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भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई से पहले ट्रेड डील होने की उम्मीद है। हालांकि, दोनों देशों के बीच अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति से पहले मंगलवार (1 जुलाई) को डील कमजोर पड़ गई है। इसकी वजह यह है कि डेयरी जैसे प्रमुख एग्रीकल्चर मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विरोध की स्थिति बनी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने डेयरी सेक्टर में कोई भी रियायत देने से साफ इनकार कर दिया है, जो देश के 8 करोड़ से ज्यादा छोटे किसानों के लिए इनकम का मेन सोर्स है। डेयरी पर कोई समझौता नहीं होगा, यह हमारी रेड लाइन एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने कहा, ‘डेयरी पर कोई समझौता नहीं होगा। यह हमारी रेड लाइन है।’ इस बीच व्हाइट हाउस ने भारत को इंडो-पैसिफिक सेक्टर में एक महत्वपूर्ण स्ट्रैटेजिक पार्टनर बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच ट्रेड डील अब घोषणा के बेहद करीब है। भारत और अमेरिका के बीच वॉशिंगटन में चल रही ट्रेड वार्ता को मंगलवार को छह दिन हो गए हैं। इंडियन डेलिगेशन को लीड कर रहे मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल ने दोनों देशों के बीच डील में रुकावट को खत्म करने के लिए अपनी यात्रा को एक दिन और बढ़ा दिया है। बुधवार को ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी रहने की उम्मीद बुधवार को दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी रहने की उम्मीद है। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर भी एक डिप्लोमेटिक मीटिंग के दौरान अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से मुलाकात करेंगे। भारत इन सेक्टर्स में अमेरिका से रियायत की मांग कर रहा भारत कई लेबर इंटेंसिव सेक्टर यानी श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे- फैब्रिक, अपेरल, जेम्स एंड ज्वेलरी, लेदर, प्लास्टिक, केमिकल्स, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले पर अमेरिका से शुल्क रियायत की मांग कर रहा है। समझौता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा सकता सूत्रों का कहना है कि इन रियायतों से अमेरिका के घरेलू हितों को कोई नुकसान नहीं होगा और इनका विरोध होने की संभावना कम है। हालांकि भारत ने कृषि, विशेष रूप से डेयरी क्षेत्र में किसी भी रियायत से इनकार किया है। भारत का कहना है कि यह समझौता उसकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। अमेरिका को भारत से कृषि-डेयरी सेक्टर में रियायत की उम्मीद दूसरी ओर अमेरिका भारत से कृषि और डेयरी क्षेत्रों में शुल्क रियायत की उम्मीद कर रहा है। अमेरिका इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स, डेयरी, सेब, मेवे और जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स जैसे एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स पर शुल्क में कमी चाहता है। लेकिन भारत के लिए यह अमेरिका की यह डिमांड मानना मुश्किल है। अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारत पर 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय इंपोर्ट पर 26% तक का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए सस्पेंड किया गया था। हालांकि, 10% का बेस टैरिफ अभी भी लागू है। भारत एडिशनल 26% टैरिफ से छूट चाहता है। अगर यह ट्रेड डील फेल रही, तो 9 जुलाई के बाद ये टैरिफ फिर से लागू हो जाएंगे। दोनों देशों का टारगेट 2030 तक ट्रेड को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना भारत और अमेरिका का टारगेट इस अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट को एक बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) की दिशा में पहला कदम बनाना है। दोनों देश 2030 तक बाइलेटरल ट्रेड को दोगुना कर 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट रखते हैं। वर्तमान में दोनों देशों के बीच ट्रेड 191 बिलियन डॉलर का है। ये खबर भी पढ़ें… भारत-अमेरिका के बीच ‘बड़ी’ ट्रेड डील की उम्मीद: ट्रम्प बोले हमने कल ही चीन के साथ डील साइन की, अब भारत के साथ होने वाली है भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक ‘बड़ी’ ट्रेड डील होने वाली है। ये बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में हुए ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ इवेंट में कही। ट्रम्प ने बताया कि अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार समझौता किया है और अब भारत के साथ भी ऐसा ही कुछ बड़ा होने वाला है। पूरी खबर पढ़ें…

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