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भिवानी के गांव धनाना की बहू दर्शना घनघस ने अमेरिका में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में दमदार प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीता। दैनिक भास्कर से बातचीत में दर्शना ने बताया कि उन्होंने वियतनाम और आयरलैंड की बॉक्सरों को 5-0 से और फाइनल में अमेरिका की खिलाड़ी को 3-2 से हराकर गोल्डन पंच लगाया। दर्शना ने कहा कि अब उनका फोकस ओलिंपिक की तैयारी पर है। इसके लिए वह पूरी मेहनत और जोश से जुटी हैं। इससे पहले वह आने वाली अन्य प्रतियोगिताओं में भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहती हैं, ताकि ओलिंपिक से पहले खुद को और मजबूत बना सकें। करीब 12 साल पहले बॉक्सिंग की शुरुआत करने वाली दर्शना घनघस आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ये सफर आसान नहीं था, लेकिन मेहनत, आत्मविश्वास और गांव के लोगों के आशीर्वाद ने उन्हें यहां तक पहुंचाया। गोल्ड मेडलिस्ट दर्शना घनघस से बातचीत करते हुए
सवाल: कैसा सफर रहा और क्या प्रतियोगिता रही?
दर्शना घनघस: मैं अमेरिका गई थी। वहां पर वर्ल्ड पुलिस गेम हो रहे थे। जहां गोल्ड मेडल जीता है और वहां पर कम से कम 40 देशों ने इसमें भाग लिया था।
सवाल: किन-किनके साथ मुकाबला हुआ?
दर्शना घनघस: यूएसए के साथ फाइनल मुकाबला था। वियतनाम व आयरलैंड की खिलाड़ी उनकी श्रेणी में थी।
सवाल: कितने अंतर से जीत हासिल की?
दर्शना घनघस: फाइनल मुकाबला 3-2 से जीता था। बाकी दोनों मैच 5-0 से जीते थे।
सवाल: बॉक्सिंग की शुरुआत कैसे व कब की?
दर्शना घनघस: बॉक्सिंग की शुरुआत मैंने 2013 में की थी। उस समय 10वीं कक्षा में थी। पहले गांव में रहते थे, वहां से ही शुरुआत की थी। गांव से शुरुआत की थी। इसके बाद पिता ने प्राइवेट एकेडमी ने एडमिशन करवाया था। सवाल: बॉक्सिंग ही क्यों चुना?
दर्शना घनघस : मेरे पिता एथलीट रह चुके हैं, जो वॉलीबाल प्लेयर थे। उनके मार्गदर्शन में ट्रेनिंग की। पहले वे एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करवाते थे। 400 मीटर व 800 मीटर इवेंट करवाते थे, बाद में बॉक्सिंग में डाला।
सवाल: करीब 11-12 साल का सफर कैसा रहा?
दर्शना घनघस : दिक्कत ता हर खिलाड़ी के जीवन में आती है। जीवन से निकलकर ही वह आगे बढ़ता है।
सवाल: आईटीबीपी पुलिस के साथ गेम कर रहे हैं, तो परिवार का कैसा सपोर्ट रहा?
दर्शना घनघस : परिवार की तरफ से पूरा सपोर्ट है। बीच में तबीयत भी खराब हुई तो बॉक्सिंग भी छोड़नी पड़ी थी। जो भी सहयोग मिला, वह परिवार से मिला है।
सवाल: शादी कैसे हुई और मुलाकात कैसे हुई?
दर्शना घनघस : हम दोनों एक ही गेम में हैं। दोनों की मुलाकात बॉक्सिंग के दौरान हुई। उनके पति संदीप घनघस भी बॉक्सिंग करते थे और एक ट्रेनिंग सेंटर में प्रैक्टिस करते थे।
सवाल: दोनों का एक फिल्ड में होने का क्या फायदा है?
दर्शना घनघस : पहला फायदा तो यह है कि वे मेरी हर चीज को समझते हैं और मेरे सभी डिसिजन की वैल्यू करते हैं। सवाल: शादी के बाद ससुराल का कैसा सहयोग रहा?
दर्शना घनघस : शादी के बाद ससुराल का ही सहयोग रहा। परिवार तो पीछे था, वह पीछे छुट गया।
सवाल: आगे का क्या लक्ष्य लेकर चल रही हैं?
दर्शना घनघस : लक्ष्य यह है कि आगे जो भी गेम होने हैं, उन पर फोकस रहेगा। अब बढ़िया प्रैक्टिस करूंगी। यह पहला स्टैप लेकर चल रही हैं। धीरे-धीरे और सीढ़ियां चढ़नी हैं।
सवाल: ससुराल वालों का सहयोग कैसे मिला?
