज ठप कर दिया है। एक हैरान करने वाला वाकया तहसील कार्यालय में सामने आया, जब रजिस्ट्री करवाने आए लोगों के सामने नायब तहसीलदार शिव शंकर पारीक ने बायोमेट्रिक काम तो किया लेकिन OTP प्राप्त करने के लिए अपने ही कर्मचारी को मोबाइल लेकर 7 किलोमीटर दूर सांवलिया जी (मंडफिया) भेजा। यह केवल एक उदाहरण है, ऐसी समस्याएं रोजाना झेलनी पड़ रही हैं। जनता हो रही है भ्रमित, अधिकारी बन रहे निशाना
जब सरकारी काम पूरे नहीं हो पाते तो आमजन इसे अधिकारियों की लापरवाही या बहाना समझते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि खुद अधिकारी भी मजबूरी में काम नहीं कर पा रहे। कई विभागों के मोबाइल नंबर बीएसएनएल से जुड़े होने के कारण, न तो बाहर से कोई संपर्क कर पा रहा है और न ही वे आपस में कॉन्टैक्ट कर पा रहे हैं। TDM बोले– ‘NTR रूट की दिक्कत है’, अजमेर कार्यालय ने झाड़ा पल्ला
जब इस समस्या के समाधान को लेकर BSNL के चित्तौड़गढ़ जिला टेलीफोन प्रबंधक (TDM) शिवराज मीणा से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लाइन की समस्या उन्होंने ठीक करवा दी है, लेकिन NTR रूट (नेशनल टेलीकॉम रिजन) में दिक्कत है, जिसे अजमेर स्थित कार्यालय द्वारा सुधारा जाएगा। हालांकि जब अजमेर स्थित सहायक महाप्रबंधक महेश चंद्र गुप्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी मानने से इनकार कर दिया। उनका साफ कहना था कि यह जिला स्तर की समस्या है, जिसे चित्तौड़गढ़ का TDM देखेगा। फोन कॉल और मैसेज का भी नहीं मिलता जवाब
स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी बार-बार TDM को फोन या मैसेज करते हैं, लेकिन न कॉल रिसीव होती है और न ही मैसेज का कोई जवाब आता है। कई बार मैसेज भेजने पर केवल इतना जवाब आता है कि “अगले हफ्ते तक समस्या ठीक हो जाएगी” लेकिन यह हफ्ता कब आएगा, यह कोई नहीं जानता। बीएसएनएल ऑफिस पर ताला, लोग हो रहे निराश
भादसोड़ा स्थित बीएसएनएल ऑफिस भी लगभग डेढ़-दो महीने से बंद पड़ा है। ऑफिस के गेट पर ताला लगा हुआ रहता है और अंदर झांकने पर गंदगी और वीरानी ही नजर आती है। करोड़ों रुपए की लागत से बनी हुई यह बिल्डिंग धूल चाट रही है और बर्बाद हो रही है। लोग शिकायत लेकर जब ऑफिस पहुंचते हैं तो ताला देखकर वापस लौटना पड़ता है। स्टाफ भी नदारद, शिकायतों पर नहीं होती सुनवाई
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले इस ऑफिस में कई कर्मचारी काम करते थे, लेकिन अब केवल एक नाममात्र कर्मचारी लगा रखा है, वो भी कई दिनों से नजर नहीं आया। फोन करने पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता। इस कारण लोग अपनी शिकायतें तक दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं। डिजिटल इंडिया की पोल खोलती स्थिति
देश जब 5G और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशनल की बात कर रहा है, ऐसे में भादसोड़ा जैसी जगहों पर बीएसएनएल की इस हालत ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर निजी कंपनियां चौबीसों घंटे सेवा दे रही हैं, वहीं सरकारी टेलीकॉम सेवा देने वाला बीएसएनएल बुनियादी कनेक्टिविटी तक देने में विफल साबित हो रहा है। जनता की मांग– जल्द से जल्द हो स्थायी समाधान
भादसोड़ा के नागरिकों ने विभागीय उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस समस्या का स्थायी समाधान जल्द किया जाए। केवल “अगले हफ्ते” जैसे आश्वासनों से न तो काम बन रहा है और न ही जनता को भरोसा रह गया है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो विभाग के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। फोटो-वीडियो व कंटेंट क्रेडिट – सुरेश आचार्य, भादसोड़ा।

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