दर्शना घनघस : मेरे ससुरा खुद खेल से जुड़े हैं और रेसलिंग के कोच रह चुके हैं। हमेशा डिसिप्लिन की जो बातें सिखाते हैं, वह मेरे ससुरा सिखाते हैं। अगर मेरे को कहीं बहार जाती हूं और कोई सुविधा नहीं मिल पाती है तो कहते हैं कि ज्यादा सुविधा मिलेगी तो बच्चा ढील कर जाता है और कम सुविधाएं मिलेंगी तो वह टफ बनेगा। मेरे पति संदीप हमेशा पॉजिटिव बाते बताते हैं। कभी हार भी जाऊं तो कहते हैं अगली बार फिर करेंगे।
सवाल: आपकी सास का कैसे सहयोग मिला?
दर्शना घनघस : मेरी सास कहती हैं कि बर्तन धोने, पौंछा-झाड़ू तो मैं पूरी उम्र करती आई हूं। यही तूं भी करेगी तो यही करती रह जाएगी। इससे अच्छा तूं गेम कर और कुछ बन। मैं भी खुश हों, तेरे लिए। तेरे मेडल आएं और मेरी भी इज्जत बने, परिवार की इज्जत बने। मेरी सास के विचार बहुत अच्छे हैं। सास ने सभी बच्चों को आगे बढ़ने के लिए सहयोग दिया। सवाल: बहार खेलने गए तो सबसे ज्यादा सहयोग किसका रहा और साथ कौन गया?
दर्शना घनघस: सबसे ज्यादा मेरी सास साथ गई हैं और दूसरे नंबर पर मेरे पति। मेरी सास ने मेरी आंखों में आंसू आने ही नहीं दिए। अगर मैं रोती तो मेरी सास भी रोने लग जाती। उन्होंने एक किस्सा सांझा करते हुए कहा कि एक बार वे दिल्ली ट्रायल के लिए गए थे। वहां पर वे हार गई। इस पर मेरी सास ने कहा कि चल बेटा एक जोड़ी जूते दिलाऊंगी और एक जोड़ी जूते मैं लूंगी। दोनों मां-बेटी चलेंगे स्टेडियम में और अगली बार तेरा सिलेक्शन हो जाएगा। मेरी सास का हौसला देखकर भगवान ने भी सुना होगा और मेरे पास कॉल आई कि आपस चयन हो गया। लगभग ट्रायल में मेरी सास साथ गई हैं।
सवाल: आगे गेम के लिए कैसे तैयारी कर रहे हैं?
दर्शना घनघस : अभी करंट इवेंट के बाद अपनी अभ्यास पर फोकस करूंगी। आने वाले जितने भी इवेंट हैं, उन पर मेरी नजर है। सबसे पहले ऑल इंडिया पुलिस गेम होगा। उसके बाद नेशनल व एक बॉक्सिंग कप भी होना है। उसके बाद एशियन व कॉमनवेल्थ गेम होने हैं। दर्शना घनघस के पति संदीप घनघस से बातचीत
सवाल: दर्शना घनघस की जीत पर क्या कहना चाहेंगे?
संदीप घनघस : इन्होंने देश व पूरे परिवार, गांव-कस्बे व प्रदेश का नाम रोशन किया है। ऐसे ही आगे भी नाम रोशन करते रहे।
सवाल: खुद भी स्पोर्ट्स पर्सन रहें हैं तो इसका कितना फायदा मिलता है?
संदीप घनघस : जैसे हमारा जवान व किसान देश को समर्पित है, वैसे खिलाड़ी भी देश को समर्पित है। हमारे देश, प्रदेश व गांव का नाम रोशन हो उसके लिए मेहनत कर रहे हैं।
सवाल: दर्शना घनघस आगे ओलिंपिक तक खेले और मेडल लेकर आए, उसको लेकर कैसे सहयोग करेंगे?
संदीप घनघस : मेरे पिता भी चीफ कोच रहे हैं। जो 2020 में रिटायर्ड हो गए थे। वे समय-समय अच्छी-अच्छी बात बताने का काम करते हैं। जो उन्हें कमी लगती है, उसको दूर करने का काम करते हैं। काफी अच्छी टिप्स देते हैं। हम उनसे ही सीखते आ रहे हैं। बॉक्सिंग कोच भी बहुत अच्छे से गाइड करते हैं।

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